कोरोना से मृत कार्मिक परिजनों को एक करोड़ अनुग्रह राषि दी जाए: द्विवेदी एक माह की मष्त्यु समयावधि की बाध्यता समाप्त की जाए

 


प्रेम शर्मा,लखनऊ,।

 डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ ने पंचायत निर्वाचन कार्य में लगाए गए कार्मिकों के कोविड 19 सक्रमण से मष्त्यु की दषा में मष्त कार्मिक के औसतन आयु और वेतन के आधार पर परिजनों को  न्यूनतम एक करोड़ की अनुग्रह राषि दिये जाने की मांग की है। कोविड़ पीड़ित की मष्त्यु की समयावधि को 30 दिन की बाध्यता से मुक्त करने के साथ आश्रितों को षैक्षिक योग्यता के अनुसार षीघ्र अतिषीघ्र नियुक्ति और कोरोना से मष्त कार्मिकों को षहीद का दर्जा दिये जाने की मांग की गई है। संघ के अध्यक्ष इं. एन.डी. द्विवेदी ने कहा कि संघ द्वारा कोविड काल में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए राज्य सरकार को आठ अप्रैल को पंचायत चुनाव ड्यूटी में लगाए गए कार्मिकों को पर्याप्त संसाधन, कोविड 19 गाइड के षतप्रतिषत अनुपालन की मांग की गई थी लेकिन इसका पचास प्रतिषत भी अनुपालन नही हुआ। इसके उपरान्त 17 अप्रैल को ड्यूटी में लगाए गए तीन अवरध्सहायक अभियंताओं की कोविड से मष्त्यु के उपरान्त संघ ने राज्य सरकार और निर्वाचन आयोग को पत्र प्रेशित कर निर्वाचन में कोविड-19 गाइडलाइन पालन ना हो पाने के कारण साक्ष्य प्रस्तुत करते हुए निर्वाचन को स्थगित करने एवं मष्तक आश्रितों को एक करोड़ की अनुग्रह राषि दिये जाने की मांग रखी थी । बाद में उच्च न्यायालय इलाहाबाद  ने भी सरकार को मई के पहले सप्ताह मे एक करोड़ की अनुग्रह राषि देने पर विचार करने को कहा था।

इं. एन.डी. द्विवेदी ने लोक निर्माण विभाग में कार्यरत 40 अवरध्सहायक अभियंताओं की कोरोना काल में मष्त्यु की जानकारी देते हुए एक बार फिर अवगत कराया कि संघ द्वारा पूर्व में प्रेशित पत्र में  त्रिस्तरीय पंचायती चुनाव डियुटी में लगाए गए अवरध्सहायक अभियंताओं कोविड 19 प्रोटोकाल के अन्तर्गत पीपीई किट, वैक्सीनेषन, प्रषिक्षण, नामांकन स्थल, मतदान सामग्री वितरण स्थल, मतदान बूथ, मतदान सामग्री जमा कराने के दौरान कोविड गाइड का अनुपालन सत प्रतिषत अनुपालन कराए जाने की मांग की गई थी लेकिन दुर्भाग्यवष कोविड-19 मापदण्डों का पूर्णतया अनुपालन नही हुआ। इसके कारण चुनाव डियुटी में लगे अधिकांष अवरध्सहायक अभियंता स्वंय संक्रमित हुुए और अन्जाने में यह संक्रमण उन्होंने अपने परिजनों को भी परोस दिया। उन्होंने कहा कि ऐेसी स्थिति में कोविड से मष्त्यु का जो पैरामीटर 30 दिन तय किया गया है वह उचित नही है उसे बढ़ाया जाना चाहिए। संघ के वरिश्ठ उपाध्यक्ष इंजीनियर श्रवण कुमार यादव एवं महामंत्री प्रकाषचन्द्र ने इस सम्बंध में छह सूत्रीय मांगों की पूर्ति के लिए मुख्यमंत्री एवं निर्वाचन आयोग से अनुरोध किया है। पहली मांग में उन्होंने बकायदा मष्तक कार्मिक की आयु और उसकी भविश्य की सेवा के आधार पर एक चार्ट तैयार कर एक करोड़ से अधिक  की धनराषि  के औचित्य को प्रमाणित करते हुए अनुग्रह राषि के मद में न्यूनतम एक करोड़ रूपये की मांग की है। दूसरी मष्त्यु की समयावधि में तीस दिन की बाध्यता को समाप्त करने की मांग की है। इसका उन्होंने उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। तीसरी मांग में उन्होंने निर्वाचन डियुटी के कारण प्रभावित हुए कार्मिकों के परिजनों को कोविड संक्रमण क्योकि अन्जाने में ही कार्मिक द्वारा परोसा गया ऐसी दषा में कोविड से प्रभावित परिजन को भी अनुग्रह राषि प्रदान किए जाने का अनुरोध किया है। चैथी मांग में चुनाव डियुटी के दौरान संक्रमित होकर गम्भीर रूप से उपचाराधीन  कार्मिक एवं उनके परिजनों की चिकित्सा में हुए वास्तविक खर्च की धनराषि बिना कटौती प्रदान किए जाने की मांग की है।पाॅचवी मांग में आश्रितों को योग्यता अनुसार नियमावली में षिथिलीकरण करते हुए त्वरित कार्यवाही करते हुए सेवायोजित किए जाने का अनुरोध किया है। छठी माॅग में कोरोना से मष्त्य कार्मिकों को षहीद का दर्जा दिया दिए जाने की मांग की है । एन.डी .द्विवेदी ने जोर देते हुए कहा कि निर्वाचन कार्य में ड्यूटी कार्मिकों की सहमति के बिना प्रषासन द्वारा लगाई गई जो कि कार्मिकों के मूल  कार्य से इतर है। इसलिए मष्तक कार्मिकों के परिजनों को उक्त सुविधाएं प्रदान करना निर्वाचन आयोग एवं सरकार का नैतिक दायित्व है।


