आगरा ताज उत्सव में मिलेगा 8 प्रदेशों का मशहूर सामान



- पंजाबी राजस्थानी और कश्मीर की मशहूर लेडीज सूट और साड़ियां उपलब्ध।


- एक ही कैंपस में 2000 से अधिक वैरायटी उपलब्ध।


- लोकल फॉर वोकल को समर्पित है आगरा ताज उत्सव।


 

आगरा (संजय सिंह )

वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के दौरान विभिन्न शिल्पियों के यहां इकट्ठा हो चुके उनके बनाए गए माल को आगरा ताज उत्सव के माध्यम से खरीदा जा सकता है। इस मेले में उत्तर भारत के अलग-अलग इलाकों की अनूठी शिल्पकलाएं सजी हैं। जिन्हें आप आगामी 3 जनवरी तक देख और खरीद सकेंगे। खास बात ये है कि कोरोना काल में जहां देश-दुनिया ठहर सी गई है, ऐसे में आगरा ताज उत्सव ने महिला स्वयं सहायता समूहों द्वारा हस्त निर्मित उत्पादों का मेला लगाकर आगरा के लोगों के लिए एक सुहनरा अवसर प्रदान किया है।

उत्सव के व्यवस्थापक और ट्रस्ट अध्यक्ष त्रिभुवन कुमार सिंह ने यह जानकारी पत्रकार वार्ता में दी। उन्होंने पत्रकारों को बताया कि अब तक उनकी संस्था उत्तर भारत के विभिन्न शहरों में 30 से ज्यादा हस्तशिल्प मेलों का आयोजन कर महिला स्वयं सहायता समूहों को लाभ पहुंचा चुकी है और आगरा में पहली बार इसका आयोजन किया गया है। उत्सव में जरीदार, ड्रेस मैटेरियल सूरत की साड़ियां, नक्काशी दार फर्नीचर, मुगल आर्ट क्रोकरी सिल्क, कारपेट, बनारसी सिल्क साड़ी जोकि गोल्डन और सिल्वर वर्क में उपलब्ध है। यहां कोटा डोरिया, साड़ी, सूट, जैकेट, कुर्ता, पायजामा, ज्वेलरी, कश्मीरी ड्राई फूड, अफ़गानी चिलगोजा आदि बुलंद जैकेट उपलब्ध है। उन्होंने आगे बताया कि मेले में राजस्थान, पंजाब, दिल्ली, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के शिल्पी और व्यापारी अपने क्षेत्रों की विशिष्ट शिल्पकलाओं के साथ मेले में आए हैं। उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर, भदोही, खुर्जा, वाराणसी, लखनऊ, मुरादाबाद शहर की कला कृतियां, परिधान, घरेलू और सजावटी सामान मेले में आकर्षण हैं। वहीं पंजाब और चंडीगढ़ के उत्पाद दर्शकों को लुभा रहे हैं। गुजरात के कच्छ और नागालैंड का सजावटी सामान मेले में सतरंगी छटा बिखेर रहे हैं। पश्चिमी बंगाल के उत्पाद भी दर्शकों को खूब भा रहे हैं। 


-  घर की जरूरत का है सामान।


श्री सिंह कहते हैं कि इस मेले की विशेषता है कि घर में काम आने वाला तकरीबन हर सामान उपलब्ध है। राजस्थान का रजबाड़ी फर्नीचर आगरा में पहली बार किसी मेले में आया है। ये जोधपुर के हस्त शिल्पियों द्वारा तैयार अनूठे उत्पाद हैं जो दुनियाभर में मध्य युगीन भारतीय हस्तशिल्प कला की पहचान है। इसी मेले में खुर्जा की क्राकरी, वाराणसी की साड़ी कई रंग रुप में उपलब्ध है। मेले में भदोही का बूलन सिल्क कारपेट और सहारनपुर का फर्नीचर भी है जिसमें सोफासेट और डाइनिंग टेबल देखते ही बनती हैं। मौसम का असर मेले में भी दिखाई दे रहा है। यहां लुधियाना के गर्म कपड़ों के स्टाल सजे हैं। जिसमें जैकेट, फुलकारी सूट और साड़ी खास हैं। जयपुरी कुर्ती से लेकर बांधनी साड़ी तक कपड़े के ढेरों आइटम महिलाओं को लुभा रहे हैं। भरतपुर का अचार तक इस मेले में है तो वहीं स्टोन ज्वैलरी मेले में एक वर्ग विशेष के लिए आकर्षित करता है। 


- लगेंगे हस्तशिल्प के प्रशिक्षण।


बकौल मेला व्यवस्थापक और ट्रस्ट के अध्यक्ष त्रिभुवन कुमार सिंह, मेला स्थल को परंपरागत तरीके से सजाया गया है। ताकि दर्शकों को लोक संस्कृति में हस्त शिल्प कला के दीदार हो सकें। मेला स्थल पर उल्लास और उमंग का माहौल बनाने का भी बंदोबस्त किया गया है। साथ ही यहां हर सप्ताह में दो दिन हस्त शिल्प कलाओं के प्रशिक्षण का भी कार्यक्रम किया जा रहा है।