आगरा के नागरिकों की मूलभूत समस्याओं के प्रति जनप्रतिनिधि-राजनैतिक दल उदासीन।"मेरी आवाज़ सुनो" मुहिम..का अनावरण।



 आगरा।हिन्दुस्तान वार्ता

आगरा की जनता से बडे बडे वायदे कर राजनैतिक दल अपने प्रत्‍याशियों को जितवाकर विधान सभा में भेजते रहे हैं। लेकिन हर बार आम शहरवासी को लगाता रहा कि वायदे तो दूर महानगर में पूर्व से रहीं आधारभूत अवस्‍थापना सुविधाओं में भी लगातार कमी आयी है। आबादी और महानगर की सीमा के विस्तार के बाद से सुविधायें अनुपातिक नहीं रह सकीं हैं। मलिन बस्तियों की हालत और खराब हुई, जो विकसित तथा नागरिक सुविधाओं से युक्त पुराने मोहल्ले तथा आबादी क्षेत्र थे उनमें जीवन यापन के लिये जरूरी नागरिक सुविधाओं की स्थिति में गिरावट आयी है।

२०२२ चुनाव में विधानसभा का चुनाव होने जा रहा है,राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी अपना चुनावी एजेंडा अघोषित रूप से तय कर चुकी है। अन्य राजनैतिक दल भी सक्रिय हैं,लेकिन कोई भी आगरा के कल्याण और नागरिकों की जरूरत को पूरा करने वाले काम करने या करवाने को लेकर कुछ भी कहने की स्थिति में नहीं है। हकीकत में आगरा के विकास का रोडमैप ही किसी भी राजनैतिक दल के पास नहीं है।

ऐसे में जनता के पास अपनी बात खुद कहने और उसे दोहराते रहने का विकल्प ही रह जाता है। इसी जरूरत को पूरा करने के लिये नागरिकों के संगठन  'सिविल सोसायटी आगरा' ने  'मेरी आवाज सुनो' अभियान शुरू किया है। यह एक ऐसा गैर राजनैतिक अभियान है जो राजनीतिज्ञों की दिशाहीनता को दिशा देने के का लक्ष्य कर शुरू किया गया है। सोसायटी का मानना है कि चुनाव के बाद जनप्रतिनिधियों से ठगा हुआ महसूस करने के स्थान पर अपनी बात को चुनाव लड़ने वालों के समक्ष दमदारी से रखना चाहिये । जो जनता के मुददे दमदारी से रखने के प्रति प्रतिबद्धता जताये उसे ही वोट देना चाहिये।  

सोसायटी के द्वारा चुनाव लडने वालों के अलावा राजनैतिक दलों के समक्ष भी अपनी बात और शहर की जरूरत को रखा जायेगा। फिलहाल  सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा  होटल The के एस रॉयल, सिकंदर  पर आयोजित प्रेस कांफ्रेंस के माध्‍यम से  "मेरी आवाज़ सुनो" मुहीम का शुभ आरंभ कर रही है।

हमें लगता है कि राजनैतिक दलों को चुनाव लड़ने वालों का चयन करने में अब तक रही परंपरा में बदलाव करना चाहिये। पार्टियों को अपने वर्करों की बात को सुनने के अलावा स्‍थानीय नागरिकों और उनके संगठनों से भी प्रत्याशी चयन के लिये बात करनी चाहिये। लादे हुए कैंडिडेट आगरा में कभी भी पसंद नहीं किये गये ।

ज्यादातर की हार ही हुई यह बात अलग है कि राजनैतिक दलों ने इस को गंभीरता से संज्ञान में नहीं लिया। वोटर अमूमन  ईमानदारी से वोट दे कर अपने जनप्रतिनिधि चुनता है. चुनाव जीतने के बाद जनप्रतिनिधि या तो पार्टी का हो जाता है या अपने गुमान के आगोश में अपनी जाति, धर्म के आलावा सब भूल जाता है।

' मेरी आवाज सुनों'

हमारा प्रयास है कि यह स्‍थिति समाप्‍त हो ।हमारे द्वारा शुरू किया गया  'मेरी आवाज़ सुनो' अभियान उस आम वोटर की आवाज़ बने , जो अब तक चुनाव ख़तम होने के बाद, अपने आप को ठगा सा महसूस करता आया है। कितनी विषम स्थिति है कि आगरा की समस्या और विकास को केंद्र और राजधानी में बैठ कर लोग निर्णय लेते हैं. और जनता के द्वारा वोट दे कर चुने गए जनप्रतिनिधि मूक दर्शक बने  रहते हैं। जो काम पहले होने चाहिए वो नहीं होते और बाकी सब तरह के काम होते हैं.

मेरी आवाज़ सुनो के मुख्या पात्र "गोपी और गोपिका" आगरा के आम नागरिक हैं जो शहर से लेकर देहात में बसते हैं, उनकी आम जिन्दगी से ले कर अपनी खुद की रोजी रोटी, बच्चों का भविष्य, सामाजिक और आर्थिक विकास आदि है. जहाँ एक और आत्मनिर्भरता , एक जिला एक प्रोडक्ट पर जोर दिया जा रहा है. पर धरातल पर दूर दूर तक कुछ होता हुआ सा नहीं दिख रहा. आगरा का आर्थिक विकास पर्यटन पर है या उन उद्योगों पर जिन से प्रदूषण नहीं होता, पर इस तरफ कुछ कार्य नहीं हुआ.  वो क्या चाहता है, शहर का क्या विकास चाहता है, वो सुनने को कोई तैयार नहीं है. जनप्रतिनिधि विधान सभा और लोक सभा में आगरा की चाहत के बारे में ईमानदारी से बोलने को तैयार नहीं, यह सब ने अब तक देखा है.

सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा "मेरी आवाज़ सुनो " के तहत, जनता के बीच जा कर जनता के मुद्दों को जान कर, उन सब लोगों को जो २०२२ का चुनाव लड़ना चाहते हैं. बताना चाहती है, के सही मुद्दे क्या है और जनता क्या चाहती. ये मुहिम मीडिया के समर्थन से, सोशल मीडिया और जनता के पास जा कर विभिन्न कांटेक्ट प्रोग्राम के तहत की जाएगी.  

एक प्रयास जनता की भागीदारी का चुनाव से पहले के वो क्या चाहती है और कौन सा उम्मीदवार खरा उतर सकता है. राजनेतिक पार्टियों के लिए यह प्रयास, एक मील का पत्थर साबित होना चाहिए. पार्टी का उम्मीदवार  इस बार जनता और जमीन से जुड़ा होना चाहिए. जो शहर की समस्याओं को जानता हो और जीतने के बाद सिर्फ पार्टी का नुमायन्दा बन कर न रहे.

प्रेस कांफ्रेंस को श्री शिरोमणि सिंह, डॉ मधु भारद्वाज, श्री आनंद राय,श्री दयाल कालरा श्री अनिल शर्मा  आदि ने संबोधित किया ।

इसी अवसर पर  मुहिम के मुख्य पात्र 'गोपी और गोपिका' के पोस्टर  का अनावरण किया गया।  




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