पर्यावरण बचाने के लिए रक्तदान की तरह बनाना होगा डोनर कार्ड। विश्व पर्यावरण दिवस"5 मई " पर विशेष।

 

हिन्दुस्तान वार्ता।

दुनिया भर में  अनेक विषय को लेकर मनाए जाने वाले वार्षिक उत्सवों  में कुछ ही ऐसे उत्सव होते हैं जिनको पूरे विश्व में छोटे से छोटा देश भी अपनी पूरी जनसंख्या व संसाधन वहां की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए मनाता है| ऐसे ही उत्सवों में एक वार्षिक उत्सव जो आज 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है |

पुरातन समय में मनुष्य की आवश्यकताएं बहुत सीमित व सरल थी| उसके जीवन जीने की इच्छा में बहुत अभिलाषआएं नहीं थी परंतु विश्व में भौतिक आर्थिक और वैज्ञानिक विकास की दौड़ में उसने प्राकृतिक संसाधनों का जिस तरीके से दोहन किया है उन सब का नतीजा यह है कि ईश्वर द्वारा प्रदत्त स्वच्छ व संतुलित पर्यावरण को बहुत नुकसान हुआ है| जिसकी परिणीति यह हुई है कि पूरा विश्व आज ग्लोबल वार्मिंग के साथ-साथ अनेक प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं और महामरियों से ग्रसित हो रहा है |

इसी कारण विश्व पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में हुई। यहां 1972 में पहली बार 5 जून को पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया गया था जिसमें 119 देशों ने भाग लिया था। भारत  में पर्यावरण संरक्षण के लिए 19 नवंबर 1986 में पर्यावरण संरक्षण अधिनियम लागू हुआ।परंतु ना तो सरकार ना पब्लिक अधिनियम का पालन कर रहे हैं।

आज जब बात पर्यावरण दिवस की चल रही है तो मुझे लगता है कि शायद पर्यावरण को लेकर पूरे संसार में सबसे ज्यादा आलेख शोधन कार्य, कविताएँ, भाषण, प्रोग्राम ,निबंध ,नुक्कड नाटक ,प्रतियोगिता अनेक चीजें जिसमें बच्चों को अभी से पर्यावरण के प्रति सचेत करने हेतु चित्रकला ,वाद विवाद के प्रोग्रामों से रूबरू कराया जाता है| परंतु फिर भी पर्यावरण संरक्षण में कोई सुधार हुआ हो इस तरह का कोई प्रमाण प्राप्त नहीं होता हैं बल्कि दूसरी ओर दिन प्रतिदिन जनसंख्या बढ़ने से और हमारी लापरवाही में कमी ना होने से जो तमाम देशों की सरकार  या सामाजिक संस्थाओं जो कार्य कर रही हैं वह ऊंट के मुंह में जीरे के रूप में वाली कहावत पर सिद्ध हो रही है |

विश्व पर्यावरण दिवस पर हमको एक नई सोच पैदा करनी होगी ।पढ़ाई के हर स्तर पर पर्यावरण संरक्षण में किए गए कार्य के प्रमाण पत्र पर चरित्र और खेल के लिए  जो संरक्षित अंक होते हैं वह यूपीएससी परीक्षा तक लागू होने चाहिए |सरकार को भी चाहिए कोई पेड़ लगाते हैं तो उसको *एक एफडीआर का दर्जा दिया जाए ताकि वह एफडीआर पेड़ लगाने वाला या उसका उत्तराधिकारी अपने जीवन में कभी भी इस्तेमाल कर सकता है,जैसे रक्तदान करने के बाद आपका एक डोनर कार्ड बन जाता है|

