कोरोनाकाल में चुनाव डियुटी से अनुुपस्थित कार्मिकों पर कार्रवाई न करें शासन: परिषद

 



प्रेम शर्मा,लखनऊ। 

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष इं. हरिकिशोर तिवारी और महामंत्री शिवबरन सिंह यादव ने संयुक्त रूप से मुख्य सचिव को पत्र लिखकर कोरोना काल में चुनाव डियुटी में अनुपस्थित कार्मिकों शिक्षकों पर कार्रवाई न करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि चुनाव डियुटी में लगाए गए कुछ कार्मिकों और शिक्षकों के सामने परिवारिक या व्यक्तिगत तौर पर बीमारी या कोरोना के लक्षण के चलते ऐसी स्थिति बनी की वे चाहकर भी चुनाव डियुटी पर नही पहंुच पाए। उन्होंने कहा कि अगर जो स्थिति है उन स्थितियों में कार्मिकों और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई की गई तो यह नैसर्गिक न्याय के विपरीत होगी। ऐसे में शासन को तत्काल प्रभाव से इस सम्बंध में दिशा निर्देश जारी करना चाहिए कि इस चुनाव के दरम्यान न पहुचने वालें कार्मिको के खिलाफ कोई कार्रवाई न की जाए। 

श्री तिवारी एवं श्री यादव ने मुख्य सचिव को सम्बोधित पत्र में लिखा कि कोरोना संक्रमण के बीच प्रदेश में पंचायत का चुनाव चरणबद्ध तरीके से प्रदेश के कार्मिकों और शिक्षकों ने सम्पन्न कराया। तीसरे चरण तक संक्रमण की लहर बढ़ते देख परिषद सहित तमाम अन्य संगठनों ने दो मई की मतगणना को रोकने का आग्रह किया, इसके लिए सवोच्च न्यायालय की शरण ली गई लेकिन सरकारी पक्ष के वकील द्वारा शासन स्तर पर 29 तरीको को जारी गाइड लाइन जारी कराके उसे सर्वोच्च न्यायालय में प्रस्तुंत करते हुए बेहतर प्रबंधन का विश्वास दिलाया गया। एक मई को मुख्य सचिव द्वारा नामित कमेटी में शासन के आला अफसर अवनीश अवस्थी, विजय किरन आनंद, मनोज कुमार सिंह की उपस्थित में हुई बैठक में कर्मचारी और शिक्षक नेताओं को आश्वासन दिया गया कि गाइड लाइन का शतप्रतिशत पालन किया जाएगा। परन्तु मतगणना के दौरान मतगणना स्थलों संसाधन की बाॅत न भी करे तो सोशल डिस्टेसिंग और बिना मास्क भीड़ का नजारा रोकने में प्रशासन असफल साबित हुआ। इसका परिणाम धीरे धीरे ग्रामीण क्षेत्रों में दिखाई पड़ने लगा है। उस डियुटी से कितने कार्मिक और शिक्षक संक्र्रमित होगें। इसका स्प्रेड कितने घरों तक पहुंचेगा यह कहना फिलहाल जल्दबाजी होगा। वैसे भी प्रदेश सरकार अपने लगभग दो हजार कार्मिक और शिक्षकों को इस कोरोना काल में खो चुकी है। उन्होंने पुनः दोहराया कि विपरीत परिस्थित में अगर कुछ कार्मिक शिक्षक डियुटी विरत रहे तो संवेदनशीलता का परिचय देते हुए उन कार्मिकों पर किसी प्रकार की कोई कार्रवाई न की जाए।