लोक आस्था के महापर्व छठ का पहला अर्घ्य आज।गणपति स्मार्ट सिटी में व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देंगे, सभी तैयारियां पूरी।


                   

हिन्दुस्तान वार्ता, आगरा। रवीन्द्र दूबे।
8 नवंबर से शुरू हुआ छठ पर्व का आज का दिन खास है। आज छठ पर्व का तीसरा दिन है। इसे डाला छठ के नाम से भी जाना जाता है। आज डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। मंगलवार की रात खरना का प्रसाद खाने के बाद से व्रती 36 घंटे निर्जला उपवास कर रहे हैं। महापर्व के दूसरे दिन मंगलवार को छठी माता को खरना प्रसाद का भोग लगा। व्रतियों के घर खरना प्रसाद लेने के लिए लोग पहुंचे। देर रात तक व्रतियों के घर खीर का प्रसाद लेने के लिए लोगों के पहुंचने का सिलसिला चलता रहा।




तीसरे दिन शाम को बांस की टोकरी में फलों, ठेकुआ, चावल के लड्डू आदि से अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, जिसके बाद व्रती अपने परिवार के साथ सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके साथ ही चौथे दिन सुबह उगते हुए सूर्य को दूसरा अर्घ्य दिया जाएगा और अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।




बड़ी संख्या में लोगों ने अपने घर के आंगनों, स्वीमिंग पूल,बगीचों और छतों पर भी सूर्य को अर्घ्य देने के लिए पानी जमा किया है। इसी पानी में उतर कर व्रती फलों से भरा सूप उठाएंगे और सूर्य को अर्पित करेंगे। यह इस भावना के साथ है कि जिस सूर्य ने हमें अन्न दिया हम सबसे पहले उसे श्रद्धा भाव के साथ अर्पित कर रहे हैं। पूरे अनुशासन के साथ। निर्जला की सात्विकता के साथ। इस मायने में यह प्रकृति पर्व है। समाज की हर जाति के सम्मान के साथ है। सूर्य से सीधे जुड़ने के साथ है। बीच में कोई माध्यम नहीं है।

खरना प्रसाद का होता है विशेष महत्व

छठ व्रतियों के घर का खरना प्रसाद विशेष महत्व का होता है। व्रत धारण करने वाले लोगों ने परिजनों को खीर प्रसाद ग्रहण करने के लिए आमंत्रित किया था। खरना पूजा में मिट्टी से सिर धोकर व्रती दिन भर निर्जला व्रत रहे। शाम को बिना शक्कर से गुड़ की खीर एवं पूड़ी का प्रसाद बनाया गया। रात में चंद्र दर्शन के बाद छठ मैया के व्रतियों ने उस प्रसाद को ग्रहण किया।


पूरी तरह से प्रकृति की पूजा है छठ
छठ व्रत पूरी तरह से प्रकृति की पूजा है। इसमें नए फसल, मौसमी फल के साथ नदी, तालाब, पोखर में भगवान सूर्य अर्घ्य दिया जाता है। आगरा में आज शाम के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के लिए सूर्यास्त का समय शाम 5 बजकर 29 मिनट पर है और छठ पूजा के चौथे दिन सूर्योदय का समय सुबह 6 बजकर 35 मिनट पर है।

भगवान सूर्य की उपासना का पर्व छठ आरोग्यता प्रदान करने का व्रत है। इस पर्व को लोग धन, धान्य व सुख समृद्धि की कामना को लेकर करते हैं। जो ब्यक्ति छठ पूजा में किसी भी रूप में शामिल होता है  चाहे उसके घर ब्रत नही हो रहा हो उसको भी उतना ही फल की प्राप्ति होती है,लेकिन जो ब्यक्ति इसको गलत तरीके से या गलत निगाहों से देखता है उसका उतना ही विपरीत प्रभाव पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि छठ के व्रतियों में सूर्य की वह उर्जा विद्यमान हो जाती है कि व्रती पूरे साल बीमारियों से दूर रहता है। चर्म रोगों में छठ का व्रत विशेष लाभकारी माना जाता है।