हर्ष,मौलिक,श्रेया और आस्था ने कोरोना को हराया। सतर्कता,सकारात्मकता,जागरुकता और आत्मविश्वास से दी मात।






छतरपुर।हिन्दुस्तान वार्ता (मदन साहू)

कोरोना को मात दे चुके युवाओं हर्ष असाटी,मौलिक पाण्डेय,श्रेया तिवारी और आस्था अग्रवाल ने लोगों को सजग,सतर्क और जागरूक करते हुए प्रेरणादायी अनुभव साझा किए।

सतर्कता और आत्मविश्वास से हर्ष ने कोरोना को दी मात -

       छतरपुर जिले के बड़ा मलहरा निवासी और शासकीय महाराजा महाविद्यालय छतरपुर में इंग्लिश एम ए में अध्ययनरत हर्ष असाटी ने कोरोना के प्रति सतर्क रहते हुए कोरोना के सर्दी-जुकाम का प्रारंभिक लक्षण नजर आते ही एनटीपीसीआर जांच करायी, जिसकी तीन दिनों बाद रिपोर्ट प्राप्त होने पर वह पाॅजिटिव पाए गए।उनका कहना है कि कोरोना संक्रमण जितना खतरनाक उससे कहीं ज्यादा,उससे अपवाहवश डर और लापरवाही ज्यादा  खतरनाक है।कोरोना संक्रमण शारीरिक कम ,मानसिक बीमारी ज्यादा बन गई है जिसका कारण अफवाहें और लापरवाही ही है।जिसका परिणाम यह निकलता है कि लोग समय पर जाँच नहीं कराकर खुद के साथ साथ परिवार,दोस्तों और समाज को भी संक्रमण कर देते हैं । इसलिए कोरोना वायरस के किसी भी लक्षण के अनुभव होने पर तुरंत निडर होकर जाँच कराएं।रिपोर्ट आने से पहले ही स्वयं को सभी से अलग करके एक कमरे में आइसोलेट करें और डाॅक्टर द्वारा ही सुझाएं गए और सलाह का सख्ती से पालन करें।इस दौरान अपने आप में आत्मविश्वास और सकारात्मकता ही हमें इस संक्रमण पर विजयी दिलाती है

 मौलिक ने हिम्मत और आत्मविश्वास से कोरोना पर पायी विजय:-

       कोरोना को मात दे चुके जबलपुर निवासी और शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर में एम एस सी भूगर्भशास्त्र में अध्ययनरत मौलिक पाण्डेय ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि ये बहुत तेजी से फैलने वाली संक्रामक बिमारी है।इसमें पता भी नहीं चलता कि हम इसकी गिरफ्त में कब आ गए,इसलिए इसके बचाव के लिए सजगता और सतर्कता अत्यंत जरूरी है।ऐसे में मैंने सजग रहते हुए,इसके प्रारंभिक लक्षण दिखने पर तुरंत कोविड टेस्ट कराया और 2 दिन के बाद रिपोर्ट पॉजिटिव प्राप्त होते ही स्वयं को पूरी तरह होम आइसोलेट कर लिया और डाॅक्टर द्वारा सुझायी गई दवाओं का सेवन शुरू कर दिया।इस समय जागरूक रहना और कोविड के नियमों का पालन करना बेहद जरुरी है, क्योंकि हमें न केवल खुद को बचाना है,बल्कि परिवार और अन्य लोगों को भी संक्रमित होने से बचाना है।अगर आपके बिमार होने पर स्थिति में सुधार ना हो और बुखार,ज़ुकाम बढ़ता ही जा रहा हो,तो नजदीकी अस्पताल में डॉक्टर से संपर्क करें और घबराएं नहीं।इस संक्रामक बिमारी को हराने के लिए हिम्मत और आत्मविश्वास बनायें रखें।इससे  हमारी प्रतिरोधक क्षमता इस संक्रामक बीमारी से और भी जल्दी मात देने में मदद करती है।

- सकारात्मकता और जागरूकता से श्रेया ने कोविड को हराया:-

         कोरोना को हरा चुकी जबलपुर निवासी व शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर में एम एस सी भूगर्भशास्त्र में अध्ययनरत श्रेया तिवारी ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उन्होंने कोरोना पॉजिटिव पाए जाने पर भी सकारात्मकता को बनाए रखा।उनका कहना है कि हमें इसके प्रति अत्यंत जागरूक रहना चाहिए।हमारी छोटी सी भी गल्ती हमारे परिवार और समाज को भी इसकी चपेट में डाल सकती है।इससे उभरने में पौष्टिक भोजन और व्यायाम बहुत ही मददगार साबित होता है।इसलिए इसमें  चिंता की कोई बात नहीं है,बस समय पर स्वयं को आइसोलेट करें और डाॅक्टर द्वारा दी गई  मेडिसिन और सलाह का ईमानदारी से पालन करें।इस संक्रामक बीमारी को हराने स्वयं में सकारात्मकता को बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

 - आस्था ने सकारात्मक  मानसिकता से कोरोना को हराया।

छतरपुर निवासी और शासकीय महारानी लक्ष्मीबाई बालिका  महाविद्यालय इन्दौर में एम ए मनोविज्ञान में अध्ययनरत आस्था अग्रवाल ने विगत वर्ष सितंबर में कोविड से पिता के देहावसान के शोक में डूबे होने और स्वयं के भी कोरोना पाॅजिटिव आ जाने के बाद भी सकारात्मक मानसिकता रखकर कोविड सेंटर में क्वारेंटाइन रहते हुए कोरोना को 7 दिनों में ही मात देकर मिसाल कायम की।ज्ञात हो कि विगत वर्ष कोविड सेन्टर से ही परीक्षा देने के लिए वह सुर्खियों में भी आई थीं।उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि वर्तमान में  कोरोना संक्रमण के प्रति अफवाहों और लापरवाही के चलते यह शारीरिक बिमारी से कहीं ज्यादा मानसिक बिमारी बना हुआ है।हमें इसके सभी नियमों का पालन करते हुए इससे अत्यंत सतर्कता और जागरूक रहकर अफवाहों से भी बचना चाहिए।हमें अपने ऊपर विश्वास रखते हुए सकारात्मक सोच रखनी चाहिए कि सब ठीक हो जाएगा।इससे हम कोरोना की जंग अवश्य जीत सकते हैं।