हिन्दुस्तान वार्ता।
वृन्दावन।रुक्मिणी बिहार स्थित श्री कुंजबिहारी सेवा सदन में श्रीहित परमानन्द शोध संस्थान के द्वारा चल रहे सप्तदिवसीय श्रीमद्भागवत रसोत्सव के अंतर्गत दूसरे दिन केशीघाट पर श्रीयमुना महारानी का दिव्य व भव्य चुनरी मनोरथ अत्यंत श्रद्धा व धूमधाम के साथ सम्पन्न हुआ। सर्वप्रथम छीपी गली स्थित ठाकुर प्रियावल्लभ मन्दिर में मन्दिर के अंगसेवी आचार्य विष्णुमोहन नागार्च के द्वारा पूजा अर्चना सम्पन्न कराई गई।इसके बाद गाजे-बाजे के साथ चुनरी मनोरथ की चित्ताकर्षक शोभायात्रा सैकड़ों भक्तों व श्रद्धालुओं के द्वारा नगर भ्रमण करती हुई केशीघाट तक निकाली गई।श्रीयमुना महारानी का वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य आचार्य विवेक महाराज के आचार्यत्व में पूजन-अर्चन किया गया। ततपश्चात भागवताचार्य श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च, मुख्य यजमान लक्ष्मीनारायण अग्रवाल, रामनारायण अग्रवाल व हनुमान प्रसाद अग्रवाल (रायपुर) छत्तीसगढ़ आदि ने माँ यमुना की महा आरती की।
इस अवसर पर भागवताचार्य व श्रीहित परमानंद शोध संस्थान के महामंत्री श्रीहित ललित वल्लभ नागार्च ने यमुना मैया की महिमा का बखान करते हुये कहा कि कृष्ण कालीन यमुना महारानी भगवान श्रीकृष्ण की आठ पटरानियों में से एक हैं। वह कलयुग में द्वापर युग की विशिष्ट पहचान हैं।
ब्रज सेवा संस्थान के अध्यक्ष व वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने कहा कि कार्तिक मास में यमुना पूजन, यमुना स्नान व दीपदान आदि की अत्यंत महत्ता है। कार्तिक मास में यमुना में स्नान करने से यम के दूत व्यक्ति के निकट नही आते हैं। क्योंकि यमुना महारानी यमराज की बहन हैं। इसीलिए सात समुंदर पार से विदेशी कृष्ण भक्त तक कार्तिक मास में यहां आकर यमुना आराधना करते हैं।
इसके उपरांत यमुना जी को इस पार से उस पार तक 251 मीटर लम्बी चुनरी नौकाओं में बैठे श्रद्धालुओं के द्वारा भजन-कीर्तन के साथ धारण करायी गयी।
इस दिव्य व भव्य यमुना जी के चुनरी मनोरथ में प्रियावल्लभ मन्दिर के सेवायत व मथुरा-वृन्दावन नगर निगम के पार्षद आचार्य रसिक वल्लभ नागार्च, युवा-साहित्यकार राधाकान्त शर्मा, रासबिहारी मिश्रा, जुगलकिशोर शर्मा, तरुण मिश्रा, भरत शर्मा व हितवल्लभ नागार्च आदि के अलावा विभिन्न क्षेत्रों के तमाम गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। संचालन डॉ. गोपाल चतुर्वेदी ने किया।
रिपोर्ट-डॉ. गोपाल चतुर्वेदी