कोविद राहत टैरिफ प्रस्ताव पर बिजली कम्पनियो के छूटे नियामक आयोग में सात दिन का समय पर 15 दिन बाद भी जबाब नदारत

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ।

उपभोक्ता परिषद द्वारा नियामक आयोग में कोविद राहत प्रस्ताव पर बिजली कम्पनियों के पसीने छूट रहे है। नियामक आयोग ने बिजली कमपनियों से सात दिन में जबाब दाखिल करने का समय दिया था लेकिन 15 दिन बीत जाने के बाद भी बिजली कम्पनियाॅ कोई जबाब दाखिल नही कर पाई है। 

प्रदेश की बिजली कम्पनियो की बिजली दर की सुनवाई खत्म होने के बाद जहा बिजली दर को लेकर माथापच्ची जारी है वही उपभोक्ता परिषद् द्वारा विद्युत नियामक आयोग में दाखित कोविद राहत प्रस्ताव को लेकर बिजली कम्पनियो के पसीने छूट रहे है प्रदेश के उपभोक्ताओ का बिजली कम्पनियो पर लगभग 19537 करोड़ रुपया निकल रहा है जिसके एवज में उपभोक्ता परिषद् ने बिजली दरो में कमी कराने के लिए कोविद राहत टैरिफ प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल किया है और सुनवाई में उस पर लम्बी चर्चा भी आयोग में हुई है जिस पर विद्युत नियामक आयोग ने 21 मई को 7 दिन में पावर कार्पोरेशन से उनका जबाब और मत माँगा है। आज 15 दिन हो जाने के बाद भी बिजली कम्पनिया जबाब नहीं दे पायी अभी भी समय है सरकार को बिजली कम्पनियो को यह निर्देश देना चाहिए की कोविद  संकट को देखते हुए बिजली कम्पनिया उपभोक्ता परिषद् के कोविद राहत टैरिफ प्रस्ताव का समर्थन कर प्रदेश की जनता को राहत दिलवाने में मदत करे जिससे इस संकट के दौर में उपभोक्ताओ को राहत मिल सके।

प्रदेश की बिजली कम्पनियो को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा की उपभोक्ता परिषद् के प्रस्ताव का किस आधार पर विरोध करे क्यों की उपभोक्ता परिषद् ने विधिक रूप से हर पहलु का अध्यन कर आयोग को यह बताया है और प्रस्ताव में शामिल किया है की प्रदेश में उपभोक्ता परिषद् का प्रस्ताव लागु करने से प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत ऊर्जा मे सुधार होगा जो अभी बहुत कम है जिससे रास्ट्रीय स्तर पर प्रदेश की किरकिरी होती है।राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा की  आज उत्तर प्रदेश में  घरेलु उपभोक्ताओ व  वाणिजियक उपभोक्ताओ  की बिजली दरों की बात करे तो देश में 5 राज्य जहा पर बिजली दरे बहुत ज्यादा है तो उसमे उत्तेर प्रदेश भी शामिल है ऐसे में प्रदेश को टॉप फाइव महगी बिजली दर वाले प्रदेश से हटाकर सस्ती बिजली देने वाले प्रदेश में शामिल करने के लिए उपभोक्ता परिषद् के कोविद राहत टैरिफ प्रस्ताव को लागू करना बहुत जरूरी है आज उ.प्र. में मंहगी बिजली के चलते उपभोक्ताओं की प्रति व्यक्ति खपत कम है। देश के उत्तरी व पश्चिमी रीजन के ग्रिड पर जुडे 14 राज्यों में उ0 प्र0 में प्रति व्यक्ति खपत सबसे कम हैं ऐसे में यदि दरों में कमी न की गयी तो यह और भी निचले स्तर पर आयेगी। 


बिजली दर बढ़ोत्तरी से घटी खपत


उत्तरप्रदेश  देश का ऐसा राज्य है जहा पर पिछले तीन वर्षो से प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में कोई सुधार नहीं हो रहा जिसका मुख्यकारण बिजली दरो में वयापक बढ़ोतरी वर्ष 2017-18 में जहा प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत  628  थी वही वह वर्ष 2018 -19 में घटकर 606 हो गयी और अब वर्ष 2019-20 में मात्र प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत 629 है जो बहुत ही खराब स्थित में है वर्ष 2018- 19 में प्रदेश में सबसे ज्यादा बिजली दरो में बढ़ोतरी हुई थी जिसके चलते प्रति व्यक्त ऊर्जाखपत कम हो गयी जो सरकारों के लिए सोचनीय है । वर्ष 2019-20  में सम्पूर्ण भारत की प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत  1208  है अगर उपभोक्ता परिषद् के प्रस्ताव को इस बार नियामक आयोग लागू करता है तो निश्चित ही प्रदेश में प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत  1000 से ऊपर पहुंच जाएगी जिससे ऊर्जा क्षेत्र का बड़ा विकाश होना तय है।