आईटीआई के असंवैधानिक संगठन को नही मिलेगी चुनाव अनुमति वर्चुअल बैठक में आईटीआई कर्मचारी संघ को निदेशक का आश्वासन

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ। 

उ.प्र. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ के अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह और महामंत्री अर्चना मिश्रा द्वारा निदेशक के साथ हुई वर्चुअल बैठक में निदेशक द्वारा संगठन को आश्वासन दिया गया कि शासनादेश के अनसार तथाकथित संगठन को अधिवेशन/ चुनाव विशेष अवकाश और हाल का आवंटन नही किया जाएगा। उ.प्र. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ की तरफ से बताया गया कि सेवानिवृत्त कार्यदेशक अनिल कुमार पाठक और श्रीराम दोहरे के साथ रजनीश कुमार अरोड़ा द्वारा संवैधानिक प्रक्रिया को ताक पर रखकर शासन और प्रशासन को गुमराह कर संगठन के पैड का अंसंवैधानिक तरीके से इस्तेमाल कर चुनाव कराने का कुत्सित प्रया किया जा रहा है। जबकि  उ.प्र. औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान कर्मचारी संघ का द्विवार्षिक चुनाव/अधिवेशन का कार्यकाल 23 जून 2020 को पूरा हो चुका हे वर्तमान सत्र में संघ का अधिवेशन/चुनाव गत 28 दिसम्बर 2020 को सम्पन्न हो चुका है जिसकी सूचना और निर्वाचित पदाधिकारियों की सूची विभाग और शासन को प्रेषित की जा चुकी है। उन्होंने बताया कि इस सम्बंध में अनाधिकृत रूप से पैड के उपयोग करने सम्बंधी शिकायत करते हुए संघ द्वारा उक्त अनाधिकृत पदाधिकारियों के विरूद्व पत्र मुख्यमंत्री, मंत्री व्यावसायिक शिक्षा एव कौशल विकास विभाग, सचिव व्यावसायिक शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग, निदेशक एवं समस्त मंडलों के संयुक्त निदेशक एवं प्रधानाचार्यो को भी भेजे जा चुके है।

अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह और महामंत्री अर्चना मिश्रा द्वारा बताया गया कि संघ की उपविधि के अनुसार संवर्ग के नियमित कर्मचारी ही सघ के पदों पर रह सकते है किन्तु वरिष्ठ उपाध्यक्ष अनिल कुमार पाठक जो 30 दिसम्बर 2020 और कोषाध्यक्ष पद पर श्रीराम दोहरे सेवानिवृत्ति के बावजूद संघ के स्वंयभू पदाधिकारी बने बैठे है। इनके द्वारा कर्मचारी संगठन नियमावली के विपरीत पैड का दुरूपयोग किया जा रहा है। इनका यह भी कहना है कि संघ से निष्कासित पदाधिकारी जो अपने व्यक्तिगत स्वार्थों के कारण लखनऊ में पिछले 20 वर्षों से स्थानान्तरण से बचने के लिए अभी भी स्वंय को संघ के पदाधिकारी अध्यक्ष एवं महामंत्री की हैसियत गैर संवधानिक तरीके से उच्चाधिकारियों से पत्राचार कर रहे है। यह भी उल्लेखनीय है कि केवल पूर्व मंत्री जो कि संघ से निष्कासित है वह ऐसा कर रहे हैं। निर्वाचित तत्कालीन अध्यक्ष भी पद से मुक्त हो चुके है सर्व सम्माति से संघ का गठन भी किया जा चका है। किन्तु जिनके द्वारा अधिवेशन चुनाव कराए जाने के लिए विशेष अवकाश की मांग लगातार की जा रही है वह अधिकृत ही नहीं है। उन्होंने शासनादेश संख्या कार्मिक अनुभाग-4283/का4-7ई.ए.म., दिनांक 20 मई 1983 के बिन्दु संख्या ( ग) में वार्णित व्यवस्था का हवाला देते हुए का कि उसमें स्पष्ट कहा गया है कि जिन सेवा संघों के पदाधिकारियों के वार्षिक चुनाव दो वर्ष से अधिक अवधि से नही हुए है, उनके पदाधिकारियों को अधिवेशन हेतु विशेष अवकाश की सुविधा अनुमन्य नहीं होगी। तदनुसार वर्तमान में पूर्व पदाधिकारियों का कार्यकाल 23 जून 2020 को ही समाप्त हो चुका है। ऐसे में उक्त अनाधिकृत पदाधिकारियों का कार्यकाल शासनादेश में वार्णित व्यवस्था के अनुसार क्योकि संघ का कार्यकाल के 2 वर्ष 11 माह से अधिक का समय बीत गया है।