जीएसटी: अधिकारी व्यापारियों का बढ़ाएं आत्म विश्वास : उन्हें डराए नहीं।
समय-समय पर अधिकारियों एवं व्यापारियों के बीच संवाद की है आवश्यकता: अध्यक्ष।
किन्ही कारण से देरी से दाखिल होने वाले टैक्स और रिटर्न पर लेटफीस समाप्त होनी चाहिए।
सरकार शीघ्र ही जीएसटीआर-2 को पोर्टल पर एक्टिवेट कर व्यापारियों को परेशनी से बचाये
सरकार जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को महामारी में मृत्यु होने पर दे बीमा लाभ।
जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को सरकार की गांरटी पर )ण उपलब्ध कर।
आगराः हिन्दुस्तान वार्ता(धर्मेन्द्र कु.चौधरी )
नेशनल चेंबर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित एक वेबीनार में व्यापारियों के बीच वार्ता कर जीएसटी के सुधार पर चर्चा की गई। बैठक का उद्घाटन करते हुए चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने कहा कि जीएसटी को लोकप्रिय बनाने के लिए विभागीय अधिकारियों और व्यापारियों के बीच वार्ता होती रहनी चाहिए, ताकि दोनों पक्ष एक दूसरे की परेशानियों को शेयर कर सके और स्थानीय स्तर पर आने वाली समस्याओं का हल निकलते रहे। कोरोना काल को देखते हुए सरकार अपै्रल एव मई के टैक्स जमा करने एवं मासिक रिटर्न दाखिल करने की अंतिम तिथि सितम्बर 21 को बढ़ाया जाना चाहिए। जैसा कि गत वर्ष सरकार ने राहत प्रदान की थी। लेटफीस और टैक्स पर लगने वाला ब्याज भी माफ कर देना चाहिए।
बैठक संयोजक पराग सिंहल ने बैठक का संचालन करते हुए कहा कि सरकार को चाहिए कि जीएसटी में पंजीकृत व्यापारियों को उनके तीन वर्ष के कुल टर्नओवर को जोड़ कर कम से कम 20 प्रतिशत तक बैंक को लोन उपलब्ध कराये, जिसकी गारंटी सरकार को विभाग के माध्यम से लेनी चाहिए, क्योंकि विभाग के पास पंजीकृत व्यापारी को पूर्ण केवाईसी होता है अतः वसूली में कोई दिक्कत नहीं आएगी। यदि व्यापारी लोन का भुगतान नहीं करता है तो विभाग उसी प्रकार से वसूली कर सकता जैसे बकाया टैक्स वसूली करने के लिए खाता सील कर देता है। सरकार को चाहिए कि जीएसटी एक्ट के माध्यम से व्यापारी को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करे ताकि व्यापारी खुलकर व्यापार कर सके, पंजी की कमी न रहे, जिससे सरकार को अधिक से अधिक टैक्स मिल सकेगा।
चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने आनलाईन बैठक की अध्यक्षता करते हुए विचार व्यक्त किया कि जुलाई 2017 से अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के अन्तर्गत लागू माल एवं सेवाकर अधिनियम में आज भी बहुत से सुधार की आवश्यकता है। सरकार को चाहिए कि इस कानून में ऐसी व्यवस्था हो जिससे करदाता स्वयं को प्रोत्साहित हो। साथ ही कहा कि जुलाई 2017 से लागू जीएसटी कानून अभी पूरी तरह से धरातल पर नहीं आ सका है लेकिन जीएसटी के माध्यम से देश का करदाता सरकार को भरपूर राजस्व प्रदान कर रहा है। जिसका उदाहरण अपै्रल 2021 में कुल संग्रह आंकड़ा दिखा रहा है। उल्लेखनीय है कि अपै्रल 21 में सरकार को कुल राजस्व 1,41,384 लाख करोड़ रुपये रहा, जोकि अभी तक का सर्वोच्च आंकड़ा है।