देखिए पशु और पक्षियों का पर्यावरण में क्या अहम रोल होता है| यह जो पक्षी खाना या कीड़े मकोड़े खाते हैं और उससे जो बीट होती है वह जमीन की उपार्जन शक्ति को बढ़ाती है| आज अगर हम पेड़ पौधे और जंगलों को या पहाड़ों को खत्म करते हैं तो इसके करने से हमारे जमीन की नमी व शुद्ध वायु खत्म होने के साथ जो वर्षा से जल प्राप्त होता है उसमें ना केवल कमी आती है बल्कि सूखा पड़ने से ज़मीन बंजर हो जाती है। इसी तरीके से  तालाब ,कुएं, बाबड़ी हो या नदी को पाटने या दूषित करने  से जल की कमी होगी , ,मौसम में गर्मी किसानों को उपजाऊँ जमीन में नमी कम से नुकसान होता है| इसी प्रकार से पशुओं का भी पर्यावरण में बहुत योगदान होता है कहने का तात्पर्य है प्राकृतिक द्वारा दी गई संपूर्ण वस्तु का पर्यावरण संतुलन में महत्वपूर्ण योगदान होता है|

आज कोविड-19 की महामारी में जहाँ जीवन ठप्प हुआ ।विश्व की मानव जाति को लाकडाउन के कारण  घरों में केद हो गया  |आज तो चारो  ओर शीतल पवन ,मोर का नाचना ,चिड़िया का चहकना ,40 डिग्री तापमान में भी गर्मी का अहसास ना होना ,नदियों का निर्मल शुद्ध जल की कल कल करती ध्वनि सुनकर पर्यावरण प्रेमी चहक कर कहते है तुझे क्या कहूँ बीमारी ( कोविड 19)या स्वच्छ प्राकृतिक देने वाला ।लेकिन मानव अपनी इच्छा कितने दिन मन में रख पायेगा यह शंका भी है ।

इस साल, COVID-19 महामारी के प्रकोप के कारण लाखों लोग डिजिटल रूप से विश्व पर्यावरण दिवस मनाएँगे  |आगरा भी डिजिटल पर्यावरण दिवस मनायेगा।पर्यावरण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे को आज विश्व के सभी नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी साथ ही आने वाले जनरेशन को भी इसके दुखद परिणाम के विषय में बताना होगा |हम सभी लोगों को जल  की बर्बादी रोकनी होगी, वायु को शुद्ध रखना होगा ,पेड़ों को काटने बचाना होगा साथ ही हर घर में जितने सदस्य हैं उतने पेड़  हर साल लगाने की आदत अपनानी होगी |तेज आवाज में ध्वनि से होने वाले प्रदूषण को रोकना होगा और भविष्य में सबसे बड़ी चिंता विश्व को प्लास्टिक के उपयोग को लेकर हो रही है ना केवल उसे रोकना होगा उसकी जगह इको फ्रेंडली पदार्थ का इस्तेमाल करना होगा |वाहनों को शेयरिंग बैसिस की जरूरत पर इस्तेमाल करें नहीं तो इको फ्रेंडली वाहन  का प्रयोग करें| तालाब, बावड़ी ,कुएं और नदियों को पुनर्स्थापना की जाए| इस प्रकार के पशु और पक्षियों को संरक्षण दिया जाए उन्हें अपने  स्वाद के लिए मारा ना  जाए| आजकल जापानी पद्धति के अनुसार अपनी छोटी सी जगह में जंगल बनाई जाए| यहां पर विशेष उल्लेख है पंजाब में और अन्य राज्यों में लोग अपने घरों में ही या आसपास जंगल बनाने का काम कर रहे हैं और उसके जो परिणाम आ रहे हैं वह बहुत ही सुखद हैं |तभी हम पर्यावरण में सुधार कर पाएंगे |

 विश्व पर्यावरण 2021 की थीम।

पारिस्थितिकी तंत्र बहाली को साकार करना हैं तो आज के दिन हम ऊपर लिखे सभी कामों को ना करने की और करने की शपथ लें |पर्यावरण बहाली का संकल्प भी दिलाएं|

राजीव गुप्ता जनस्नेही कलम से 

लोक स्वर आगरा ।

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