प्रेम शर्मा,लखनऊ।
सचिवालय कर्मचारी संघ के अध्यक्ष यादवेन्द्र मिश्रा और महामंत्री ओंकार तिवारी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से कोरोना वायरस के भीषण संक्रमण को देखते हुए अनिवार्य सेवाओं को छोड़कर सचिवालय सहित पूरे प्रदेश के समस्त शासकीयध्अर्द्धशासकीय कार्यालयों को बन्द कराकर ’’वर्क फ्राॅम होम’’ प्रक्रिया अपनाये जाने तथा कोरोना संक्रमण से मृत्यु की दशा में मृतक आश्रितों को 50.00 लाख की एकमुश्त अनुग्रह धनराशि समय पर दिये जाने की मांग की है।
यादवेन्द्र मिश्रा और ओंकार तिवारी ने पत्र के माध्यम से कहा कि कोरोना महामारी की वर्तमान वैश्विक आपदा में अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए सैकड़ों सचिवालय कर्मचारी,अधिकारी संक्रमण के शिकार हुए हैं तथा यथोचित उपचार के अभाव में अनेकों कार्मिकों की दुखद मृत्यु हो गयी है। अभी भी अनेकों कार्मिक जीवन और मृत्यु से संघर्ष कर रहे हैं। कोरोना वायरस की अभी तक न तो कोई दवा बन सकी है और न ही इसका कोई सटीक व गारण्टीशुदा इलाज उपलब्ध है। यही कारण है कि सामान्य नागरिकों व कर्मचारियों के साथ ही साथ प्रान्तीयध्भारतीय प्रशासनिक सेवा के अनेकों अधिकारियों, मविधायकों, सांसदों, मंत्रीगणों तथा अन्य सांविधानिक पदों पर बैठे अनेकों माननीयों को कोरोना संक्रमण से बचाया नहीं जा सका और समुचित इलाज के अभाव में उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ा। यह क्रम अभी भी बदस्तूर जारी है।कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव हेतु विश्व स्वास्थ्य संगठन, प्रधान मंत्री,मुख्य मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री , चिकित्सा सेवा के विशेषज्ञ तथा डाक्टर्स आदि बराबर यही अपील कर रहे हैं कि ’’घर में रहें, सुरक्षित रहें, बिना किसी आवश्यक कार्य के घर से बाहर न निकलें।’’ यही नहीं, चिकित्सालयों,कोविड उपचार केन्द्रों पर बेडध्वेन्टीलेटर्स एवं आक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता न होने के कारण संक्रमित कर्मचारी व आम नागरिक एम्बुलेंस अथवा निजी वाहनों में तड़पते हुए मृत्यु को प्राप्त हो रहे हैं। न कोई सुनने वाला है न कोई देखने वाला। कोरोना के वर्तमान भीषण संक्रमण से चारों तरफ भय व्याप्त है। ऐसी स्थिति में कोरोना संक्रमण से बचाव एवं रोकथाम तथा अनिवार्य सेवाओं से जुड़े विभागों के अधिकारियों,कर्मचारियों को छोड़कर सचिवालय सहित पूरे प्रदेश के समस्त शासकीय,अर्द्धशासकीय कार्यालयों को बन्द कराकर ’’वर्क फ्राॅम होम’’ की प्रक्रिया अपनायी जानी चाहिए, अन्यथा प्रतिदिन कोरोना संक्रमण से हो रही सैकड़ों मौतों पर अंकुश लगाया जाना सम्भव नहीं हो सकेगा।अकल्पनीय एवं असामयिक मृत्यु की दशा में मृतकों के आश्रितों को रू0 50.00 लाख की एकमुश्त अनुग्रह राशि दिया जाना नितान्त आवश्यक है।