श्रीहनुमंत लाल जी महाराज प्रेरणा के स्रोत : "गौसेवक" खोजी बाबा



ग्यारहवें रूद्रावतार श्री हनुमंत लाल जी महाराज , जो कलिकाल में अजर - अमर देवता हैं।


 हनुमान जी का परिचय -हनुमान जी हम हिन्दू धर्म में देवी -देवताओं में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त करते है, उन्हें हम कई नाम से जानते है, पवनपुत्र हनुमान, दुखभंजन, मारुतीनंदन, आदि कई नामों से जाने जाते है। ऋषि -मुनियों के अनुसार इनका जन्म त्रेता युग के अंतिम चरण में चैत्र मास की पूर्णिमा के दिन हुआ था।

    इनकी माता का नाम अंजना था और पिता का नाम केशरी था, जिसकी वजह से इन्हे अंजनी और केशरी नंदन नामों से भी जाना जाता है। इनके नाम लेने से मात्र सारे दुःख, भूत -पिशाच सारी बुरी शक्तियां दूर भाग जाती है। हनुमान जी आज भी कई परस्थितियो में हमारे जीवन में प्रेरणा बनकर रहते है, वो आज भी हमारे जीवन और इस पृथ्वी पर विधमान है, जब तक धरती पर श्रीराम का नाम रहेगा तब तक उनके भक्त हनुमान जी भी रहेंगे।

*"सकल गुण निधानं "*

  *गोस्वामी तुलसी बाबा सुन्दरकाण्ड में लिखते है,* भगवान हनुमान में सारे गुण पूरी तरह से थे। हनुमान जी कभी भी किसी कार्य को असफल नहीं छोड़ते एक स्वामी को अपने सेवक से अपने काम को सफलता पूर्वक पूरा करना और क्या चाहिए। हनुमान जी ऐसे कई गुणों के कारण वो श्रीराम के काफ़ी प्रिय रहे है, हमें भी वैसे ही अपने जीवन में दूसरे के प्रति स्वामिभक्त और ईमानदार होना चाहिए।

*"कपि के वचन सप्रेम सुनि, उपजा   मन बिस्वास,*

*जाना मन क्रम बचन यह, कृपासिंधु कर दास "*

*धैर्य के साथ बुद्धि बल -* जब वो लंका जाने के लिये समुद्र को पार करते है, तब उनके सामने एक सुरसा नामक एक राक्षसी आ जाती जो समुद्र के ऊपर से जाने वाले हर व्यक्ति को खा जाती है, लेकिन हनुमान जी ने बुद्धि और धैर्य से काम लेते हुये अपने शरीर को बड़ा करते गए और सुरसा ने भी अपने मुख को बड़ा कर लिया। और अंत में हनुमान जी अपने को छोटा कर उसके मुख से बाहर आ जाते है, इसी तरह हमें भी अपने जीवन में हिंसा और बल का प्रयोग ना कर धैर्य और बुद्धि से काम लेना चाहिए, बुद्धि और धैर्य से हम किसी भी काम को आसानी से कर सकते है।

*"जस -जस सुरसा बदनु बढ़ावा, तासु दून कपि रूप देखावा "*

*आदर्श और समर्पण -* हनुमान जी राम जी के आदर्श भक्त थे जो उनके अनुपस्थिति में भी उनके मान -सम्मान और उनकी बातों की रक्षा करते है। रावण जब की सोने की लंका जलाकर जब हनुमान जी के पास सीता माता के पास दुबारा पहुचे तो सीता माता ने कहाँ पुत्र हमें यहाँ से ले चलो इस बात पर हनुमान जी ने कहाँ की माता मैं आपको यहाँ से ले चल सकता हूँ, पर मैं नहीं चाहता की मैं आपको रावण की तरह यहाँ से चोरी से ले जाऊ। रावण का वध करने के बाद ही वो आपको यहाँ से ले जायेंगे। इस तरह राम जी के ना होते हुए भी उनकी बातों का सम्मान किया उसी तरह हमें भी अपने जीवन में बड़ो का आदर और सम्मान करना चाहिए।

