जागरूक नागरिक, उज्ज्वल भविष्य भारत का।
इस सवाल के 3 भाग इस प्रकार करने होंगे-
1. DJ(जिला एवं सत्र न्यायाधीश) से न्यायिक मजिस्ट्रेट
2. हाईकोर्ट जज
3. सुप्रीम कोर्ट
1. DJ(जिला एवं सत्र न्यायाधीश) से न्यायिक मजिस्ट्रेट :
इनके खिलाफ भारत का कोई भी नागरिक(मालिक), सम्बंधित हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को शिकायत कर सकता है, साक्ष्यों के साथ अगर सही शिकायत डाक से भेजी जाती है तो कार्रवाई जरूर होती है। राजस्थान हाईकोर्ट के मामले में जोधपुर और जयपुर में एक-एक विजीलेंस रजिस्ट्रार बैठते हैं, जिनका काम ही यह है कि मजिस्ट्रेटों/जजों के खिलाफ प्राप्त शिकायतों पर कार्रवाई सुनिश्चित कराना अथवा ऐसे जजों को नौकरी से निकलवाकर घर भेजना।
2. हाईकोर्ट जज :
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एवं 2 अन्य वरिष्ठ जजों को मिलाकर कॉलेजियम बनता है, यह कॉलेजियम शिकायत प्राप्त होने पर ऐसे हाईकोर्ट जज का ट्रांसफर अन्य हाईकोर्ट में कर सकता है, साथ ही ऐसे हाईकोर्ट जज को काम दिए जाने पर रोक लगा सकता है क्योंकि हाईकोर्ट जजों सहित सभी सुप्रीमकोर्ट जजों को केवल महाभियोग की प्रक्रिया से ही हटाया जा सकता है इसलिए शिकायत पर हाईकोर्ट जज के खिलाफ अन्य कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है...जिस हाईकोर्ट के जज के ख़िलाफ़ शिकायत की जा रही है, उसी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस भी उस हाईकोर्ट जज को काम देने पर रोक लगा सकता है।
3. सुप्रीमकोर्ट जज :
इनका कहीं ट्रांसफ़र नहीं किया जा सकता है लेकिन आरोपी जज, अगर सामान्य सुप्रीमकोर्ट जज है तो सुप्रीमकोर्ट चीफ जस्टिस उसको काम देने पर रोक लगा सकता है, लेकिन अगर शिकायत खुद चीफ जस्टिस के ख़िलाफ़ है तो कोई कुछ नहीं कर सकता है क्योंकि संसद में महाभियोग लाकर ही हाईकोर्ट जज और सुप्रीमकोर्ट जज को हटाया जा सकता है...
रोचक बातें :
1. आज़ादी के बाद किसी भी हाईकोर्ट जज या सुप्रीमकोर्ट जज को महाभियोग लाकर हटाया नहीं गया है, केवल एक बार किसी जज को हटाने के लिए महाभियोग लाया गया था लेकिन महाभियोग की प्रक्रिया पूर्ण होने से पहले ही उसने इस्तीफा दे दिया था।
2. अगर हाईकोर्ट जज या सुप्रीमकोर्ट जज बलात्कार या हत्या जैसा कोई अपराध भी कर देगा तो चीफ जस्टिस की अनुमति के बिना उसके खिलाफ FIR दर्ज नहीं हो सकती है।
3. सबसे रोचक बात यह है कि DJ(जिला एवं सत्रन्यायाधीश) से न्यायिक मजिस्ट्रेट तक के लोग, जो परीक्षा पास करके आते हैं, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करना आसान है और जिनके खिलाफ ट्रांसफर के अलावा कोई कार्रवाई नहीं हो सकती है, वो हाईकोर्ट जज और सुप्रीमकोर्ट जज, बिना परीक्षा पास किए एवं बिना कोई साक्षात्कार दिए आते हैं...
4. केन्द्र सरकार की हाईकोर्ट जज और सुप्रीमकोर्ट जज बनाने में प्रत्यक्ष कोई भूमिका नहीं होती है यानि केन्द्र सरकार की इच्छा के विरुद्ध भी किसी जज को नियुक्त किया जा सकता है लेकिन हाईकोर्ट जज और सुप्रीमकोर्ट जज को हटाने में महाभियोग की प्रक्रिया चलाने में सरकार की भूमिका होती है अतः किसी हाईकोर्ट जज और सुप्रीमकोर्ट जज की शिकायत केंद्रीय कानून मंत्री को भी भेजी जा सकती है...
साभार:लोकवाणी नवीन
"भारत माता की जय - नागरिक शक्ति ज़िन्दाबाद"
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एड.प्रताप सिंह सुवाणा
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