आनलाईन बैठक में आगरा के कर विशेषज्ञ अधिवक्ता डी सी शर्मा ने अपने विचार रखते हुए कहा कि जीएसटी के अन्तर्गत विभाग द्वारा टैक्स आरोपित किये जाने के बाद अपील किये जाने का प्रावधान जो एक्ट की धारा-107 में दिया गया है, वह अभी पूरी तरह से काम नहीं कर पा रहा है। प्रावधान के अनुसार कर निर्धारण होने या सचल दल द्वारा टैक्स आरोपित किये जाने के बाद जहां कार्यवाही करते हुए टैक्स आरोपित किया गया है, वहीं अपील करनी होती है। इसमें दिक्कत यह आती है कि मान लो रांची के व्यापारी के वाहन सचल दल आगरा ने अधिग्रहित करते हुए टैक्स आरोपित कर दिया है तो रांची के व्यापारी को आगरा में ही अपील दाखिल करनी होगी, यह गलत है। दूसरे स्थानीय ग्रेड-2 द्वारा निस्तारित की जाने अपील की अगली सुनवाई के लिए अभी ट्रिब्यूनल स्थानित नहीं हो पायी है, जिसके कारण करदाता को सीधे उच्च न्यायालय की शरण लेनी पड़ती है। प्रत्येक करदाता उच्च न्यायालय में जाने की हिम्मत नहीं कर पाता है। अतः सस्ता एवं सरल न्याय पाने के लिए शीघ्र ही ट्रिब्यनूल की स्थापना होनी चाहिए।
अगले वक्ता के रुप में अधिवक्ता श्रीमती रुचि अग्रवाल ने पंजीयन एवं रिवोकेशन पर विचार व्यक्त करते हुए कहा कि यदि व्यापारी द्वारा किन्हीं कारणों से समय से टैक्स और रिटर्न दाखिल नहीं कर पाया है तो विभाग उसको पंजीयन निरस्त करने करने के लिए धारा-46 में नोटिस जारी कर देता है, और निर्धारित समय में जवाब न देने की स्थिति में पंजीयन को निरस्त कर दिया जाता है, यह ऐसे करदाता के प्रति विभागीय व्यवहार अच्छा नहीं है। सरकार को सोचना चाहिए कि जो करदाता राजस्व के रुप में टैक्स एकत्र कर देश को दे रहा है, सरकार को उसके प्रति सकारात्मक व्यवहार करना चाहिए न कि दंडात्मक, विभाग को यह जानना चाहिए कि किन परिस्थिति में वह टैक्स जमा नहीं कर पाया है और रिटर्न भी। इस बारे में उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने एक वाद में करदाता के पक्ष में निर्णय किया था। अतः रिवोकेशन सम्बन्धित नियम और प्रक्रिया को व्यावहारिक बनाना चाहिए। एक्ट में इस सुविधा के लिए धरा-149 में सुविधा प्रदान की गई, परन्तु सरकार ने आज इस धारा को अधिसूचित नहीं किया है।
उद्यमी प्रदीप अग्रवाल ने बोलते हुए कहा कि जीएसटी में सबसे बड़ी दिक्कत यह आ रही है कि जिससे हम खरीद कर रहे हैं, उसने यदि हमारी खरीदों को जीएसटीआर-1 के माध्यम परजीएसटीएन पोर्टल अपलोड नहीं किये गये जबकि हमारे द्वारा आईटीसी क्लेम कर ली है तो इस विभाग खरीदार से क्लेम की हुई आईटीसी को रिवर्स करने का नोटिस कर देता है, साथ में ब्याज की मांग भी करता है। इस प्रकार खरीदार पर दोहरा टैक्स की मार पड़ रही है।
अन्य उद्यमी महेन्द्र जैन ने कहा कि कृषि यंत्रों पर लागू जीएसटी की दरें बहुत ही अव्यावहारिक है। उदाहरण देते हुए कहा कि कृषि यंत्रों में प्रयोग होने वाली पुली को पहले 28 प्रतिशत की दर से टैक्स वसूला जा रहा था, जब तत्कालीन वित्त राज्य मंत्री अर्जुन सिंह मेघवाल से मिलकर अपना पक्ष रखा तो सरकार ने 18 प्रतिशत की दर निर्धारित कर दी लेकिन कृषि यंत्र पर जीएसटी 5 प्रतिशत होना चाहिए ताकि अन्नदाता पर टैक्स का बोझ कम पड़े।
