हिन्दुस्तान वार्ता।
हम सभी तंबाकू सेवन के नुकसान के प्रति काफी हद तक जानते हैं फिर भी इसकी जब लत लगती है तो हम इसके नुकसान को दरकिनार करके इसके आधीन हो जाते हैं | 31 मई को विश्व में तंबाकू सेवन के प्रति लोगों को जागरूक करके, व शपथ दिलाकर इसके नुकसान व नशे से मुक्ति के लिए प्रतिवर्ष विश्व तंबाकू सेवन निषेध दिवस के रूप में बनाया जाता है |
तंबाकू के सेवन से घातक बीमारी ।
तंबाकू के सेवन से फेफड़ों और मुंह का कैंसर जैसी घातक बीमारी हो जाती है। तंबाकू खाने से फेफेडे पूरी तरह से खराब हो जाते हैं। एक बार कैंसर जैसी बीमारी होने पर जीवन बचाना बड़ा मुश्किल हो जाता है। तंबाकू के सेवन से ह्रदय रोग होने का खतरा रहता है।
नशा के लिए पागलपन में कुछ भी करेगा।
नशा के लिए कुछ भी करेगा यह कोरोना महामारी में तंबाकू या इसके उत्पादों के उपभोग पर रोक लगाने से लेकर प्रतिबंध खोलने तक के मंजर ने साबित कर दिया है वह आपको याद रहेगा| पिछले साल प्रतिबंध हटते ही क्या पागल पन था लोगों को रोटी के लिए भी इस तरह का नशा व लाइन में पुलिस के डंडे नही खाते देखा जितना गुटका ओर शराब के लिए । एक तरफ़ लोगों पर रोटी के और बाक़ी ज़रूरी चीज़ों के लिए पैसा नही था तो दूसरी तरह तंबाकू के लिये तीन गुनी रक़म अदा की गयी ।इसके सेवन की लत लगने वाला अपने घर में चोरी से भी नही चूकता ।सरकार ने भी राजस्व के कोरोना आपदा में अवसर काम किया |आज तिजोरी भर गई कल फिर इसकी चिकित्सा पर तिजोरी खोलनी होगी |
आधुनिकता ने तंबाकू को बढ़ावा ।
एक रिपोर्ट के मुताबिक वर्तमान में तंबाकू या नशा शुरू में शेखि और स्टाइल मारने के लिए फ़िल्मी हीरो को अपना रोल मॉडल मान कर शुरू हो जाता है |आज पुरुषों की तुलना में महिलायें भी पीछे नही हैं ग्रामीण परिवेश में पहले भी नशा करती थी लेकिन भारत के शहरी परिवेश में बेहिसाब वृद्धि होई हैं|जिसने दुनिया को चौका दिया |इस बात का आँकलन लगा सकते है कोई फ़िल्म महिला तंबाकू सिगरेट शराब के नही होती|
- आगरा का नशा मुक्ति में योगदान ।
याद होगा आगरा में 2 साल पहले एक विश्व की सामाजिक संस्था रोटरी इंटरनेशनल की आगरा शाखा द्वारा नो मिंस नो तंबाकू सेवन से मुक्ति के लिए एक अभियान चलाया था और उस अभियान से उन्होंने नव उदित बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक जगह-जगह 30 दिन तक अपने जागरूकता कार्यक्रम के साथ शपथ दिलाकर आगरा में अनेक लोगों को नशा से मुक्त कराया था |यह मुक्ति अभियान अन्य शहरों ने के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत बना था |तम्बाकू छोड़ने के लिए आगरा की एक संस्था एसओएस नाम की एक टीम बनाकर सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ साइकोलॉजी सलाह के साथ-साथ एक ऐसा मिक्सचर तैयार किया था जिसको लेने के बाद इसके निकोटीन लेने की जो तलब है वह उसको ना केवल खत्म करती थी बल्कि उसके प्रभाव को भी कम करती थी| आज भी यह संस्था अनेक जगह इस दवाई को मुफ्त रूप में या बहुत कम दाम पर इसका वितरण करती है| मनोचिकित्सक का कहना है जब तक तंबाकू सेवन करने वालों की इच्छाशक्ति नहीं होगी तब तक उसे छोड़ना बहुत मुश्किल होता है|
*कोविड-19 के दौरान नशा सेवन में कमी।
कोविड-19 के दौरान एक संस्था द्वारा किए गए सर्वेक्षण में ऐसा अनुमान है कि क़रीब 10लाख लोगों ने धूम्रपान बंद कर दिया था और 6.5 लाख लोग लोगों ने इसे छोड़ने का प्रयास किया था| करीब 24 लाख लोगों ने सिगरेट पीने की दर पहले से कम पाई गई |कहा जाता है कोविड-19 ने लोगों को तंबाकू, मसाला, धूम्रपान छोड़ने के लिए आपदा में अवसर प्रदान किया हैं|तम्बाकू का सेवन प्रत्येक व्यक्ति के लिए नुकसानदायक है |महामारी के दौरान इस घातक बीमारी से बचने के साथ-साथ धूम्रपान छोड़ने के लिए हमें एक आपदा को अवसर में बदलना होगा इसके लिए अपने चिकित्सक से ऑनलाइन संपर्क कर सकते हैं| निकोटिन रिप्लेसमेंट थेरेपी की सहायता ले सकते हैं छोड़ने के लिए परामर्श हेतु टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800 11 23 56 का उपयोग कर सकते है|
