वाणिज्य कर अधिकारी संघों ने की आईएमएम रिपोर्ट लागू करने की मांग 8000 कर्मचारी बिना कार्य आवंटन के ही जीएसटी अवधि मे कर रहे कार्य

 



प्रेम शर्मा,लखनऊ।

उत्तर प्रदेश वाणिज्य कर विभाग के दो अधिकारी तथा कर्मचारी संघ ने प्रदेश के मुख्यमंत्री से अविलम्ब जीएसटी व्यवस्था के तह्त कार्य करने के लिए आईएमएम की रिपोर्ट तत्काल विभाग में लागू करेन की मांग की है। उनका कहना है किगुड्स एण्ड सर्विस टैक्स व्यवस्था को लागू हुए तीन साल से अधिक का समय बीत गया है। इसके परिपेक्ष्य में देश में केवल उत्तर प्रदेश को छोड़कर कैडर स्टिक्चरिंग हो चुकी है। ऐसा न होने से प्रदेश में लगभग 8000 कर्मचारी अधिकारी बिना कार्य आवंटन के जीएसटी अवधि में काम कर रहे है। जीएसटी वाणिज्य कर सेवा संघ के प्रदेष अध्यक्ष राजवर्द्धन सिंह, वाणिज्य कर अधिकारी संघ के अध्यक्ष कपिल देव तिवारी एवं वाणिज्य कर अधिकारी सेवा संघ के महासचिव वीरेन्द्र सिंह तथा अखिल भारतीय राज्य कर्मचारी महासंघ के राष्ट्रीय डिप्टी जनरल सेक्रेटरी सुरेष सिंह यादव ने संयक्त बयान में कहा कि गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स पूरे देश में 1 जुलाई 2017 से लागू किया गया है। सम्पूर्ण राष्ट्र मे ळैज् लागू होने के उपरान्त वर्ष 2017 मे ही केन्द्रीय विभाग (सेन्ट्रल बोर्ड ऑॅफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एण्ड कस्टमस्) द्वारा पूरे विभाग की कैडर रिस्टक्चरिंग करने के उपरान्त अधिकारी एवं कर्मचारियों के मध्य एक्ट के अनुसार कार्य का आंवटन कर दिया गया है। इसके अतिरिक्त देश के अन्य राज्यों मे भी स्टेट जीएसटी विभागों मे कैडर रिस्टक्चरिंग का कार्य पूर्ण कर दिया गया है, जिसके कारण एक्ट के अनुसार केन्द्रीय एवं उन राज्य के अधिकारियों मे पद एवं दायित्व की एकरुपता स्थापित हो गयी है। 

उन्होने बताया कि उत्तर प्रदेश मे भी मुख्यमंत्री जी के निर्देषन मे तत्कालीन अपर मुख्य सचिव (वर्तमान चीफ सेक्रेटरी) द्वारा आईएमएम लखनऊ को कैडर रिस्टक्चरिंग हेतु विस्तृत रिपोर्ट बनाने के लिए अधिकृत किया गया था। ाईएमएम लखनऊ के प्रोफेसर हिमांषु राय ने विस्तृत अध्ययन करते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन करते हुए विभाग के समस्त संवर्गो के सभी पदाधिकारियों से परामर्ष करते हुए मैनेजमेन्ट के सिद्धान्तों का प्रयोग करते हुए एक तथ्यपरक रिपोर्ट विभाग को सौपी। जिससे कि विभाग के सभी अधिकारी एवं कर्मचारियों का कैरियर प्रोग्रेषन तथा वित्तीय भार कम होना एवं अधिकाधिक राजस्व प्राप्त होना सम्भव था। आईएमएम लखनऊ की उक्त रिपोर्ट पर विभागीय कमेटी ने अनुषंसा करते हुए क्रियान्वयन हेतु षासन के समक्ष प्रस्तुत कर दिया था। 

उक्त रिपोर्ट पर भारी भरकम खर्च लगभग 59 लाख  रूपये  एवं समग्र अध्ययन को दरकिनार करते हुए दो वर्षो से लम्बित रखा गया है। उन्होंने बताया कि संघों के  इस कार्य के पूर्ण होने के पूर्व ही समाचार पत्रों के माध्यम से यह संज्ञान मे आया है कि गुपचुप तरीके से पूरे विभाग की कैडर रिस्टक्चरिंग करने के स्थान पर केवल एक या दो विंग मे परिवर्तन किया जा रहा है। परिणाम स्वरूप समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों का भविष्य अंधकारमय करने का प्रयास किया जा रहा है, क्योंकि अब जबकि केन्द्रीय कार्यालय तथा अन्य राज्यों के एसजीएसटी कार्यालयों मे समान पद सोपान के अनुसार कैडर रिस्टक्चरिंग हो गयी है तो फिर मात्र उत्तर प्रदेश में ही अधिकारियों एवं कर्मचारियों को वंचित रखना कहा तक न्यायोचित है। उक्त पदधिकारियों का आरोप है कि कुछ उच्चाधिकारी कैडर रिस्टक्चरिंग के क्रियान्वयन मे पूरी तरह से बाधा डाल रहें हैं, जो कि  मुख्यमंत्री की जननायक की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहें है। कैण्डर रिस्टक्चरिंग न होने से  लगभग 8000 कर्मचारी बिना कार्य आवंटन के ही जीएसटी अवधि मे कार्य कर रहें है। ऐसे में समस्त संघो की मॉंग है कि अविलम्ब आईएमएम लखनऊ द्वारा प्रस्तावित कैडर रिस्टक्चरिंग रिपोर्ट जो कि शासन मे विचाराधीन है, को क्रियान्वित किया जाए एवं टुकडों-टुकडों मे कोई भी कैडर रिस्टक्चरिंग न की जाय। अन्यथा राज्य के राजस्व मे सर्वाधिक योगदान देने वाले विभागीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को एक लम्बी स्टैगनेशन की प्रताड़ना झेलनी होगी।