बाजरा : एक स्वास्थ्य रक्षक व बहुमूल्य अनाज, जिसे हम बिसरा चुके हैं ।


संकलन - रवीन्द्र दूबे

 

बाजरा ,सांवा,सामा,कोदो , रागी, जौ, कुटकी ,कांगनी...

ये सभी भारत में उत्पादित होने वाले मोटे अनाजों के नाम हैं.हममें से ज्यादातर लोगों ने इन अनाजों का नाम तक नहीं सुना होगा। आपको हैरान की होगी की ये बहुमूल्य अनाज पिछले 5000 सालों से हम भारतीयों का मुख्य आहार हुआ करता था. इससे बने चावल, खिचड़ी हलवा, लड्डू, सत्तू, भुंजा, चूड़ा इत्यादि व्यंजन हमारे पसंदीदा आहार हुआ करते थे.

             हरित क्रांति के बाद हमारी डाइट सिर्फ चावल और गेहूं तक सिमटकर रह गई और हम सबने इन बहुमूल्य अनाजों का दरकिनार कर दिया हैं। आज जब हमारी आबादी का ज्यादातर हिस्सा मधुमेह, मोटापे और हृदय रोगों से पीड़ित हैं.आज मनुष्य फ़ास्ट फ़ूड के शिकंजे में जकड़ कर बीमारी के आगोश में शनैःशनैः आबद्ध होता जा रहा है।आज  80%आबादी इन्हीं अस्वस्थकर खानों के कारण विभिन्न बीमारियों से ग्रसित होता जा रहा है और वह असमय मौत के आगोश की ओर नादानी में  कदम बढ़ा रहा है।

         विशेषज्ञ अब इन मोटे अनाजों के सेवन करने की सलाह दे रहे हैं.ये अनाज धीरे-धीरे फैशन में आ रहा है.

        बाजरा,भारत में सर्दी के मौसम में खाया जाने वाला अनाज है. 'बाजरा' की उपयोगिता हम भूल चुके है।यदि आप इस आधुनिक मानवमात्र के कल्याण और स्वस्थ रहने के लिए लिखे गए  आलेख को पूरा पढ़ लें, तो यकीन मानें निश्चित ही दस किलो बाजरा  पीसवा कर ही मानेंगे;जिससे इस लेख की महत्ता चरितार्थ हो जायेगी .सर्दी के मौसम में इसकी रोटी सुबह व शाम को या खिचड़ी जरुर खानी चाहिए. बाजरा गर्मी के साथ साथ हमारी हड्डियों को मजबूती प्रदान करता है. ग्रामीण इलाकों में आज भी बाजरा से बनी रोटी ओर 'चूरमा लड्डू" को ठंड में बहुत पसंद किया जाता है.

बाजरा में  मैग्नीशियम,कैल्शियम,मैग्नीज, ट्रिप्टोफेन,फास्फोरस, फाइबर अथवा रेशा,विटामिन-बी, एण्टीआक्सीडेण्ट आदि भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं.

         बाजरा खाने से एनर्जी मिलती है. ये ऊर्जा एक बहुत अच्छा स्त्रोत है .इसके अलावा अगर आप वजन घटाना चाह रहे हैं. तो भी बाजरा खाना आपके लिए फायदेमंद होगा!

            बाजरा में नियासिन नामक तत्व पाया जाता है जो न केवल कोलस्ट्रॉल लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है बल्कि  हार्ट अटैक से शरीर को सुरक्षित रखता है। इसके अलावा ये मैग्नीशियम और पोटैशियम का भी अच्छा स्त्रोत है जो 'ब्लड प्रेशर' को नियंत्रित रखने में मददगार है.

          अधिकांश रोगों का मूल पेट है।पेट से सम्बंधित पाचन क्रिया दुरूस्त न हो तो शरीर जल्द ही बीमारी के आगोश में चला जाता है। बाजरे पर कई सारे शोध हुए हैं, जिसमें कोई भी शोध यह नहीं बताता है कि बाजरा पेट से सम्बंधित रोग के लिए जिम्मेवार है बल्कि शोध बताते हैं बाजरा पेट के लिए और स्वास्थ्य के लिए के अमृत की तरह है। बाजरे में भरपूर मात्रा में फाइबर्स पाए जाते हैं जो पाचन क्रिया को दुरुस्त रखने में सहायक हैं. बाजरा खाने से कब्ज की समस्या नहीं होती है.कई अध्ययनों में कहा गया है कि बाजरा 'कैंसर' से बचाव में सहायक है,पर यह न केवल कैंसर से बचाव में सहायक है बल्कि इसके नियमित सेवन से डायबिटीज का खतरा भी कम हो जाता है. डायबिटीज के मरीजों को इसके नियमित सेवन की सलाह दी जाती है.बाजरे की रोटी खाने वालों को हड्डियों में कैल्शियम की कमी से पैदा होने वाले रोग 'आस्टियोपोरोसिस' और खून की कमी यानी एनीमिया नहीं होता है.बाजरे में भरपूर कैल्शियम होता है जो कि 'हड्डियों' के लिए रामबाण औषधि है.आयरन भी बाजरे में इतना अधिक होता है कि खून की कमी से होने वाले रोग नहीं हो सकते.गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम और आयरन की जगह बाजरे की रोटी और खिचड़ी दी जाये तो  इससे उनके बच्चों को जन्म से लेकर पांच साल की उम्र तक कैल्शियम और 'आयरन' की कमी से होने वाले रोग नहीं होते . इतना ही नहीं बाजरे का सेवन करने वाली महिलाओं में प्रसव में असामान्य पीड़ा के मामले भी न के बराबर पाए गए.

गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम की गोलियां खाने की जगह रोज बाजरे की दो रोटी खानी चाहिए. बाजरे की रोटी का स्वाद जितना अच्छा होता है, उससे अधिक उसमें गुण भी होते हैं.

                        जिस घर में बाजरा की इज्जत होती है उस घर में कब्ज, मोटापा, ब्लडप्रेशर, मधुमेह,एनीमिया, अनिद्रा,आस्टियोपोरोसिस,कोलेस्ट्रॉल, हार्टअटैक, डिप्रेशन और इनसे जूड़े तमाम रोग पास फटकने की सोचते भी नहीं है।

                   अतएव इस बिसराये हुए बहुमूल्य अनाज, बाजरा को सभी पुनः अपनाकर अपने शरीर को आजीवन स्वस्थ ,सुन्दर और सुघड़ बनाने में सहायता करें।