अधिकारियों के कमरे फाइव स्टार,कर्मचारियों की सुविधाओं के लाले हाल बेहाल खस्ताहाल नगर निगम लखनऊ

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ।

 तेज तर्राट आईएएस अफसर के हाथ में नगर निगम लखनऊ की कमान है इसके बावजूद नगर निगम की व्यवस्थाएं पटरी पर नही आ पा रही है। एक तरफ नगर निगम पर कर्मचारियों से लेकर अन्य मदों पर करोड़ रूपये की देनदारी है तो दूसरी तरफ नगर निगम में अधिकारियों के सुव्यस्थित कमरों के जीर्णोद्वार कर उन्हे फाइव स्टार रूप दिया जा रहा है। जबकि आम कर्मचारियों के कुर्सी से लेकर अन्य सुविधाओं का टोटा है। बाथरूमों की हालत खराब है तो अधिकारियों के लिए लगाए गए एसी के आउटर कार्यालय के अन्दर लगाए जाने से उनकी गर्मी कर्मचारियों का बैठना मुहाल किये हुए है। इस सम्बंध में नगर निगम कर्मचारी संघ लखनऊ ने महापौर और नगर आयुक्त पत्र देकर मुख्यालय  सहित  समस्त  जोन  कार्यालयों  में  कर्मचारियों  को विभागीय कार्य सम्पादन हेतु  सुविधा  प्रदान  किए जाने एवं व्यवस्थित  कार्यालयों,विभागों को पुनः निर्माण के नाम पर फिजूल खर्च पर रोकने की मांग की है। 

नगर निगम में प्रवेश करते ही आपकों भेदभाव दिखना शुरू हो जाएगा। इतना बड़ा भवन होने के बाद भी  स्वास्थ अधिकारी के कमरे के बाजू में दो गोदरेज आलमारी, नगर आयुक्त की डाक लेने वाले हाल से पहले पड़ने वाली गेलरी को कबाड़ रखने तथा एसी के आउटर स्थापित कर आने जाने का रास्ता प्रभावित किया गया है। केवल उच्च अधिकारियों के कमरों छोडकर पूरे कार्यालय में जीर्णोंद्वारा और सुधार के नाम पर सीधा भेदभाव दिखाई पड़ता है। स्टोर और जनसम्पर्क विभाग के कार्यालय वाली बिल्डिग का तो हाल बेहाल है। नगर निगम कर्मचारी संघ की तरफ से महापौर और नगर आयुक्त  को लिखे पत्र में कहा गया कि  वर्तमान में नगर निगम मुख्यालय सहित अधिकांश जोन कार्यालयों की स्थिति जीर्ण शीर्ण अवस्था में है। कर्मचारियों को बैठने हेतु कुर्सी, पंखे अस्त व्यस्त हैं, शौचालयों की स्थिति खराब है, छतों से पानी टपक रहा है, कैश काउण्टर भी सुरक्षित नही है मुख्यालय का कैश काउण्टर तो बिना बन्द केबिन के हजरतगंज वाल्दा कार्यालय  में खुले में चल रहा है जो अव्यवस्थित व सुरक्षा की दृष्टि से भी कदापि उचित नहीं है। किसी भी दिन कोई अप्रिय घटना भी हो सकती है। मुख्यालय के विभागों में लगाए गए एयर कंडीशन के आउटर बिल्डिंग के अंदर ही लगा दिए गए हैं जिस कारण कार्यालयों के अन्दर काम कर रहे कर्मचारियों को भीषण गर्मी व कुछ को घुटन व साँस लेने में दिक्कत का सामना भी करना पड़ रहा है। ऐसे में यहाॅ डियुटी करने वालों के स्वास्थ्य  प्रभावित होने की पूरी सम्भावना है। उसी के विपरीत वित्तीय स्थिति खराब होने पर भी विशेष लोगों के कार्यालय,कमरें जो पहले से ही ठीक व व्यवस्थित थे उनको तोड़ कर पुनः पूर्णतया सुसज्जित उच्च श्रेणी के फर्नीचर व पूर्णतया वातानुकूलित किए गए हैं और किए जा रहे हैं जो अनियमितता की श्रेणी में आता है। यह असमानता की परिधि का परिचायक है जिसके निदान की आवश्यकता है। संघ का मत है कि मुख्यालय सहित सभी जोन कार्यालय में कर्मचारियों  को विभागीय कार्य सम्पादन हेतु कुर्सी, मेज, पानी, पंखा, शौचालयों की जीर्ण शीर्ण अवस्था को सुदृढ़ व व्यवस्थित करने, एयर कंडीशन के आउटर को कार्यालयों के अंदर से हटा कर बाहर लगवाने व पहले से ठीक व व्यवस्थित कार्यालयोंध्कमरों पर की जा रही अनावश्यक फिजूलखर्च पर रोकी जाए। निश्चित तौर से ऐसी परिसंस्कृति से अधिकारियों और कर्मचारियों के बीच मतभेद उपन्न होगा। अभी कुछ समय पहले ही नगर निगम के बाबू रामकुमार न्यू कमेटी हाल पर लाखों रूपये खर्च किए गए लेकिन अब उसकी छत टपक रही है। इस सम्बंध में यह भी जानकारी सामने आई है कि तत्कालीन नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी ने इस तरह की जानकारी होने पर एक आदेश जारी किया था कि एसी के आउटरों को भवन के बाहरी हिस्सें में स्थापित किया जाए एवं जब तक बहुत जरूरी न हो किसी कमरें का जीर्णोद्वार न कराया जाए। अब प्रश्न यह उठता है कि एक तरफ राज्य वित्त आयोग लगातार निकायों को मिलने वाली धनराशि की कटौती कर रही है, नगर निगम की आय भी कोरोना संक्रमण के चलते प्रभावित हुई है ऐसे में इस तरह के फाइव स्टार संस्कृतिक को भेदभाव कर बढ़ावा देकर नगर निगम प्रशासन क्या संदेश दे रहा है। 


एकल पत्रावली व्यवस्था जरूरी: आनंद वर्मा

नगर निगम कर्मचारी संघ के अध्यक्ष आनंद वर्मा कहते है कि कर्मचारी लोग आए दिन सुविधाओं का अभाव, बाथरूम आदि की स्थिति पर रोष जाहिर करते है। एक तरफ अधिकारियों के कमरों को तो चाकचैबंद कर दिया जाता है लेकिन जो कर्मचारी लगातार अपनी सीटों पर बैठकर कम कर रहे उन्हें सुविधाओं से वंचित किया जाता है। ऐसे में हमने ऐसी दोहरी व्यवस्था का विरोध दर्ज कराते हुए फिजुल खर्ची पर रोक की मांग की है। उनका कहना है की जीर्णोद्वार के नाम पर अलग अलग फाइल बनाई जाती है ताकि भारी भरकम रकम खर्च का पता न चले। अगर इस तरह की व्यवस्था को रोकना है तो जीर्णोद्वार, कमरों की साजों सज्जा पर खर्च की एकल पत्रावली चलाई जाए। वैसे भी किसी एक मद में खर्च होने वाली रकम के लिए एकल फाइल व्यवस्था नियमानुसार है।