प्रेम शर्मा,लखनऊ।
आज राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ प्र के महामंत्री अतुल मिश्रा ने स्वास्थ्यकर्मियों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने संबंधी शासनादेश और महानिदेशक के प्रस्ताव को भ्रमित करने वाला बताते हुए चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण के सभी कर्मियों हेतु प्रोत्साहन राशि की मांग की है । इसके साथ ही रणनीति तय करने हेतु परिषद ने कल चिकित्सा स्वास्थ्य के सभी संवर्गो के पदाधिकारियों की वर्चुअल बैठक बुलाई है ।
श्री मिश्रा ने बताया कि मुख्यमंत्री की घोषणा के विपरीत बताया कि 6 मई, 2021 को आलोक कुमार प्रमुख सचिव, चिकित्सा शिक्षा,उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमित मरीजों के उपचार हेतु कोविड चिकित्सालयों में तैनात चिकित्सकों, नर्सों, पैरामेडिकल स्टाफ एवं सफाई कर्मियों को मूल वेतन नियत मानदेय पर 25 प्रतिशत तथा कोविड-19 सैंपल की जांच हेतु जांच लैब एवं उनसे संबंधित क्षेत्रों में तैनात लैब टेक्नीशियन, डाटा एंट्री ऑपरेटर, लैब अटेंडेंट को मूल वेतन मानदेय की धनराशि पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रोत्साहन धनराशि भुगतान किए जाने का शासनादेश निर्गत किया गया है। वैश्विक महामारी कोविड-19 के संक्रमण को रोकने व उपचार में चिकित्सा स्वास्थ्य, शिक्षा व परिवार कल्याण के समस्त कर्मचारी अपनी व अपने परिवार की जान की परवाह किए बगैर पूर्ण मनोयोग से सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य संपादित कर, महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। बड़ी संख्या में कर्मी दिवंगत भी हो गए जिनका सरकार द्वारा घोषित 50 लाख की राशि ,मृतक आश्रित को नौकरी व देयकों के भुगतान में अधिकारियों द्वारा रुचि न लेने की दशा में लंबित है।04 मई, 2021 को मा मुख्यमंत्री जी द्वारा कोविड-19 में कार्यरत समस्त स्वास्थ्य कर्मियों को 25 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि प्रदान करने की घोषणा की गई तो प्रदेश के कर्मचारियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। परन्तु अत्यंत खेद का विषय है कि 6 मई 2021 को चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा उक्त राशि प्रदान करने के संबंध में शासनादेश जारी किया गया उसमें आंशिक रूप से कर्मचारियों व चिकित्सकों को सम्मिलित किया गया परन्तु विभिन्न दैनिक समाचार पत्रों में प्रकाशित खबर के अनुसार प्रत्येक चिकित्सा कर्मी, चिकित्सक, नर्सेज फार्मेसिस्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, लैब टेक्नीशियन, एक्सरे टेक्नीशियन आदि सभी प्रोत्साहन के हकदार बताए गए थे। परंतु शासन द्वारा जारी शासनादेश सरकार की मंशा के विपरीत सीमित कर दिया गया, जिसमें केवल कोविड-19 वार्ड एवं जांच में लगे कर्मियों को प्रोत्साहन राशि दिए जाने के आदेश निर्गत किए गए। तदउपरांत महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य द्वारा एक प्रस्ताव प्रेषित किया गया, जिसमें कोविड में कार्यरत कर्मचारियों में भी कई जनपदों के नाम और कई संवर्गो का नाम नहीं है फार्मेसिस्ट, एक्स-रे टेक्निशियन, फिजियोथैरेपिस्ट ,प्रयोगशाला सहायक ,बेसिक हेल्थ वर्कर आदि का भी नाम छोड़ दिया गया। जिससे प्रतीत होता है कि माननीय मुख्यमंत्री जी की मंशा कुछ और है, शासन ने उस में कटौती करके उसे थोड़ा सीमित किया और महानिदेशक द्वारा उसे और ज्यादा सीमित कर दिया गया जिससे स्पष्ट होता है कि जानबूझकर कर्मचारियों को चिढ़ाया जा रहा है, जिससे कर्मचारियों के मनोबल में कमी के साथ आक्रोश पैदा किया जा रहा है।