प्रेम शर्मा,लखनऊ।
योगी सरकार की ओर से कोरोना के खिलाफ लड़ाई में मंगलवार को बड़ा फैसला लिया गया है। इसके तहत उत्तर प्रदेश में अब पत्रकारों और उनके परिवारों को वैक्सीनेशन में प्राथमिकता मिलेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिये हैं कि पत्रकारों के लिये अलग से वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जाएं और प्राथमिकता के आधार पर उनका वैक्सीनेशन किया जाए। उन्होंने अधिकारियों से कहा है कि सभी पत्रकारों को वैक्सीन लग जाए इसे सुनिश्चित कराएं। जरूरत हो तो मीडिया दफ्तरों में भी जाकर कोरोना वैक्सीन लगाने का अभियान चलाएं। पत्रकारों के परिवार में 18 साल से ऊपर के सभी लोगों को वक्सीन लगाई जाएगी।
कोरोना की लड़ाई में फ्रंट वॉरियर की तरह हमेशा ग्राउंड जीरो पर रिपोर्टिंग का जिम्मा संभालने वाले उत्तर प्रदेश के पत्रकारों की सुरक्षा के लिये यूपी सरकार की ओर से अब तक का सबसे बड़ा निर्णय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से लिया गया है। प्रदेश में समाचार पत्रों, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ ही वेब पोर्टल में काम करने वाले और फ्रीलांसर पत्रकारों की बड़ी संख्या है। पत्रकारों की कठिन ड्यूटी और काम के दौरान समय की कोई बाध्यता नहीं होती है। ऐसे में योगी सरकार ने पत्रकारों और उनके परिवारीजनों को कोरोना से बचाव के लिये वैक्सीन लगाने के निर्देश दिये हैं। मुख्यमंत्री के दिशा-निर्देश पर आला अधिकारियों ने प्राथमिकता के आधार पर पत्रकारों का वैक्सीनेशन करने और अलग से वैक्सीनेशन सेंटर बनाए जाने के काम को तेज गति से शुरू कर दिया है।
उत्तर प्रदेश में योगी सरकार अब पत्रकारों की मदद के लिए केंद्र की कल्याण योजना का लाभ देने जा रही है। अब इस योजना का लाभ गैर मान्यता प्राप्त और फ्रीलांसर भी उठा सकेंगे। योजना की पात्रता के लिए भारत सरकार या किसी राज्य व केंद्र शासित प्रदेश की सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त होना चाहिए। यदि मान्यता प्राप्त नहीं है तथा वे प्रिंट, इलेक्ट्रानिक अथवा वेब आधारित सेवाओं से पिछले कम से कम पांच वर्षों से जुड़े हैं तो भी वे इस योजना के दायरे में आएंगे। अपर मुख्य सचिव सूचना नवनीत सहगल ने बताया कि पत्रकार की मृत्यु होने पर उनके आश्रितों को 05 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दिए जाने का प्राविधान है। स्थाई दिव्यांगता के मामले में पत्रकार को 05 लाख रुपये, कैंसर, रीनल फेल्योर, बाई पास, ओपेन हार्ट सर्जरी, एंजियोप्लास्टी, ब्रेन हैमरेज और लकवाग्रस्त होने जैसी गंभीर बीमारी की दशा में 03 लाख रुपये तथा किसी गंभीर दुर्घटना के कारण उपचार के लिए अस्पताल में भर्ती होने पर 02 लाख रुपये देने का प्राविधान है।
प्रदेश में नए कोविड केस घटे और ठीक होने वालों की संख्या बढ़ी
- मंगलवार को 25,854 नए कोविड केस आएं 38,683 कोविड मरीज ठीक हुए
लखनऊ। दिल्ली से आठ गुना आबादी वाली उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ओर से दिये कोरोना के पूर्ण खात्मे का मंत्र श्टेस्ट, ट्रीट और ट्रेसश् असर दिखाने लगा हैं। सरकार द्वारा हर कोरोना संक्रमित मरीज के इलाज को लेकर किए जा रहे प्रबंधों और कोरोना से बचाव को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के तहत मोहल्ला प्रमुख का फार्मुले भी अब कारगर साबित होने लगा है। इसी का नतीजा है कि प्रदेश भर में कोरोना के टेस्ट बढ़ते जा रहे हैं और कोरोना संक्रमितों की संख्या घट रही है। कोरोना से ठीक हो रहे मरीजों के आंकड़े यह साबित कर रहें हैं, प्रदेश के लोगों के लिए यह अच्छी खबर है। राज्य में बीते 24 घंटों में 25,854 नए कोविड केस की पुष्टि हुई है, जबकि इसी अवधि में 38,683 लोग ठीक होकर अस्पतालों से अपने घर पहुंच गए हैं। प्रदेश में अब तक 10,81,817 लोगों ने कोविड को हराया है और अब यह लोग अपने परिवार के साथ हैं।
