प्रेम शर्मा,लखनऊ।
पावर ट्रांसमिशन कम्पनी के वार्षिक राजस्व आवश्यकता पर आज विद्युत नियामक आयोग में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के तहत सार्वजनिक सुनवाई संपन्न उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ् ने कहा ट्रांसमीशन टैरिफ में बढोत्तरी का फिलहाल औचित्य नही है।उपभोक्ताओ द्वारा लिए गये कुल संयोजित भार और ट्रांसमिशन कंपनी के 132 के वी सबस्टेशनों की क्षमता में भारी अंतर उपभोक्ताओं का कुल भार 6 करोड 32 लाख किलोवाट 132 के वी सबस्टेशनों की कुल भार 4 करोड 53 लाख किलोवाट 2 करोड़ किलोवाट का अंतर उसमे सुधार के बजाय वर्तमान ट्रांसमिशन टैरिफ 0.23 पैसा प्रतियूनिट उसे सीधे बढ़ा कर 0.29 पैसा प्रति यूनिट 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी प्रस्तावित करना गलत है। नियामक आयोग ने सभी पक्षों के सुनने के बाद कहा कि मामले पर गम्भीरता ेेसे विचार के बाद फैसला लिया जाएगा।
उप्र पावर ट्रांसमिशन निगम लि. द्वारा विद्युत नियामक आयोग में दाखिल वार्षिक राजस्व आवश्यकता (एआरआर) वर्ष 2021-22 पर आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के तहत सार्वजनिक सुनवाई नियामक आयोग चेयरमैन आरपी सिंह की अध्यक्षता व सदस्य गण केके शर्मा व वीके श्रीवास्तव की उपस्थित में संपन्न कराई गयी। पावर ट्रांसमिशन निगम ने सुनवाई शुरू होते ही सबसे पहले एमडी ट्रांसमीशन श्री सेन्थिल पान्डियन व निदेशक द्वारा एक प्रजेन्टेशन के माध्यम से अपनी बात रखते हुए ट्रांसमिशन टैरिफ याचिका को अनुमोदित करने की मांग की गयी।वही उपभोक्ता परिषद् ने सबसे पहले ट्रांसमीसन कम्पनी द्वारा एमवाईटी रेग्यूलेशन के तहत एआरआर फाइल करने के लिये कम्पनी की तारीफ की गयी लेकिन बढ़ोतरी का कड़ा विरोध किया गया। आयोग चेयरमैन ने कहा आयोग सभी को सुन लिया है पूरे मामले को गम्भीरता से जाँच परख के बाद फैसला सुनाएगा। विद्युत उपभोक्तओ के तरफ से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में भाग लेते हुए राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा उप्र पावर ट्रांसमिशन निगम लि. द्वारा वार्षिक राजस्व आवश्यकतारुपया लगभग 3547 करोड़ माँगा है और ट्रांसमिसिन लॉस लगभग 3.33 प्रतिशत प्रस्तावित किया है। ट्रांसमिशन टैरिफ 0.2942 पैसा प्रति यूनिट माँगा है। इस पर उपभोक्ता परिषद अपनी कड़ी आपत्ति दर्ज कराते हुए खारिज करने की मांग की है। अपनी बात बिस्तार से रखते हुए कहा सबसे पहले ट्रांसमिशन अपना सिस्टम सही करे फिर टैरिफ बढ़ाने की बात करे ट्रांसमिशन कम्पनी ने अपना कैपिटल इन्वेस्टमेंट जो रुपया 5123 करोड़ बताया गया वह बहुत ज्यादा है फिजूल खर्ची पर अंकुश लगाने में नाकामयाब है। वर्तमान में ट्रांशमिशन टैरिफ जो लगभग 0.237 पैसा प्रतियूनिट है उसे सीधे बढ़ा कर 0.2942 पैसा प्रति यूनिट यानी की लगभग 23 प्रतिशत की बढ़ोतरी का प्रस्ताव पूरी तरह गलत है इसे खारिज किया जाना चाहिए। सबसे बडा चैकाने वाला मामला यह है की जो ट्रांसमिशन लॉसेस है 3.33 प्रतिशत वह भी ज्यादा है। आँध्रप्रदेश महाराष्ट्र राजस्थान की तरह ही ट्रांसमिशन लॉसेस अनुमोदन करना जरूरी किसी भी हालत में 2.86 प्रतिशत से ज्यादा न अनुमोदित किया जाय। वर्तमान में ट्रांसमीशन कम्पनी वर्तमान टैरिफ में 23 प्रतिशत की वृद्धि चाह रही है उसे क्या यह पता है कि वर्तमान में उसका सिस्टम मिसमैच है,पहले उसमें सुधार होना चाहिये। 132 के वी सबस्टेशनों की कुल क्षमता 52747 एमवीए है। उसे यदि किलोवाट में निकाला जाये तो वह 4 करोड 74 लाख किलोवाट होगा वहीं प्रदेश के लगभग 2 करोड 93 लाख विद्युत उपभोक्ताओं का कुल भार 6 करोड 32 लाख किलोवाट है। यानि कि सिस्टम व उपभोक्ताओं के भार के बीच लगभग 2 करोड का गैप ऊपर से 20 प्रतिशत बिजली चोरी वह भी 1 करोड किलोवाट के बराबर होगा। ऐसे में सिस्टम मिसमैच है पीक आवर्स में डायवर्सिटी फैक्टर 1 अनुपात 1 होगा जिससे उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्ता की बिजली नही मिल पायेगी। कंपनी का इससे पहले नियामक आयोग ने वर्ष 2020-21 में एम्प्लॉईकॉस्ट केवल रुपया 607 करोड़ अनुमोदित किया था अब वर्ष 2021-22 में रुपया 1020 करोड़ प्रस्तावित करना उचित नहीं ऐसी प्रकार वॉेएन्डम कॉस्ट आयोग द्वारा पहले रुपया 962 करोड़ अनुमोदित किया गया अब रुपया 1560 करोड़ प्रस्तावित करना उचित नहीं इसमे कटौती की जाय ।