लखनऊ,सात दिन एक घाट पर चार सौ से अधिक दाह संस्कार के बीच ।

 



तैनात कर्मचारियो की जुबा पर ‘‘ अब बस भी करों प्रभु......,


लखनऊ। प्रेमशर्मा

आठ अप्रैल से मानो शहर को किसी की नजर लग गई हैं, क्या भैसा कुण्ड, क्या गुलाला, क्या वीआईपी रोड बैकुण्ट धाम, श्मशान,कब्रिस्तान हर जगह चिताएं ऐसी जल रही मानों अब रूकने का नाम ही नही लेगी। आठ दिनों से लगातार इस कार्य में जुटे नगर निगम के कार्मिकों के हौसले और साहस की बाॅत ही कया करे। सात दिनों में सिर्फ भैसाकुण्ड बैकुण्ठ धाम में चार सौ से अधिक चिताओं का दाह संस्कार करा चुके नगर निगम के युवा कर्मचारी रवि सिंह की बाॅत करे तो बोझिल आवाज, अन्दर से पीड़ा के बीच केवल इतना ही कि हे ईश्वर अब रहम करो। नगर निगम की तरफ से दाह संस्कार में लगाए कर्मचारी कितने घंटे की डियुटी कर रहे किसी को पता नही बस सामने शव दिखा और जुट गए अपनी डियुटी में न खाने का होश न घर की चिन्ता बस सामने शव और उनके परिजनों की पीड़ा देखकर ही इनका भी मन कहर उठता है। यही स्थिति गुलालाघाट, वीआईपी रोड,शमशान, कब्रिस्तान का है जहाॅ देखों बस चिताओं से उठती लपटे और मातमी मंजर नजर आ रहा है।  

कमजोर दिल वाला नहीं देख सकता था वो दर्दनाक मंजर कोरोना से मरने वालों के अंतिम संस्कार के लिए लखनऊ के बैकुण्ठ धामों और शमशान स्थलों में अब जगह कम पडने लगी है। हर रोज विश्राम घाट की क्षमता से ज्यादा शव पहुंच रहे हैं। प्रतिदिन करीब अलग अलग जगहों पर मिलाकर औसतन 150 अंतिम संस्कार हो रहे हैं। भैसाकुण्ड में सबसे ज्यादा दबाव है। एक अंतिम संस्कार की राख भी ठंडी नही होती और दूसरा शव पहुंच जाता है।  रवि बताते है कि .कोई बेटी अपने पिता को याद कर विलाप कर रही थी तो कहीं से आंसुओं में भीगी आवाज उभरती थी। कहीं पत्नी की आंखों से आंसुओं का सैलाब था तो कहीं बेटे के लिए मां का गला फटा जा रहा था। अर्थी उठती थीं और चीत्कार बढ़ता जाता था। हर तरफ मौत का मातम और चहुंओर करुण क्रंदन। देखकर लगता है कि यह सिलसिला कब थमेगा। बैकुण्ठ धाम में कोरोना संक्रमित मौतों के बाद  6 अप्रैल 18 अंतिम संस्कार ,7 अप्रैल 22 अंतिम संस्कार , 8 अप्रैल 18 अंतिम संस्कार, 9 को 22 तो दस अप्रैल को 65 कोरोना संक्रमित शवों का दाह संस्कार किया गया। रवि सिंह बताते है कि उन्होंने कभी सपने में नही सोचा था कि सेवा करने का ऐसा मौका आएगा कि आॅखे नम होगी और मन दुखी होगा.. उनके अनुसार 11 अप्रैल को 33 तथा 12 अप्रैल को 42 कोरोना संक्रमित शवों का भैसाकुण्ड  वैकुण्ठ धाम में अंतिम संस्कार कराया गया। इसके बाद तो जैसे संख्या बढ़ने लगी और 13 अप्रैल को 52 तो चैदह अप्रैल को 62 शवों का अंतिम संस्कार कराया गया।संख्या बढ़ रही आगे क्या होगा लेकिन अब तो खुदा खैर वाली स्थिति बन पड़ी है।