जिले में अब पैदा होंगी ९० फीसदी बछिया




- आवारा सांडों के कहर से मिलेगी निजात।


- योजना में पशुपालकों को दी जाएगी सब्सिडी।


आगरा।प्रवीन शर्मा

आवारा पशुओं के कहर से बचाने के गोवंश में इजाफा करने के लिए राज्य सरकार द्वारा सीमेन का इस्तेमाल किया जाएगा। इससे जिले मेंं ९० फीसदी मादा गोवंश (बछियां) पैदा होंगी। प्रदेश में इस तकनीक का अभी दो जिलों में कार्यान्वयन हो रहा है। जल्द ही आगरा जिले में भी इसे प्रयोग किया जाएगा।

 

जिले में विभिन्न जगहों पर सांडों की बढ़ती संख्या से रोजमर्रा के कामों के लिए घर से निकलने वाले लोगों और स्कूली बच्चों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। मुख्य चौराहों और भीड़भाड़ भरे इलाकों में सांडों की वजह से गंभीर घटनाएं भी प्रकाश में आती रहती हैं। इस समस्या से निजात दिलाने और मादा गोवंश की संख्या बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार ने सीमेन तकनीक का प्रयोग करने के निर्देश दिए हैं। इससे न सिर्फ सांडों की संख्या में निश्चित तौर पर कमी आएगी। हालांकि इस तकनीक का इस्तेमाल अभी हापुड़ के बाबूगढ़ और लखनऊ के रहमानगंज में प्रमोग में लाई जा रही है। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी (सीवीओ) डॉ वासुदेव सिंह तोमर के मुताबिक इस तकनीक को निजी तौर पर इस्तेमाल करने वाले पशुपालकों को डेढ़ से दो हजार रुपये व्यय करने पड़ते हैं लेकिन इसी तकनीक को अपनाने के लिए तीन सौ रुपये खर्च करBने पड़ेगे। इस तकनीक का लाभ १० हजार रुपये से कम आए वाले ही उठा सकेंगे। इसके लिए क्षेत्र पंचायत कार्यालय से भी संपर्क किया जा सकता है।


*जिले के पशुओं का होगा नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाधान*।


- अभियान में सहयोग करने वालों को प्रति पशु मिलेंगे १०० रुपये

- जिले में ५०० पशु आएंगे अभियान के दायरे में

- पचास रुपये दिए जाएंगे सहयोग करने वालों को



 पशु पालकों को राहत प्रदान करते हुए शासन गांवों में पशुओं का नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाभान करान का अभियान चलाया जा रहा है। अभियान के तहत् आगरा जिले के पांच सौ गांवों में से २५० का चयन किया गया है।

भारत सरकार के राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (एनएआईपी) के अंतर्गत पूरे प्रदेश में पशुओं के लिए नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाधान कार्र्यक्रम चलाए जा रहे हैं। ३१ मई तक चलने वाले अभियान के तहत् आगरा जिले से लगभग ५०० पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान किया जाएगा। इसमें सहयोग करने वाले लोगों को प्रति पशु के हिसाब से सौ रुपये भी उपलब्ध कराए जाएंगे। इससे कृ त्रिम गर्भाधान का दायरा बढ़ाने में आसानी होगी और इस कार्य में सहयोग करने वालों का भी मनोबल बढ़ेगा। हालांकि राज्य सरकार ने यह अभियान पिछले अगस्त माह मेें करने के घोषणा की थी लेकिन कोविड-१९ की वजह से इसमें आशातीत प्रगति नहीं हो पाई थी।



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