पर्यटन राज्य मंत्री श्रीपद नाईक ने किया 17वें एमिटी अंर्तराष्ट्रीय पर्यटन एवं आतिथ्य सम्मेलन का शुभारम्भ।

 



हिन्दुस्तान वार्ता।

विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ हॉस्पिटैलिटी एवं टूरिस्म द्वारा ‘‘समावेशी विकास में पर्यटन - समानता और सतत आर्थिक विकास को प्रोत्साहन” विषय पर दो दिवसीय ऑनलाइन 17 वें एमिटी अंर्तराष्ट्रीय पर्यटन एवं आतिथ्य सम्मेलन का आयोजन किया गया । इस सम्मेलन का शुभारंभ पर्यटन और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्यमंत्री श्री श्रीपद नाईक, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, दुबई के ग्लोबल बिजनेस स्टडीज के अध्यक्ष डा अमिताभ उपाध्याय, हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो एस पी बंसल, मैंनचेंस्टर, मेंट्रोपोलिटियन विश्वविद्यालय के इंस्टीटयूट ऑफ प्लेस मैनेजमेंट के रिसपांसिबल टूरिस्म निदेशक प्रो हारोल्ड गुडविन, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा ( श्रीमती) बलविंदर शुक्ला और एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ हॉस्पिटैलिटी एवं टूरिस्म के डीन डा एम सजनानी द्वारा किया गया। I

सम्मेलन का शुभारम्भ करते हुए पर्यटन और बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग राज्यमंत्री श्री श्रीपद नाईक ने संबोधित करते हुए कहा कि समावेशी पर्यटन से हम संयुक्त राष्ट्र के 17 सतत विकास लक्ष्यों में 10 को हासिल और पूर्ण कर सकते है। विशेषकर सतत विकास लक्ष्य नंबर 5 लैंगिक समानता, नंबर 8 उद्योग, नवाचार और बुनियादी ढांचा का विकास और नंबर 10 असमानता मे कमी को पर्यटन क्षेत्र में विकास करके पूर्ण किया जा सकता है। उन्होनें एमिटी द्वारा किये जा रहे अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार के सम्मेलन, to पर्यटन के समावेशी विकास, साझा समस्याओं के निवारण में सहायक होगें। पर्यटन देश के समाजिक, आर्थिक विकास में सहयोग करता है और यह विश्व का एक बृहद उद्योग क्षेत्र जिससे बड़ी संख्या में लोग जुड़े है। पर्यटन का भविष्य पर्यावरण पर भी आधारित है, पर्यावरण को विकसित संरक्षित करके पर्यटन के क्षेत्र में विकास होगा। वर्तमान समय में सूचना संचार प्रौद्योगिकी ने पर्यटन क्षेत्र को नये आयाम दिया है और विश्व में सभी देश पर्यटन उद्योग से जुड़े है। श्री नाईक ने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में देश के पर्यटन उद्योग के विकास के लिए सरकार द्वारा विभिन्न स्तरों पर प्रयास किये जा रहे है। पर्यटन मंत्रालय द्वारा पर्यटन उद्योगों को जारी किये जा रहे दिशा निर्देशों को बताते हुए सेवा प्रदाताओं के लिए क्षमता निर्माण योजना, उद्योगों को आत्मविश्वास एवं आत्मनिर्भरता की प्रेरणा और पर्यटकों में विश्वास बहाली के लिए ‘‘साथी” योजना, देखो अपना देश योजना आदि के बारे में जानकारी दी।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा.अशोक कुमार चौहान ने माननीय मंत्री श्रीपद नाईक का धन्यवाद देते हुए कहा कि आपके द्वारा इस सम्मेलन में दिया गया उद्बोधन हम सभी के लिए बहुत बड़ा प्रोत्साहन है। भारत में हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने की क्षमता है और हमें पूर्ण विश्वास है कि शीघ्र ही हम हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर होगें। एमिटी मे हम इस प्रकार के सम्मेलनों से छात्रों को पर्यटन क्षेत्र में उपलब्ध अवसरो और क्षेत्र के विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करने का अवसर प्रदान करते है। वर्तमान में पर्यटन क्षेत्र में ढेरो अवसर उपलब्ध है और आपके मार्गदर्शन में विश्व में परिवर्तन लायेगें।

