नई तकनीक से शवदहन, एक घन्टे और 80 किलों लकड़ी।



लखनऊ। प्रेमशर्मा

परिस्थिति जो न कराये वह थोड़ा है। बैकुण्ठधामों में बढ़ते शवों की संख्या को देखकर और लकडियों की किल्लत के चलते शव का दाह संस्कार अब नई तकनीक से किया जाएगा। इस तकनीक से दाह संस्कार में एक घन्टे का समय और 80 लकड़ी का उपायोग होगा। 

नगर आयुक्त अजय कुमार द्विवेदी द्वारा भैंसाकुंड का निरीक्षण किया गया एवं वहाँ  पर पूरी व्यवस्था का जायजा लिया,साथ ही साथ यह भी सुनिश्चित किया गया की वहाँ  पर किसी भी प्रकार से लकड़ियों की कमी ना होने पाये। इसके अतिरिक्त भैसाकुंड में तीन मेकेनाइज्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम स्थापित की जा रही है जिसमे शवदाह में लगभग एक घंटे का समय लगेगा और मात्र 80 किलो लकड़ी का उपयोग होगा। निरीक्षण के इसी क्रम में गुलाल घाट शवदाह गृह का भी जायजा लिया गया एवं दाह संस्कार को व्यवस्थित करने के लिए मेकेनाइज्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम को लगाने का कार्य आरम्भ कर दिया गया। इसके अतिरिक्त एक अन्य इलेक्ट्रिक शवदाह मशीन स्थापित की जा रही है जिसमे एक एक घंटा में शवदाह पूर्ण हो जाएगा।ओपेन क्रिमेशन की तुलना में मेकेनाइज्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम में 50 प्रतिशत कम प्रदुषण उत्पन्न करता है। इसमें शवदाह की समयावधि लगभग एक घंटे की होगी,जबकि ओपेन क्रिमेशन में लगभग 4 घंटे का समय लगता है। मेकेनाइज्ड ग्रीन क्रिमेशन सिस्टम को एक पारम्परिक प्रणाली के हिसाब से विकसित किया गया है। इसमें कपाल क्रिया एवं पंच समिधा के लिए भी प्रावधान किया  गया है जो की हिंदु धर्म की एक महत्वपूर्ण रीति है। इसमें शवदाह के बाद भस्म को ट्रे में विसर्जन के लिए आसानी से इकट्ठा भी किया जा सकता है।