प्रेम शर्मा,लखनऊ।
विद्युत अभियंता संघ ने उत्पादन निगम के निदेशक मण्डल ने मुख्य अभियन्ताओं को अपमानित एवं उत्पीड़न करने वाला आदेश को निरस्त करने तथा संक्रमित विद्युत अभियन्ताओं व कर्मचारियों को मिले बेहतर इलाज की मांग की है।
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष वी.पी.सिंह एवं महासचिव प्रभात सिंहकोरोना से संक्रमित तथा दिवंगत हो रहे अभियन्ताओं एवं अधीनस्थ कर्मचारियों की बढ़ती संख्या से दुखी एवं चिन्तित विद्युत अभियन्ता संघ ने ऊर्जा निगम प्रबन्धन से पुनः अपील की है कि वर्तमान में कोरोना वायरस से संक्रमित हो रहे अभियन्ताओं एवं अधीनस्थ कर्मचारियों व उनके परिजनों को उच्च स्तर की चिकित्सा सुविधा प्राथमिकता पर उपलब्ध करायी जाये व इसका पूर्ण व्यय कारपोरेशन द्वारा वहन किया जाये तथा रिइम्बर्समेण्ट व्यवस्था समाप्त की जाये। साथ ही विद्युत अभियन्ताओं एवं अधीनस्थ कर्मचारियों को ‘फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स’ का दर्जा देते हुए सभी अभियन्ताओं एवं अधीनस्थ कर्मचारियों व उनके परिजनों का प्राथमिकता पर तत्काल टीकाकरण कराया जाये। कोरोना संक्रमण से दिवंगत हुए अभियन्ताओं के परिजनों को सरकार द्वारा निर्धारित रूपये 50 लाख की सहायता दिलवाई जाये। विद्युत अभियन्ताओं ने वर्तमान कोरोना संकटकाल में ‘आपदा के अवसर’ का लाभ उठाते हुए उ0नि0लि0 के निदेशक मण्डल द्वारा मुख्य अभियन्ता पदों पर तैनाती का नियमविरुद्ध, अपमानजनक, उत्पीड़नात्मक व भ्रष्टाचार को पनपाने वाला आदेश तत्काल निरस्त करने की मांग की।
वी.पी. सिंह एवं महासचिव प्रभात सिंह ने कहा कि उत्पादन, पारेषण व वितरण के अभियन्ता अपनी जान जोखिम में डालकर विद्युत आपूर्ति एवं अन्य कार्य फ्रंटलाइन वर्कर के रूप में कर रहे हैं एवं सैकड़ों की संख्या में अभियन्ता संक्रमित हैं जिन्हें उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है। दुर्भाग्यवश कई अभियन्ता व कर्मचारी इस कोरोना संक्रमण की भेंट चढ़ गये हैं परन्तु प्रदेश के कुछ जिलों में जिला प्रशाशन से अपेक्षित सहियोग चाहे वो दवाई हो या हॉस्पिटल मैं बेड न मिल पाने के कारण अभियन्ताओं एवं अधीनस्थ कर्मचारियों में रोष है।उन्होंने आगे बताया कि वर्तमान कोरोना संकटकाल में, जब प्रत्येक व्यक्ति जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है, उत्पादन निगम के निदेशक मण्डल ने मुख्य अभियन्ताओं को अपमानित एवं उत्पीड़न करने वाला आदेश पारित किया है जिसके अनुसार वरिष्ठ मुख्य अभियन्ता की अनदेखी कर कनिष्ठ मुख्य अभियन्ताओं को विद्युत गृहों का परियोजना प्रमुख बनाया जायेगा। यह नियमविरूद्ध है एवं चाटुकारिता की संस्कृति को बढ़ावा देने वाला है तथा निश्चित रूप से इससे भ्रष्टाचार पनपेगा। वहीं दूसरी ओर बड़ी ताप विद्युत परियोजनाओं पर कनिष्ठ अभियन्ता को परियोजना प्रमुख बनाये जाने से परियोजना की गुणवत्तापूर्ण संचालन पर विपरीत प्रभाव पड़ने से इंकार नहीं किया जा सकता। अतः प्रश्नगत निर्णय तत्काल निरस्त किया जाये।