एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘स्थिरता के लिए वैश्विक व्यापार रणनितीयां’’ पर तृतीय अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन।





अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा अनिल सहस्रबुद्धे ने किया शुभारंभ।

हि. वार्ता।नोयडा

छात्रों, अकादमिकों, शोधार्थियों, उद्योग विशेषज्ञों, शोध विद्वानों को वैश्विक व्यापार उत्कृष्टता हेतु विपणन, वित्त, मानव संसाधन, संचालन एंव अन्य क्षेत्रों में अपने विचारों को प्रकट करने हेतु एक मंच प्रदान करने के लिए एमिटी स्कूल ऑफ बिजनेस द्वारा ‘‘स्थिरता के लिए वैश्विक व्यापार रणनितीयां’’ विषय पर तृतीय ऑनलाइन अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा अनिल डी सहस्रबुद्धे, एमिटी विश्वविद्यालय के चांसलर डा अतुल चौहान, एसेंचर इंडिया की एमडी सुश्री चारूलता रवी कुमार, बिजनेस वर्ल्ड समूह के चेयरमैन श्री अनुराग बत्रा, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला एवं एमिटी स्कूल ऑफ बिजनेस के निदेशक डा जे के शर्मा द्वारा किया गया। इस सम्मेलन में देश विदेश से अकादमिकों, शोधार्थियों, उद्यमियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम का संचालन एमिटी स्कूल ऑफ बिजनेस के डा गौरव सूद द्वारा किया गया।

इस अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ करते हुए अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के चेयरमैन डा अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि कोविड के वर्तमान समय में स्थिरता और वैश्विक व्यापार पर आयोजित यह सम्मेलन प्रासंगिक है। पिछले डेढ़ सालों में कोविड ने व्यापार, शिक्षा सभी को प्रभावित किया है और हम हमेशा कि तरह इससे अवश्य उबर जायेगें। उन्होनें संस्थानों का आह्वान करते हुए कहा कि कि अपने संस्थानों में कार्य करने वालों का ध्यान रखना चाहिए इसके साथ ग्राहक पर ध्यान केन्द्रीत करना भी जरूरी है। कोरोना के कारण कई बार संस्थानों में उत्पादन भी कम हुआ क्योकी साधन की अनुपलब्धता ने कर्मचारियों को समय पर पहंुचने नही दिया ऐसे भी समय प्रबंधन भी एक बड़ी चुनौती बन गया इसलिए आपका अपने ग्राहकों और कर्मचारियों से संचार आवश्यक हो जाता है। उन्होेनें जमेशदपुर स्थित टिस्को का उदाहरण देते हुए प्रबंधन और कर्मचारियों के आपसी तालमेल को बताया जिससे एक संस्थान बंद होने की बजाय पुन संचालित होने लगा। डा सहस्रबुद्धे ने कहा कि अंर्तराष्ट्रीय स्तर पर नाम रौशन करने वाले संस्थान सदैव कई शतक वर्षो के आगे की सोचते है। स्थिरता हमारे मूल्य प्रणाली से आती है और जो कर्मचारी के संस्थान में आने के प्रथम दिन से ही प्रारंभ हो जाता है। कर्मचारियों को संस्थान के मूल्य प्रणाली के डीएनए को  समझना चाहिए। उन्होनें कहा कि कभी भी कंपनी को उत्पाद की गुणवत्ता से समझौता नही करना चाहिए। सतत विकास लक्ष्य के लिए स्थिरता आवश्यक है इसलिए आने वाली पीढ़ीयों के भविष्य के लिए हमें यूएन के सतत विकास लक्ष्य में सहयोग करना चाहिए। उन्होनें कहा कि मूल्यों और नीति का पालन करने वाले कंपनीयां कई सौ साल तक रहती है।

