हिन्दुस्तान वार्ता, नोएडा।
कोविड 19 के दौरान स्वास्थय देखभाल की वस्तुओं की आपूर्ति श्रृंखला में उत्पन्न चुनौतियों और आपूर्ती श्रृखंला बेहतर बनाने में तकनीक के उपयोग की जानकारी छात्रों को प्रदान करने के सीआईआई स्कूल आॅफ लाॅजिस्टिक्स, एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा छात्रों के लिए ‘‘ तकनीकी के साथ भारत में स्वास्थय देखभाल आपूर्ति श्रंृखला मे ंसुधार ’’ विषय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार में भारत सरकार के बड़े उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय के संयुक्त निदेशक डा नितिन अग्रवाल ने ‘‘भारत में स्वास्थय देखभाल आपूर्ति श्रंृखला मे ंसुधार ’’ विषय पर व्याख्यान प्रदान किया। इस अवसर पर सीआईआई स्कूल आॅफ लाॅजिस्टिक्स, एमिटी विश्वविद्यालय की निदेशिका डा अनिता कुमार ने डा अग्रवाल का स्वागत किया।
वेबिनार में भारत सरकार के बड़े उद्योग एवं सार्वजनिक उपक्रम मंत्रालय के संयुक्त निदेशक डा नितिन अग्रवाल ने ‘‘ भारत में स्वास्थय देखभाल आपूर्ति श्रंृखला मे ंसुधार ’’ विषय पर जानकारी देते हुए वर्तमान समय में कोरोना के दौरान विभिन्न वस्तुओं जैसे आक्सीजन सप्लाई, वैक्सीन सप्लाई, फार्मा सप्लाई, डाग्नाॅस्टिक किट, सुरक्षा शिल्ड, हवाई यात्रा, हाॅस्पीटल बेड केस, चिकित्सक सलाह आदि पर आधारित केस स्टडी के संर्दभ में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हुए आपूर्ति व्यवधान के कारणों, सरकार द्वारा किये गये प्रयासों कों बताया। डा अग्रवाल ने कहा कि प्रथम वैक्सीन चरण जनवरी 13 से प्रारंभ किया गया जिसमें हेल्थकेयर वर्कर, 45 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को वैक्सीन लगाई जा रही थी, द्वितीय चरण जो मई 01 से प्रारंभ हुआ उसमें 18 से उपर वाले सभी लोगो ंको शामिल किया गया। जिसमें केंद्र सरकार ने सीरम और बायोटेक से 50 प्रतिशत स्वंय लेकर राज्यों सरकारों को दी और बाकी पचास प्रतिशत वैक्सीन राज्य सरकार, निजी अस्पताल संस्थानो ंसे खरीद सकते थे। उन्होने वैक्सीन आपूर्ति में आ रही चुनौतीयों के बारे में बताते हुए कहा कि कोल्ड चेन स्टोरेज नेटर्वक, वैक्सीन की ट्रैकिंग, सिरिंज, ग्लास, प्रशिक्षण आदि की कमी मुख्य चुनौती थी। वैक्सीन आपूर्ति से हमने सीखा की कोल्ड चेन नेटवर्क में वृद्धि, वैक्सीन की ट्रांसपोर्टेशन की निगरानी हेतु आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस और आईओटी का उपयोग, वैक्सीन के प्रशासनिक कार्यो के ब्लाक चेन का उपयोग, वैक्सीनेशन प्रशासनिक कार्यो की निगरानी हेतु डैशबोर्ड का उपयोग किया जाये। उन्होनें कहा कि आॅक्सीजन सप्लाई केस के दौरान मात्र दस दिन में मांग 3842 एमटी से 6785 एमटी हो गई। सरकार द्वारा इंडस्ट्रीयल मे ंउपयोग होने वाले आॅक्सीजन को राज्यो ंको प्रदान किया गया और विदेशो ंसे आयात किया गया। उन्होने अन्य कई केसों जैसे दवा सप्लाई, सुरक्षा शिल्ड केस में भी सरकार के प्रयासों और आत्मनिर्भरता को बताया। डा अग्रवाल ने आपूर्ति श्रृंखला के संर्दभ मे कहा कि आपूर्ति श्रृंखला को बेहतर बनाने के लिए आपूर्तिकर्ता की परतों में कमी लाई जाये, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से उत्पादों की निगरानी की जाये, स्त्रोत से ग्राहक के लिए सप्लाई चेन की निगरानी हेतु डैशबोर्ड का उपयोग किया जाये, नये व्यापारिक माॅडल या ई सप्लाई चेन विकसित किये जायें, प्रभावी सहयोग के लिए संचार स्तर और प्रोटोकाॅल विकसित किये जाये, अफवाहों को रोकने के लिए आपातकालीन मीडिया प्रसारण नीति का निर्माण किया जाये। उन्होनें कहा कि आपूर्ति श्रृंखला में सुधार के लिए डिजिटल तकनीकी को अपनाना होगा, छोटी आपूर्ति श्रृंखला कम परतों के साथ, नये व्यापारिक माॅडल बनाने होगें, पुनर्संग्रहण नीति, बहु कौशल कर्मचारीयो ंकी भर्ती, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, ब्लाक चेन का उपयोग, मांग की विविधता को बढ़ाना होगा। उन्होनें आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारकों को बताते हुए कहा कि योजना और पूर्वानुमान, संभार तंत्र मुददे, सरकारी नियम, वैश्विक सकंट, तकनीकी, प्राकृतिक आपदा है। इसकें अंर्तगत मांग, आपूर्ति, सूचना, प्रतिक्रिया का समय, बाहरी कारक और असर व्यवधान की श्र्रेणींया है।
सीआईआई स्कूल आॅफ लाॅजिस्टिक्स, एमिटी विश्वविद्यालय की निदेशिका डा अनिता कुमार ने अतिथि और प्रतिभागीयों का स्वागत करते हुए कहा कि वर्तमान समय में कोरोना काल में वैक्सीन, आक्सीजन सहित कई स्वास्थय रक्षक वस्तुओं की मांग और आपूर्ति बढ़ी है। ऐसे में वस्तुओं को ग्राहकों तक पहुचाने में तकनीकी की भूमिका और उसमें बेहतर सुधार की गुंजाइश की जानकारी प्रदान करने के लिए वेबिनार का आयोजन किया गया।
प्रश्नोत्तर सत्र के दौरान छात्रों, शिक्षकों ने डा अग्रवाल से कई प्रश्न किये जिनके उन्हे समुचित जवाब भी प्राप्त हुए।
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अधिक जानकारी के लिए संर्पक करें - अनिल दूबे - 9818671697