आज वेगो को रोकने से क्या रोग होता है उस सम्बन्ध में जानेंगे।
सबसे पहले आता है मूत्र का वेग ।
जो व्यक्ति मूत्र के वेग को रोक लेता है उसे मुत्राशय में संक्रमण तथा पीड़ा, मूत्रेन्द्रिय में भी संक्रमण तथा पीड़ा, मूत्रकृच्छ रोग (Dysuriya) , शिर में दर्द, पेट में दर्द, सोम रोग ( मूत्र बुन्द बुन्द टपकना), बार बार पेशाब होना, मूत्र के साथ में धातु जाना , जब शौच के लिए जाओ तभी मूत्र होना अन्यथा किसी अन्य समय पर मूत्र ना होना आदि और इसी के कारण किसी किसी में तो हार्निया जैसी गंभीर रोग से पीड़ित पाए गए हैं। कोई कोई तो जल में प्रवेश करने मात्र से ही पेशाब होने लगता है और हो भी जाती हैं ।
अब बात करते हैं मल वेग की
जो व्यक्ति मल वेग रोकते हैं उनको पेट में दर्द, शिर में दर्द, कब्ज, छाती में दर्द, पेट तथा साँस फुलना, थकान, शरीर में भारी पन, पुरुष हो या महिला सफेद रंग का धातु स्राव होना, जाँघ, माँस पेशीयों में दर्द, मुँह से दुर्गन्ध आना, बार बार डकार आना, बवासीर की समस्या एवं किसी किसी के तो मल मुँह से निकल जाता है आदि समस्या होती है ।
अब बात करते हैं शुक्र वेग की
जो व्यक्ति शुक्र वेग को रोक लेते हैं उनको मूत्रेन्द्रिय में सूजन तथा पीड़ा, पेट के नाभी के नीचले भाग में दर्द, हृदय का रोग, छाती में दर्द, शरीर को जोर से दबाने पर दर्द, पेशाब के साथ में धातु जाना, धीरे धीरे दूर्वल हो जाना, शरीर में कहीं कहीं मांस की गाँठ बन जाना, भूख की कमी, स्मरण शक्ति की कमी, शरीर के अवयवों का विकसित ना होना, चिड़चिड़ाहट होना, बार बार गुस्सा आना, बदन में दर्द रहना, मल द्वार तथा मूत्र द्वार में जलन एवं पीड़ा होना, विविध प्रकार के पीड़ा होना, पथरी, यकृत तथा वृक्क में सूजन तथा पीड़ा रहना, कुछ भी करने में मन ना लगना आदि समस्या होती है ।
अब बात करते हैं अपान वायु वेग की
जो व्यक्ति अपान वायु (पाद) को रोक लेते हैं शरीर में वात रोग, बार बार मल,मूत्र आना, पेट फुलना, थकान लगना, पेट में दर्द, शरीर में पीड़ा, मुँह से दुर्गन्ध आना, कुछ खाने पर उल्टी होना, अग्निमाँद्य तथा अजीर्ण रोग होते हैं ।
✍ सत्यवान नायक