कोरोना की दूसरी लहर से संक्रमित हुए दस लाख से अधिक लोग अपने ठीक होने का श्रेय समय से हुई कोविड टेस्टिंग और उसके तुरंत बाद शुरू हो गए इलाज को देते हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का भी यही कहना है कि कोरोना संक्रमित हर व्यक्ति के इलाज और कोरोना के पूर्ण खात्मे का मंत्र श्टेस्ट, ट्रीट और ट्रेसश् ही है। इस पर अमल किया जाए। मुख्यमंत्री के इस मंत्र पर अमल करने का परिणाम है कि अब यूपी में हर दिन कोविड टेस्टिंग को लेकर नया रिकार्ड बना रहा है। यहीं नही राज्य में कोरोना से ठीक होकर अस्पतालों से घर जाने वाले मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है। कोरोना टेस्टिंग के आंकड़ों के अनुसार मंगलवार को 2,08,558 लोगों की कोरोना जांच की गई, जिसमें 1,18,000 टेस्ट केवल आरटीपीसीआर माध्यम से हुए। यूपी में अबतक 4 करोड़ 18 लाख दो सौ 23 कोविड टेस्ट किये जा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार यूपी में पिछले दस दिनों में लगातार टेस्टिंग की संख्या में इजाफा करके कोरोना संक्रमित मरीजों को पहचान कर उनके इलाज का रिकार्ड बना दिया है। 24 अप्रैल को 1,86000 टेस्ट हुए हुए तो मिले 38 हजार संक्रमित मरीज मिले थे। लगातार दस दिनों में हुई टेस्टिंग ने संक्रमण को कम करने के लिए बड़ा काम किया है। यही वजह है कि संक्रमितों की संख्या भी घटती जा रही है। कोविड जांच के अनुपात में संक्रमण जो पहले 22 प्रतिशत था, दस दिन में संक्रमण आधे से ज्यादा घटकर 10 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इसके साथ ही प्रदेश सरकार कोविड संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए प्रदेश में वैक्सीनेशन का कार्य तेजी से चला रही है। प्रदेश में अब तक कुल एक करोड़ 29 लाख 13 हजार 569 वैक्सीन के डोज दिए जा चुके हैं। इसमें 1,04,63,033 वैक्सीन की पहली डोज और 24 लाख 50 हजार 536 दूसरी डोज शामिल है।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश सरकार की ट्रेस्ट, ट्रीट और ट्रेस जैसी एग्रेसिव रणनीति की वजह से मरीज की जल्दी पहचान हो रही है और उसका इलाज हो जा रहा है। इसकी वजह से पॉजिटिविटी रेट भी घटने लगा है। क्योंकि टेस्टिंग के दौरान अस्वस्थ्य पाए जाने वाले व्यक्ति अब तुरंत इलाज शुरू कर दिया जाता है, जिसके चलते कोरोना संक्रमण पर अंकुश लग रहा है। इसके अलावा सरकार द्वारा प्रदेश भर में चलाए जा रहे विशेष स्वच्छता अभियान, सर्विलांस, वृहद स्तर पर शुरू हुआ टीकाकरण का अभियान, निगरानी समितियों की ओर से प्रवासियों की जांच जैसे कोरोना से लड़ने के हथियारों से सरकार कोरोना से जीतने में जुटी है। होम आइसोलेशन को बढ़ावा देकर मरीजों को दी जा रही डॉक्टरों की सलाह, दवाई भी इस कड़ी में कारगर साबित हुआ है। इन सबके परिणामों से प्रदेश की सेहत में सुधार आता जा रहा है। अब तो कोविड महामारी से गांवों को सुरक्षित रखने के लिए प्रदेश सरकार गांव-गांव में कोविड टेस्टिंग का अभियान चलाने जा रही है। पांच मई से शुरू होने वाले इस अभियान के तहत गांवों में दस लाख से अधिक एंटीजन टेस्ट करके कोरोना की घुसपैठ को गांवों में रोका जाएगा। ग्रामीण क्षेत्रों में एंटीजन टेस्ट करने के लिए 10 लाख एंटीजन किट उपलब्ध कराई गई है और 10 लाख से अधिक मेडिकल किट बांटे जाएंगे। एंटीजन टेस्ट में जो ग्रामीण कोरोना संक्रमित पाया जाएगा, उसका गांव में ही तत्काल इलाज शुरू किया जाएगा। कोरोना संक्रमित ग्रामीण को इलाज के लिए दवाई वाली एक कोविड किट और आयुष काढ़ा दिया जाएगा।