एमिटी में मनाया गया राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस।





हिन्दुस्तान वार्ता।

एमिटी लॉ स्कूल नोएडा एंव राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली ने संयुक्त रूप मिलकर आज राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस मनाया। इस आनलॉइन कार्यक्रम के तहत लॉ क्षेत्र से जुड़े तमाम दिग्गजों ने मानवाधिकार विषय पर अपने विचार रखे। ऑस्ट्रेलिया के एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ बिजनेस एंड लॉ, के एसोसिएट डीन (लॉ) डा जोशुआ एस्टन, सर्वोच्च न्यायालय के एडवोकेट ऑन रिकार्ड डा अमन हिंगोरानी एंव उत्तराखंड राज्य विधि आयोग के पूर्व चेयरपरसन जस्टिस राजेश टंडन ने कार्यक्रम में छात्रों को संबोधित किया। एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमेन डा डी के बंद्योपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत किया।

स्कूल ऑफ बिजनेस एंड लॉ, एडिथ कोवान यूनिवर्सिटी, ऑस्ट्रलिया के एसोसिएट डीन (लॉ) डा जोशुआ एस्टन ने कहा कि मानव अधिकार सभी मनुष्यों के मूल अधिकार है और उन्हें सरकार द्वारा प्रदान नहीं किया जाता है, वे स्वाभाविक रूप से मनुष्यों के पास होते हैं। मानव अधिकार अनादि काल से अस्तित्व में है और नए नहीं है। मानवाधिकारों में जीवन का अधिकार, बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार, धर्म की स्वतंत्रता का अधिकार शामिल है। उन्होने दोनों के बीच के अंतर को स्पष्ट करते हुए अपमानजक और गैर अपमानजक अधिकारों पर भी प्रकाश डाला। मानवाधिकार सभी लिंगों, सभी समुदायों पर लागू होते है और सार्वभौमिक अधिकार है। उन्होनें अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार फाउंडेशन के महत्व के बारे में भी बताया और उल्लेख किया कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरन मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया था।   

सर्वोच्च न्यायालय के एडवोकेट ऑन रिकार्ड डा अमन हिंगोरानी ने कहा कि मै मानवाधिकार दिवस के अवसर पर आज इस कार्यक्रम का आयोजन करने के लिए एमिटी को धन्यवाद देना चाहता हूं। मानवाधिकार मानव व्यवहार के कुछ मानकों के लिए नैतिक सिद्धांत या मानदंड है और नियमित रूप से न्यायपालिका और अंतरराष्ट्रीय कानून में संरक्षित है। हमारे संविधान की प्रस्तावना में ही मानवाधिकारों की बात की गई है और समानता बंधुत्व, संप्रभुता का उल्लेख है। भारत में जो सबसे बड़ा योगदान दिया है वह जनहित की रक्षा करती है और यह जनहित को सुरक्षित करने के लिए किए गए मुकदमें को संदर्भित करती है और सामाजिक रूप से वंचित पक्षों को न्याय की उपलब्धता को प्रदर्शित करती है।

एमिटी लॉ स्कूल के चेयरमेन डा डी के बंद्योपाध्याय ने कहा कि ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि आप सभी अपना समय निकाल कर आज एमिटी के इस कार्यक्रम का हिस्सा बने इससे एमिटी के छात्रों को बहुत कुछ सीखने को मिलेगा। आज का विषय समाज की जागरूकता के लिए अहम है। वह आशा करते है कि लॉ के छात्र आज इस मंच के माध्यम से बहुत कुछ सीखे होगे।

उत्तराखंड राज्य विधि आयोग के पूर्व चेयरपर्सन जस्टिस राजेश टंडन ने कहा कि मानवाधिकार से व्यक्ति की गरिमा की रक्षा भी होती है। देश में ऐसे कई गैर सरकारी संस्थान है जो मानवाधिकार की रक्षा करते है, ऐसे संस्थानों को प्रोत्साहित करना चहिए है। करोना काल में ऐसे कई संस्थान थे जिन्होने लोगों की मदद की। ऐसे में जरूरी है कि इन संस्थानों को खास सहयोग देना हम सभी की जिम्मेदारी है।