ऐसा प्रकरणों में कैस मिलेगा न्याय ?


संघ ने एक माह की वैधता की अवधि को आगे बढ़ाने की मांग ऐसे ही नही की है बल्कि उनके पास इसका जीता जागता प्रमाण है। अब सरकार को तय करना है कि इस तरह के प्रकरण में उसकी क्या मंषा है। संघ की तरफ से एक नमूने के तौर पर बताया गया कि लोक निर्माण विभाग के बहराइच में तैनात सहायक अभियंता आर.डी. सिंह की चुनाव डियुटी लगाई गई। 22 अप्रैल की चुनाव से संबंधित बैठक में वह संक्रमित हो गए। 24 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट पाॅजीटिव आईं। इस पर पीड़ित सहायक अभियंता ने जिला निर्वाचन अधिकारी को रिपोर्ट प्रस्तुत कर चुनाव ड्यूटी से मुक्त करने का अनुरोध किया। लेकिन उनको डियुटी से मुक्त नही किया गया और उनसे संक्रमित होने के बावजूद 24, 25 ओर 26 अप्रैल तक चुनाव डियुटी का कार्य लिया गया। इसका संज्ञान आने पर अधिषासी अभियंता के लिखित अनुरोध एवं हस्तक्षेप पर उन्हें चुनाव डियुटी से मुक्त किया गया। इसके उपरान्त पीडित सहायक अभियंता को 27 अप्रैल को राममनोहर लोहिया संस्थान में भर्ती किया गया। 16 मई को जगरानी हाॅस्पिटल और 19 को मेदांता में भर्ती कराया गया जहाॅ उनका इलाज के दौरान 6 जून को निधन हो गया। मेदांता  हॉस्पिटल में  उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया। इतने दिन कि चिकित्सा प्रक्रिया में औसतन प्रतिदन 50 से 60 हजार यानि लगभग 10 से 15 लाख रूपये का व्यय भी पीडित के परिजनों द्वारा किया गया। इस तरह के कई और प्रकरण आ सकते है। ऐसी स्थिति में अगर एक माह की निर्धारित समयावधि  की बाध्यता को  कोरोना पीडित की मष्त्यु की दषा में षिथिल नही किया गया तो ऐसे कार्मिकों को अपने जीवन को खोने के साथ उसके द्वारा बुरे वक्त के लिए जमा की गई धनराषि से भी हाथ धोना पड़ेगा जो कि नैसर्गिक न्याय के विपरीत होगा।