चैम्बर मुख्यमंत्री को लिख रहा है पत्र - विवाद रहित बनाया जाये रामलीला का आयोजन।
135 वर्ष से मंचित होती आ रही इस गौरवशाली रामलीला पर बढ़ते विवाद से राम भक्तों की आस्था को न पहुंचे ठेस।
उत्तर भारत की गौरवशाली राम बरात के हित में शीघ्र दूर कराया जाए विवाद ।
फर्जी मुकदमे लगाकर रामलीला प्रबंधन को किया जा रहा है परेशान - उपाध्यक्ष रामलीला समिति ।
पूर्व में झूठे मुकदमों को ख़ारिज कर चूका है कोर्ट - रामलीला समिति ।
आगरा।हि. वार्ता(धर्मेन्द्र कु.चौधरी)
आज दिनांक 23 जून, बुधवार को सायं 4 बजे नेशनल चैंबर ऑफ़ इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स यूपी आगरा द्वारा रामलीला विवाद को लेकर एक वर्चुअल मीटिंग का आयोजन चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल की अध्यक्षता में किया गया जिसमें मैनेजिंग कमेटी के सदस्यों ने भारी संख्या में प्रतिभाग किया। चेंबर के पूर्व अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल एवं प्रमोद कुमार अग्रवाल ने अवगत कराया कि रामलीला कमेटी पदाधिकारियों पर मंटोला थाने में एफ आई आर कराई गई है। इस समाचार पर प्रबंध समिति के सभी सदस्यों ने बहुत ही चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह गंभीर विषय है। यदि रामलीला समिति के सदस्यों पर इस तरह के आरोप लगाए जाएंगे तो ऐसी विषम परिस्थितियों में रामलीला का संचालन कैसे संभव हो सकेगा। मंदिर प्रशासन पर सवाल खड़े किए।
दोनों पूर्व अध्यक्षों ने कहा कि 135 साल पुरानी रामलीला कमेटी और उसके द्वारा आयोजित राम बारात आगरा ही नहीं समूचे उत्तर भारत में अपनी पहचान रखती है। इस आयोजन को देखने अनेकों प्रदेश से लोग आते हैं। यह आयोजन शहर की अर्थव्यवस्था में अहम स्थान रखता है। इसका आयोजन करने वाली रामलीला कमेटी का संचालन शहर के प्रतिष्ठित समाजसेवी एवं कारोबारी करते हैं। इन लोगों ने कभी भी व्यक्तिगत लाभ नहीं लिया। बल्कि तन, मन और धन से कमेटी के कार्य कराए। राम बारात आयोजन को ऊंचाइयों तक पहुंचाया। जनकपुरी आयोजन करा कर शहर के अनेक हिस्सों का कायाकल्प कराया। यह दोनों आयोजन हजारों की तादाद में छोटे कारोबारियों के लिए रोजी का भी जरिया बने। ऐसे समाजसेवियों के विरुद्ध बार-बार केस करना, उनको विवाद में घसीटना चिंताजनक है।
बैठक में उपस्थिति सभी सदस्यों ने शासन एवं प्रशासन से अपील की कि इस मामले का जल्द निस्तारण कर रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों को चिंता मुक्त करें। ताकि शहर की मान और शान राम बारात जैसे आयोजन बिना किसी बाधा के आयोजित होते रहें। पहले की तरह इन आयोजनों की मर्यादा बनी रहे। इन आयोजन में नगर उत्सव की भूमिका में सदैव बने रहें।
बैठक में सबकी भावना को ध्यान में हुए चैम्बर अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने आश्वासन दिया कि 135 वर्ष पुरानी इस गौरवशाली रामलीला के इतिहास को अनवरत रूप से आगे मंचित होते रहने के लिए चैम्बर मुख्यमंत्री महोदय से मांग कर रहा कि इस विवाद को शीघ्र दूर करने के लिए वे इस मामले में हस्तक्षेप करें क्योंकि यह रामलीला का मामला रामभक्तों की भावना से जुड़ा है। इसके मंचन पर ग्रहण लगने से राम भक्तों की आस्था पर ठेश पहुंचेगी। रामलीला मंचन के साथ प्रतिवर्ष उत्तर भारत की सर्वाधिक ख्यातिप्राप्त राम बारात एवं जनकपुरी आयोजन भी जुड़े हुए हैं जिसमे लाखों राम भक्तों की आस्था झलकती है। शासन से कड़ाई नहीं हुयी तो यह मामला जन आंदोलन का रूप ले सकता है।
पूर्व अध्यक्ष सीताराम अग्रवाल ने कहा की मुख्यमंत्री महोदय के संज्ञान में लाया जाए कि धार्मिक आस्था का मामला होने से यह अति संवेदनशील है अतः इससे विधि व्यवस्था प्रभावित हो सकती है।
चैम्बर के दोनों पूर्व अध्यक्षों - शांति स्वरूप गोयल एवं प्रमोद कुमार अग्रवाल ने बताया है कि रामलीला समिति के अध्यक्ष महोदय को जिनकी आयु 86 वर्ष की है तथा वह चलने फिरने में भी असमर्थ हैं, उन पर मारपीट, डकैती जैसे मुकदमे दर्ज कराये गए। भिन्न-भिन्न अदालतों में केस दर्ज कराएं गए। किंतु वे मुकदमे अदालत द्वारा खारिज हुए जिनके आदेश समिति में सुरक्षित हैं। अभी भी वे झूठे मुकदमे दायर कर रामलीला प्रबंधन को भयभीत कर रहे हैं।
बैठक में अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष सुनील सिंघल, कोषाध्यक्ष गोपाल खंडेलवाल, पूर्व अध्यक्ष शांति स्वरूप गोयल, सीताराम अग्रवाल, योगेंद्र कुमार सिंघल, अमर मित्तल, राजीव गुप्ता, अनिल वर्मा, प्रमोद कुमार अग्रवाल, मुकेश कुमार अग्रवाल, महेंद्र कुमार सिंघल सदस्यों में सचिन सारस्वत, मनोज बंसल, राकेश सिंघल, रविंद्र अग्रवाल, विनय मित्तल, नीरज अग्रवाल ,अंबा प्रसाद गोयल, विवेक जैन, मनोज कुमार गुप्ता, राजेंद्र गर्ग, हरिओम अग्रवाल, विजय बंसल, सतीश अग्रवाल, पीयूष अग्रवाल, नितेश अग्रवाल, राहुल चतुर्वेदी, विनय मित्तल, वीरेंद्र गुप्ता आदि ने प्रतिभाग किया।