भिक्षावृत्ति से मुक्त कराए बच्चों के लिए प्रशासन ने नहीं ली कोई सुध, भीख मंगवाने वालों पर भी नहीं हुई कार्रवाई



सवांददाता, के,के,कुशवाहा


आगरा । आगरा पुलिस तथा श्रम विभाग द्वारा संयुक्त रूप से अभियान चलाकर 18 बाल भिखारियों को मुक्त कराकर बाल कल्याण समिति द्वारा परिजनों को सौंप दिया गया। उनको किसी भी सरकारी योजना से जोड़कर पुनवार्सित नहीं किया गया और भीख मंगवाने वालों के विरूद्ध कोई कार्यवाही की गई। बाल अधिकार कार्यकर्ता एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने डीएम तथा एसएसपी को पत्र भेजकर बच्चों को पुनर्वासित कराने की मांग की है।


उन्होंने कहा कि किशोर न्याय अधिनियम की धारा- 76(1) के तहत भीख मंगवाना अपराध है। यदि कोई भीख मंगवाने के लिए बच्चों को नियोजित करता है या किसी बच्चे से भीख मंगवाने पर पांच साल की कैद और एक लाख रूपया दंड का प्रावधान है। इसी अधिनियम की धारा-76(2) के खंड 14 के उपखंड-5 के तहत जो भी व्यक्ति भीख मंगवाता है उसे अयोग्य माना जाएगा। संरक्षकता हटा ली जाएगी। समुचित पुनर्वास के लिए बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा।


इसी प्रकार बाल श्रम (प्रतिबंध एवं नियमन) संशोधन अधिनियम, 2016 के तहत कोई भी व्यक्ति काम कराने के लिए बच्चों का इस्तेमाल करता है जिससे पैसे की आमदनी होती है तो यह अपराध की श्रेणी में आता है। किसी भी काम के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त करने वाले व्यक्ति को दो साल तक की कैद की सजा तथा उस पर 50,000 रुपये का अधिकतम जुर्माना लगेगा।


डीएम जिला बालश्रम रोकथाम टास्क फोर्स तथा जिला बाल संरक्षण इकाई के अध्यक्ष हैं, इसलिए उनके द्वारा सभी बच्चों की जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा काउंसलिंग कराई जाए। भीख मंगवाने वालों के विरूद्ध उक्त अधिनियमों के तहत मुकद्मा दर्ज कर कानूनी कार्यवाही की जाए। पीड़ित बच्चों को इंटीग्रेटेट चाइल्ड प्रोटेक्शन स्कीम (आईसीपीएस) की स्पान्सरशि योजना तथा बाल श्रमिक विद्या योजना से जोड़कर पुनवार्सित किया जाए। जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा इन बच्चों का लगातार फालोअप कराया जाए जिससे बच्चे दुबारा भीक्षावृत्ति में संलिप्त न हो सकें। भीख मांगने वालों की स्मार्ट सिटी के सीसीटीवी कैमरों से निगरानी की जाए। जिससे शहर की सड़कें भिखारी मुक्त हो सके और शहर वास्तविक रूप में स्मार्ट सिटी बन सके।