आधी अधूरी सूचना प्रकाशित कर स्लैब परिवर्तन चाह रही बिजली कम्पनिया

 



गुपचुप बिजलीदार जल्दबाजी में बढ़वाने की साजिश नही होगी कामयाबरू परिषद


 लखनऊ।प्रेमशर्मा

 विद्युत अधिनियम 2003 के तहत अभी बिजली दर को अंतिम रूप देने के लिए अभी 120 दिन बचे है फिर जल्दवाजी क्यों की जा रही है। यह प्रश्न बड़े संकेत देता है। नियामक आयोग के आदेश पर बिजली कम्पनियाॅ आधी अधूरी सूचनाए प्रकाशित कराकर जल्द से जल्द इस कोरोना काल में स्लैब परिवर्तन का प्रयास कर रही है। राज्य बिजली उपभोक्ता परिषद ने इस खुलासे के साथ कहा कि वह बिजली कम्पनियों को इस साजिश को कामयाब नही होने देगे।

    प्रदेश की बिजली कम्पनियो द्वारा  नियामक आयोग आदेश के तहत बिजली दर के सम्बन्ध में समाचार पत्रों पे छपवाई गयी आधीअधूरी सूचना  पर सवाल उठाते हुए कहा की बिना रेट शिडूल्ड व गैप की भरपाई के बारे में अस्पष्ट सूचना के प्रदेश की जनता व उपभोक्ता क्या आपतिया व सुझाव दाखिल करे इस कोरोना काल में जब लोग परेशन है तो ऐसे में बिजली कम्पनिया चोरे दरवाजे से स्लैब परिवर्तन लागु करने की साजिश में लगी है।उ.प्र. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष  अवधेश कुमार वर्मा ने आज विद्युत नियामक आयोग में एक जनहित याचिका दाखिल कर यह मुद्दा उठाया की आयोग अवगत ही है की वर्तमान में पूरा प्रदेश कोरोना प्रकोप से लड़ रहा है और हालत बहुत ही चिंता जनक है ऐसी बीच आज बिजली कम्पनियो द्वारा दाखिल वर्ष 2021-22 के लिये वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) सहित ट्रू-अप वर्ष 2019-20 व एपीआर वर्ष 2020-21 के लिए एक आधीअधूरी सार्वजानिक सूचना समाचार पत्रों में छपवाई गयी है और उसके न तो कोई रेट शिडूल्ड है और न ही गैप की भरपाई के बारे में कोइ सूचना । ऊपर से उसमे एक शासन के पत्र का रेफरेंस जिसका कोई तात्पर्य नहीं ऐसे में आम उपभोक्ता को अपनी बात रखने में बहुत ही असमंजश की स्थित है ऊपर से पता चल रहा है की विद्युत नियामक आयोग 30 अप्रैल से इस कोरोना प्रकोप के बीच सुनवाई शुरू करने जा रहा है जो इस समय जनहित में बिलकुल नहीं है। श्री वर्मा ने कहा वार्षिक राजस्व आवश्यकता (स्वीकार करने के बाद विद्युत अभिनियम 2003 के तहत आयोग के पास 120 दिन का समय है ऐसे में जनहित में कोरोना प्रकोप को देखते हुए आमजनता की बिजली दर पर सुनवाई की तिथि 1 माह कमसे कम आगे बढ़ायी जाय क्यों की उपभोक्ताओ को आपत्ति या सुझाव दाखिल करने के लिए अनेको साक्ष्य की जरूररत होती है ऐसे में कोविद के चलते कठिनाई होगी इसलिए कमसे काम सुनवाई व आपत्ति के लिए 1 माह का समय दिया जाय अन्यथा केवल औपचारिक ही होके रह जाएगी ।