नशामुक्ति के किए विकल्प अपनाए।
धूम्रपान करने की इच्छा से बचने के लिए आप चीनी रहित च्युइंगम भी ले सकते हैं|इसके अलावा इलायची या सौंफ चबाने से भी धूम्रपान करने की इच्छा से लड़ने में मदद मिलती है|पेंसिल हाथ लगाये रखना से आदत को भुलावा दिलाता हैं|
तंबाकू सेवन का भारत में प्रतिशत।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक दुनिया भर के कुल धूम्रपाइयों में से 12 प्रतिशत भारत में हैं। तंबाकू के सेवन से होने वाली बीमारियों की चपेट में आकर दुनिया भर में हर साल लाखों से ज्यादा मौतें हो रही हैं।
तंबाकू निषेध दिवस का इतिहास।
साल 1987 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने तंबाकू के सेवन से होने वाले रोगों की वजह से मृत्युदर में वृद्धि को देखते हुए इसे एक महामारी माना। इसके बाद पहली बार 7 अप्रैल 1988 को WHO की वर्षगांठ पर मनाया गया और जिसके बाद हर साल 31 मई को विश्व तंबाकू निषेध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा|
*COVID-19 के साथ नशा बहुत गंभीर ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, "जब यह खबर सामने आई कि धूम्रपान न करने वालों की तुलना में धूम्रपान करने वालों में COVID-19 के साथ गंभीर बीमारी विकसित होने की संभावना अधिक थी, तो इसने लाखों धूम्रपान करने वालों को तंबाकू छुड़ाना चाहा ..." . वर्ल्ड नो टोबैको डे डब्ल्यूएचओ का कहना है, ''आज का दिन 1 हो सकता है'' तंबाकू छोड़ने के प्रयास में।
कोविड 19 में दुनिया भर में 1.3 बिलियन तंबाकू उपयोगकर्ताओं में से 70 प्रतिशत से अधिक के पास उन उपकरणों तक पहुंच नहीं है जिनकी उन्हें सफलतापूर्वक छोड़ने की आवश्यकता है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि समाप्ति सेवाओं तक पहुंच में यह अंतर पिछले वर्ष में और अधिक बढ़ गया है क्योंकि स्वास्थ्य कर्मचारियों को महामारी से निपटने के लिए जुटाया गया है।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2021 की थीम ।
विश्व तंबाकू निषेध दिवस 2021 की थीम और अभियान: कमिट टू क्विट।
इस वर्ष विश्व तंबाकू निषेध दिवस की थीम है: विजेता बनने के लिए तंबाकू छोड़ो। कई अभियान सामग्रियां हैं , जिनका व्यापक रूप से लोगों को तंबाकू के उपयोग के खतरों के बारे में बताने के लिए उपयोग किया जा सकता है। आप #CommitToQuit का उपयोग करके लोगों को तंबाकू छोड़ने में मदद करने के लिए हमारे आस-पड़ोस में क्या किया जा सकता है, इसकी तस्वीरें और विचार ट्विटर और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी पोस्ट कर सकते हैं।
- सामाजिक संगठन दुःखी व सलाह ।
सरकार को एक ओर राजस्व का लाभ है तो दूसरी तरफ़ सबसे बड़ा नुक़सान मानव जाति का भी है ।मुझे लगता सरकार की नीयत और नीति बिल्कुल साफ़ होनी चाहिये उसे अपना स्पष्ट विचार रखना चाहिये ।सरकार या तो आज के सिस्टम पर चले या सरकार को तंबाकू उद्योग के राजस्व का लोभ छोड़े व इसके साथ ही तंबाकू उद्योग और इससे संबंधित कार्यक्षेत्रों से जुड़े करीब करोड़ लोगों की रोजी-रोटी अन्य कार्य से ले ।भारत किसान प्रधान व मेहनतकश देशवासी तंबाकू छोड़ अन्य खेती कर सकते हैं उससे राजस्व और रोजगार मिल सकता| अगर वह राजस्व की चाह रखती है तो सरकार और सरकार से जुड़ी तंबाकू सेवन की दुष्प्रचार में लगे लोग व संस्था और सामाजिक संस्थाओ की मेहनत पर हम पानी फेर देंगे यह कहावत सत्य होगी **कुल्हाड़ी पर पैर रखना *।
राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से
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फोन नंबर 98370 97850
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