एमिटी विश्वविद्यालय के चांसलर डा अतुल चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि डा सहस्रबुद्धे ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद में लोगों के साथ एक ऐसी संस्कृति का निर्माण किया है जिसने हमेशा सुशासन के साथ संगठन को प्रेरित, प्रोत्साहित और परिवर्तित किया है। एमिटी में हमारे युवा पेशेवर ज्ञान के साथ स्नातक होते है और समाज के विकास हेतु अपना ज्ञान समर्पित करते है। हम अपने वैज्ञानिको को नवाचार और अनुसंधान के लिए प्रेरित करते है। छात्रों के मध्य नवाचार की यह संस्कृति संस्थानों के विकास में सहायता करती है। एमिटी विज्ञान और तकनीकी सहित उद्योगों के लिए प्रतिबद्ध है, हम उद्योगों को पेशेवर छात्र प्रदान करते है जिससे वे कार्य के प्रथम दिन से नतीजे प्रदान कर सकें। उन्होनें छात्रों को सलाह देते हुए कहा कि हमारे उपर की पीढ़ीयों ने मेहनत से हमें यह मुकाम प्रदान किया है इसलिए आपसी जिम्मेदारी से विश्व को सभी के लिए बेहतर स्थान बनाने में सहायक बनें।

एसेंचर इंडिया की एमडी सुश्री चारूलता रवी कुमार ने छात्रों को संबोधित करते हुए उद्योग और शिक्षा जगत को एक साथ आने कर आह्वान किया ताकि छात्रों का भविष्य नए क्षेत्रों को अपनाकर अच्छी तरह से आकार ले सके। महामारी के बाद के प्रभावों पर अपने विचारों को साझा करते हुए कहा कि उद्योगों ने नई तकनीकों, काम करने की परिस्थितियों में नए पैटर्न और शिक्षा के नए रूप को अपनाकर बहुत कुछ सीखा है जो अब नव सामान्य हो चुका है। संकटो से निपटने के लिए उन्होनें संस्थानों को प्रारंभिक चेतावनी संकेतों की तलाश करने, प्रणाली का निर्माण करने के लिए तैयार रहने, आत्म नेतृत्व हासिल करके टीमों का प्रेरित करने और साथ लेकर चलने का आह्वान किया।

बिजनेस वर्ल्ड समूह के चेयरमैन श्री अनुराग बत्रा ने महामारी के दौरान आम लोगो हेतु एमिटी के सहयोग को सराहते हुए कहा कि एमिटी ने अपने सभी कर्मचारियों का महामारी के दौरान ध्यान रखा जो संस्थान के विकास में सहायक होता है।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा (श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों और प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि इस सम्मेलन से उन्हे अवश्य वैश्विक व्यापार की नई रणनितीयों की जानकारी प्राप्त होगी।

एमिटी स्कूल ऑफ बिजनेस के निदेशक डा जे के शर्मा ने महामारी के दौरान एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं एंव अन्य गतिविधियों के सफलता पूर्वक संचालन की विस्तृत जानकारी प्रदान की।

इस अवसर पर ‘हाउ टू पब्लिश क्वालिटी जनरल’, ‘पब्लिकेशन ऑफ गुड क्वालिटी केसेस’ और ग्रोथ माइंडसेट मैटर विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। सम्मेलन के द्वितीय दिन तकनीकी सत्र के अंर्तगत नव समान्य में मार्केटिंग को फिर से परिभाषित करना, वित्तीय सेवाओं पर प्रभाव, संकट के समय मानव संसाधन का प्रबंधन पर राष्ट्रीय और अंर्तराष्ट्रीय वक्ताओं, कोरपोरेट विश्व के प्रख्यात विशेषज्ञों और अकादमिक विद्वानों ने अपने विचार व्यक्त किये।

इस दो दिवसीय सम्मेलन में 1000 से अधिक अकादमिकों, शोधार्थियों, मैनजरों, देश विदेश के छात्रों, ने हिस्सा लिया और पेपर प्रस्तुत किये।