दुबई के ग्लोबल बिजनेस स्टडीज के अध्यक्ष डा अमिताभ उपाध्याय ने कहा महामारी ने पर्यटन उद्योग को प्रभावित किया है। बड़े उद्योग समूह शीघ्र स्वंय को मुख्य धारा में लें आयेगें अधिकतर छोटे उद्योग अधिक प्रभावित हुए है। कोविड के कुछ सकारात्मक प्रभाव जैसे पर्यावरण में सुधार, ऊर्जा की खपत मे कमी, स्वास्थ्य सुरक्षा संरचना पर अधिक ध्यान केंद्रित और सूचना संचार तकनीकी का विकास आदि है। विकास को तभी समावेशी कहा जा सकता है जब समाजिक अवसरों को विकसित करें। पर्यटन विकास सदैव स्थायी विकास मापदंडो पर आधारित होना चाहिए। अगर पर्यटन, संगतता, समुदाय केन्द्रीत और सह निर्माण, क्रमिक होगा तो यह स्थायी और समावेशी आर्थिक विकास के लिए उत्प्रेरक होगा।

हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर प्रो एस पी बंसल ने कहा कि आज का दिन पर्यटन उद्योग से जुड़े लोगों को आत्म निरीक्षण का दिन है। यूएनडब्लूटीओ द्वारा पर्यटन क्षेत्र के विकास के साथ कोई पीछे ना रह जाये का लक्ष्य रखा गया है। हमें महामारी के उपरांत पर्यटन क्षेत्र के भविष्य को देखना चाहिए और वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। उन्होने कहा पर्यटन शिक्षा के क्षेत्र में नई शिक्षा नीति के अनुरून नये क्षेत्रों को शामिल करें।

मैंनचेस्टर, मेंट्रोपोलिटियन विश्वविद्यालय के इंस्टीटयूट ऑफ प्लेस मैनेजमेंट के रिसपांसिबल टूरिस्म निदेशक प्रो.हारोल्ड गुडविन ने भारत पर्यटन क्षेत्र को किस प्रकार विकसित करें बताते हुए कहा कि जिम्मेदारी भरे पर्यटन से स्थायी पर्यटन का विकास होगा। भारत को पर्यटन के समावेशी विकास में स्थानिय व्यक्तियों के लाभों को शामिल करना चाहिए। भारत तकनीकी के रूप से काफी विकसित है पर्यटन क्षेत्र में उसका उपयोग करते हुए नये पर्यटन गंतव्य को विकसित करें।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा ( श्रीमती) बलविंदर शुक्ला ने कहा कि पर्यटन के स्वरूप में बदलाव हो रहा है और साधारण पर्यटन के अतिरिक्त मेडिकल पर्यटन, सांस्कृतिक पर्यटन, व्यापारिक पर्यटन और शिक्षा पर्यटन का विकास हो रहा है। नये व्यापारिक मॉडल बन रहे है आज आप घर बैठे तकनीक की मदद से किसी भी देश की संस्कृति को जान सकते है और वर्चुअल टूर कर सकते है।

इस अवसर एमिटी विश्वविद्यालय के फैकल्टी ऑफ हॉस्पिटैलिटी एवं टूरिस्म के डीन डा.एम सजनानी ने कहा कि इस सम्मेलन में विभिन्न सत्रों में 50 से अधिक विशेषज्ञ और विद्वान अपने विचारों को रखेगें।

एमिटी में आयोजित इस ऑनलाइन 17 वें एमिटी अंर्तराष्ट्रीय पर्यटन एवं आतिथ्य सम्मेलन कें अंर्तगत विभिन्न सत्रो का आयोजन किया गया जिसमें प्रथम सत्र ‘‘ पर्यटन एवं आतिथ्य में नवाचार और स्थायीत्व” पर था जिसमें यूएसए के सर्दन कैलिफेार्निया विश्वविद्यालय के यूएससी सेंटर फॉर पब्लिक रिलेशन की सीनियर फेलो डा उलरिके ग्रेटजेंल, यूएसए की एरिजोना स्टेट विश्वविद्यालय की एसोसिएट प्रोफेसर प्रो दीपक छाबरा, यूएसए की डेनवेर विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एच जी पारसा, आस्ट्रेलिया के जेम्स कुक विश्वविद्यालय की प्रोफेसर बियाना मॉसकारडो, इजिप्त की हेलवान विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डालिया मोहम्मद सेालीमैन और कैनबेरा के ऑस्ट्रेलियन कैपिटल टेरीटरी के नार्थबन एवेन्यू के फांउडर एवं सीईओ डा क्रिस्टोफर वारेन ने अपने विचार व्यक्त किये। इस सम्मेलन में ‘पर्यटन एवं आतिथ्य में स्थायीत्व हासिल करने में नेतृत्व चुनौतियां ,समाजिक उद्यमिता और सतत विकास, पर्यटन के जरीए शांती का निर्माण, इंटीग्रेटेड पर्यटन - गरीबी उन्मूलन का उपकरण, समुदाय आधारित पर्यटन से सतत विकास पर्यटन गंतव्यो का विकास आदि विषयों पर सत्रों का आयोजन किया गया।