हमने पिछले अंक में वमन, छिंक, डकार एवं जम्भाई आदि के विषय में चर्चा कर चुके हैं । आज चर्चा को आगे बढ़ाते हैं ।
क्षुधा:- क्षुधा अर्थात भूख । जो व्यक्ति भूख लगने पर भी कुछ भी भोजन नहीं करता है तो वह व्यक्ति पतला, दूर्वल, चेहेरा काला पड़ जाना , बदन में दर्द होना, खाना खाने की इच्छा ना होना, चक्कर आना, आंख के सामने अंधेरा छा जाना, शरीर में पित्त का बढ़ना(Uric Acid), आलस्य, दृष्टि शक्ति का कम होना आदि रोग होना अवश्यम्भावी है ।
क्योंकि आयुर्वेद में उल्लेख है
कलौमन्नंगताः प्राणाः अन्ने सर्वं प्रतिष्ठितम् ।
अन्नमयो हि पुरुषः अन्नं वै प्राणीनां प्राणाः।।
अर्थात कलियुग में अन्न ही प्राण का आधार है, सभी अन्न से ही स्थित है, अन्न से ही प्राण में प्राण आती है अतः अन्न को प्राणियों का प्राण कहा गया है ।
तृषा:- (प्यास) जिसको अंग्रेजी में Thirst कहते हैं । जो व्यक्ति तृषा लगने पर कुछ नहीं पीता है उसके गला व मुँह सुख जाती हैं । शरीर में पीलापन नजर आता है । कान को सुनाई देना कम हो जाता है । थोड़ी सी काम करने पर भी थकान अधिक लगता है । मन सदा दुःखी सा लगता है, हृदय प्रदेश में हल्की फुल्की दर्द रहता है और कभी कभी किसी किसी को श्वास रोग भी हो जाता है । चक्कर आना, स्मरण शक्ति की कमी, हाथ पैर काँपने लगते हैं आदि रोग होते है ।
हमारे शरीर में से मूत्र मार्ग से तथा पसीने के रूप में जल निकल जाता है जिससे कि हमारे शरीर में जलीय तत्वों की कमी होती है । इसकी पूर्ति के लिए हमें जल अथवा जलीय तत्वों से युक्त किसी भी प्रकार का पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए और यदि नहीं करते हैं तो शरीर में कुप्रतिक्रिया(Side Effects) आरंभ हो जाती हैं ।
आज के लिए इतना ही ।
कल हम आगे चर्चा करेंगे ।
धन्यवाद
✍सत्यवान नायक ।