उद्यमी मोहित गर्ग ने कहा कि वर्तमान में लाॅकडाउन के दौरान अपै्रल 21 के रिटर्न दाखिल करने अंतिम तिथि में जो छूट प्रदान की है उसको बढ़ाया जाना चाहिए, जबकि आज भी 22 राज्यों में कोरोना के कारण लाॅकडाउन लगा हुआ है ऐसी स्थिति में इन तिथियों को बढ़ाया जाना बहुत जरुरी हो गया है। साथ ही विचार व्यक्त करते हुए कि सरकार को चाहिए कि करदाता को प्रोत्साहित कि वह अधिक से अधिक टैक्स जमा करें जिसके लिए जीएसटी की औपचारिकताओं में कमी करनी चाहिए और अर्थदंड एवं ब्याज आदि दरों में कटौती करनी चाहिए। साथ ही सरकार को क्रांतिकारी निर्णय ले कि जो करदाता जिसता टैक्स जमा कर रहा है उसको उसके अनुपात में मेडिक्लेम उपलब्ध कराये ताकि व्यापारी अपने प्रति और अपने परिवार के प्रति चिंतामुक्त रह कर व्यापार कर सके।
बैठक संयोजक पराग सिंहल ने कहा कि जीएसटी कानून सरकार को अधिक राजस्व प्रदान करने वाला कानून है लेकिन इस कानून में यही मंशा दिखायी देती है कि करदाता पर कैसे कार्यवाही करने का अवसर प्राप्त हो, जबकि होना यह चाहिए कि करदाता को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करें ताकि जिससे देश का व्यापारी चिंतामुक्त होकर कम से कम औपचारिकता निभाये व्यापार कर सके। साथ ही मांग की कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश सरकार ने जो व्यापारियों के लिए दुघर्टना बीमा योजना लागू की हुई है उसमें महामारी या आपदा से मृत्यु होने पर बीमा का लाभ मिले, यह प्रावधान जोड़ा जाए। आगे कहा कि सरकार को शीघ्र ही खुदरा व्यापार नीति को लागू करें क्योंकि भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में आज भी खुदरा व्यापार का बहुत बड़ा हाथ है। खुदरा व्यापार नीति लागू करने से प्रत्येक क्षेत्र एवं यहां तक ग्रामीण क्षेत्र के खुदरा व्यापारी भी संगठित होकर मतबूती के साथ व्यापार करने लगेगा, जिससे सरकार को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रुप से राजस्व प्राप्त होगा। साथ ही कहा कि जीएसटी एक्ट की धरा-67 में सर्च या सर्वे किये जाने पर विभाग द्वारा अघोषित माल को जब्त करते हुए उस माल पर टैक्स के साथ अर्थदंड आरोपित करने का अधिकार दिया गया है, साथ सक्षम अधिकारी व्यापारी को गिरफ्तार करने का भी अधिकार है, सरकार को यह सोचना चाहिए कि व्यापारी जो सरकार को टैक्स दे रहा है, उसके साथ इस प्रकार का व्यवहार बिल्कुल ही अनुचित एवं विधि विरु( है, यदि आप आयकर कानून को देंखें तो उसमें भी कहीं भी माल जब्त करने और गिरफ्तार करने का प्रावधान नहीं है। इसी प्रकार एक्ट की धारा-71 विभाग को असीमित अधिकार प्रदान करता है अतः इस धारा को तुरन्त प्रभाव से हटा देना चाहिए।
धन्यवाद ज्ञापन बैठक संयोजक parag singhal द्वारा किया गया तथा इस वेबीनार की zoom conference व्यवस्था आईटी प्रकोष्ठ के चेयरमैन मयंक Mittal द्वारा किया गया
बैठक में उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, सुनील सिंघल, कोषाध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल सौमेन्द्र जैन, अतिम सिंघल आदि ने भी विचार व्यक्त किये। इसके अलावा सदस्यों में राहुल राना संजय जैन मनीष कुमार गुप्ता मुकेश गर्ग आदि ने वेबीनार में प्रतिभाग किया।