हिन्दुस्तान वार्ता।
आज पूरा देश जिस दौर से गुजर रहा है वह बेहद कष्टकारी है। हर व्यक्ति कोरोना से भयभीत है और वो चाहता है कि किसी भी तरह जल्दी से जल्दी टीका लगवाकर खुद को सुरक्षित कर ले। पर यह तभी सम्भव हो सकेगा जब प्रदेश के मुख्यमंत्री वैक्सीन की उपलब्धता के आँकड़े स्पष्ट करें और सभी पात्र लोगों को टीकाकरण के कार्य से संतुष्ट कर सकें। क्योंकि अभी तक के आँकड़े बताते हैं जहाँ दिल्ली में 10 लाख लोगों पर 3 लाख लोगों को वैक्सीन लग चुकी है वहीं यूपी में 10 लाख लोगों पर सिर्फ 82 हज़ार लोगों को ही वैक्सीन लग पाई है। यूपी में वैक्सीन लगाने की रफ्तार दिल्ली के मुकाबले बहुत सुस्त है। यूपी की जनसंख्या और यहाँ टीकाकरण की गति देखते हुये यह प्रतीत होता है कि सभी पात्र लोगों को वैक्सीन लगने में कई महीने लग सकते हैं। उत्तर प्रदेश सरकार को न सिर्फ वैक्सीन की समुचित उपलब्धता सुनिश्चित करनी होगी बल्कि टीकाकरण के नए केंद्र और सुविधाएँ भी विकसित करनी पडेंगी।
दूसरा महत्त्वपूर्ण पहलू ये है कि उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पूरी तरह से दम तोड़ चुकी है। ऐसे में लोग टीका लगवाने के लिए दर- दर भटक रहे हैं और उनको कोई उपयुक्त जानकारी देने वाला नही है शायद यही कारण है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी रोष जताया है कि यूपी की स्वास्थ्य व्यवस्था राम भरोसे चल रही है। हम सब जानते है कोरोना से बचने का एक ही उपाय है टीका, इस कारण टीकाकरण के लिए अस्पतालों में लम्बी लम्बी लाइनें हैं, पंजीयन के लिए समुचित काउंटर नही है और केंद्रों पर नर्सो, स्वास्थ्य कर्मियों की भारी कमी देखने को मिल रही है। वहीं ग्रामीण अंचलों की हालत और भी ज्यादा खस्ता है यहाँ तो टीका केंद्रों के नाम पर सब हवा- हवाई है। ऐसे में अपनी सुरक्षा हेतु टीका लगवाने की लोगों की आस कब तक पूरी होगी ये तो राम ही जाने।
इन सब हालातों के मद्देनजर अगर यूपी सरकार भी दिल्ली की तरह लोगों की शंका का निवारण करने के लिए अपनी कार्यप्रणाली में यह बदलाव लाये जिससे कि अस्पताल में टीका लगवाने के लिए जाने से कहीं किसी को कोरोना संक्रमण न हो जाय। साथ ही जनता की सहूलियत के लिए स्कूलों में पूरे सुरक्षा इंतजामों के साथ टीका लगवाने की व्यवस्था करना सुनिश्चित करे।
वर्तमान समय में यूपी में टीकाकरण को लेकर कोई ठोस व्यवस्था दिखाई नहीं देती है जबकि सरकार और प्रशासन को भली भांति मालूम है कि सभी लोग टीका लगवाना चाहते हैं औऱ ऐसे में भारी संख्या में केंद्रों पर आ सकते हैं। अभी स्थिति ऐसी है कि यहां लोग सुबह सात बजे से टीका लगवाने के लिए लाइन में लग रहे हैं फिर भी उनका नंबर शाम ढलने तक नहीं आ रहा है, और बहुत से लोगों को बिना टीका लगवाए ही निराश होकर वापस घर जाना पड़ता है। जब सब लोग एक साथ इतनी भीड़ में लोग इकट्ठे होंगे तो संक्रमित होने का खतरा भी हो सकता है। ऐसे में सरकार की तरफ से प्रशासन को स्पष्ट आदेश होने चाहिए कि वे टीका केंद्रों की संख्या बढ़ायें और आवश्यकता पड़ने पर स्कूलों को भी केंद्र बनायें जहां लोग कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पूरी सुरक्षा से ठीक लगवा सकें। साथ ही वेक्सीन की उपलब्धता की जानकारी भी जनता को दी जानी चाहिए वैक्सीन खत्म हो गयी हो अथवा खत्म होने वाली है तो लिखित सूचना बोर्ड पर लगनी चाहिए और लोगों को अगली टीकाकरण की तारीख और समय बता देना चाहिए इससे केंद्रों पर बेवजह लोगों की भीड़ एकत्रित नहीं होगी और संक्रमित होने का भय भी नही रहेगा। दिल्ली की तरह यूपी में भी अगर सरकार टीकाकरण की व्यवस्थाओं में पारदर्शिता बरतेगी तो निःसंदेह कोरोना के टीकाकरण का अभियान यहां भी सफल और सुरक्षित तरीके से हो सकता है।
डॉ हृदेश चौधरी
प्रदेश सचिव आम आदमी पार्टी