     जब रावण के बगीचे में हनुमान जी और मेघनाथ की लड़ाई हुई तो मेघनाथ ने 'ब्रह्मास्त्र 'का प्रयोग किया, हनुमान जी इसका तोड़ निकाल सकते थे, लेकिन वो इसका महत्व कम नहीं करना चाहते थे। इसके लिये उन्होंने वो दर्द सह लिया। हालांकि, यह उनका प्राण भी ले सकता था, इस तरह उनमे त्याग और समर्पण का भाव था। हमें भी अपने जीवन में समर्पण के भाव को अपनाना चाहिए।

*"ब्रह्मा अस्त्र तेहि साधा, कपि मन कीन्ह विचार,*

*जो न ब्रहसर मानहु, महिमा मिटहीं अपारा "।*

    *हमेशा सचेत रहना -* किसी भी समय हनुमान जी ने अपना मनोबल कम नहीं होने दिया। लक्ष्मण जी को जब शक्ति बाड़ लगा था, तब जब हनुमान जी संजीवनी लाने गये थे तब वो पहचान नहीं पा रहे थे, तब वो संजीवनी को पहाड़ सहित उठा लाये।उस समय वो अपने मस्तिष्क से निर्णय लेने में थे, उनका यह गुण अपने दिमाग़ को सक्रिय रखने के लिये प्रेरित करता है, हमे हमेशा हर परिस्थिति में सचेत रहना चाहिए।

*बुद्धि , निष्ठा -* जब समुन्द्र में पुल बनाना था तब हनुमान जी ने अपनी बुद्धि से वानर सेना से भी कार्य निकलवाना उनकी बुद्धि का परिचायक है। सुग्रीव और बाली के बिच संघर्ष के वक़्त प्रभु श्रीराम को बाली के वध के लिये राजी किया। क्यों की सुग्रीव हीं राम की मदद कर सकते थे, इस तरह हनुमान जी ने अपनी बुद्धि से दोनों के कामो को सफल बना दिया। यहाँ हनुमान जी के मित्र के प्रति,' वफ़ादारी 'और 'आदर्श 'स्वामिभक्ति तारीफ़ के काबिल है।

सीताजी का समाचार लेकर सकुशल राम जी के पास पहुंच कर अपने पराक्रम की प्रशंसा नहीं की राम जी की पूछने पर हनुमान जी ने जो कहाँ उस से राम जी भी प्रसन्न हो गये।

*"ता कहूं प्रभु कछु अगम नहीं,जा पर तुम्ह अनुकूल,*

*तव प्रभाव बड़वानलहि, जारि सकल खलु तूल "।*

    हनुमान जी की जीवन की सबसे बड़ी बात यह है की असंभव कार्य को पूर्ण करने की बाद भी सारा श्रेय *'सो सब तव प्रताप रघुराई '* कहकर अपने स्वामी को समर्पित कर दिया। यह हनुमान जी की व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विशेषता है।

    भगवान श्रीराम और हनुमान जी की पावन वह पवित्र रिश्ते को कौन नहीं जानता, राम जी की प्रति उनकी भक्ति भावना में हनुमान जी ने अपना सारा जीवन त्याग कर दिया।

*निष्कर्ष -* हनुमान जी की जीवन से हमे काफ़ी प्रेरणा मिलती है, हनुमान जी का चरित्र अतुलित, पराक्रम, ज्ञान और शक्ति की बाद भी अहंकार नहीं था उनमे।

हनुमान जी का यही आदर्श हमारे जीवन में प्रकाश का स्तम्भ है, जो इस संसार में भरे ईर्ष्या, लोभ, से हमारा मार्गदर्शन करते है।

*"संकट कटे मिटे सब पीरा, जो सुमिरे हनुमत बल बीरा "*

     हम इसी भावना की अनुरूप प्रार्थना करते है, की हे संकटमोचन हनुमान जी हम सब को इस 'कोरोना 'जैसे असुर से रक्षा करों।


*🙏🏻🚩🌹हनुमंत लाल जी महाराज की जय🌹🚩🙏🏻*


*विशेष :* एक पत्नी व्रतधारी भी ब्रह्मचर्य में ही आते हैं।


            *- "गौसेवक" पं. मदन मोहन रावत*

                                       *"खोजी बाबा"*

                                       *9897315266*


*🙏🏻🚩हर हर सनातन्🚩🙏🏻*

*🙏🏻🚩घर घर सनातन्🚩🙏🏻*