एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘खाद्य स्थिरता ,भविष्य के लिए चुनौतियां और अवसर’ पर अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन एमिफोस्ट 2022 का शुभारंभ।



हिन्दुस्तान वार्ता।नोयडा

छात्रों को खाद्य स्थिरता के क्षेत्र में चुनौतियों और अवसरों की जानकारी प्रदान करने के लिए और उद्यमियों, अकादमिकों, वैज्ञानिकों और शोधर्थियों को इस संर्दभ में विचार रखने के लिए एक मंच प्रदान करने हेतु एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी द्वारा ‘‘खाद्य स्थिरता: भविष्य के लिए चुनौतियां और अवसर’’ विषय पर पांचवे अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन एमिफोस्ट 2022 का आयोजन किया गया। इस त्रिदिवसीय सम्मेलन का शुभारंभ मैसूर के सीएसआईआर - केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान की निदेशक डा श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह, इटली के टयूरिन विश्वविद्यालय के ड्रग साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के प्रो गियानकार्लो कारवोटो, एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान, एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला, एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती, एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशक डा नूतन कौशिक और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के निदेशक डा वी के मोदी ने किया।

मैसूर के सीएसआईआर - केन्द्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान की निदेशक डा श्रीदेवी अन्नपूर्णा सिंह ने संबोधित करते हुए कहा कि विश्व की बढ़ रही जनसंख्या के अनुसार हमें भविष्य में लोगों को भोज्य और पोषण युक्त भोजन की उपलब्धता के लिए तैयार रहना होगा। स्थिर खाद्य प्रणाली के अंर्तगत आर्थिक समाजिक और पर्यावरणीय स्तर पर खाद्य सुरक्षा और पोषण दोनो का समावेश होता है जिसमें आने वाले भविष्य के साथ समझौता ना करना पड़ें। स्वास्थ्यवर्धक गुणवत्ता पूर्ण जीवन के संतुलित और विवेकपूर्ण आहार को विकसित करना होगा। आज हमें पोषण सुरक्षा की भी आवश्यकता है क्योकी किसी भी एक स़्त्रोत से सभी प्रकार के पोषण संभव नही है और पोषण तत्वों की कमी से स्वास्थय कमजोर होगा। डा सिंह ने चुनौतियों को बताते हुए स्न 2050 तक जनसंख्या के लिए 65 प्रतिशत अधिक भोजन की आवश्यकता होगी इसके लिए हमें उत्पादकता को बढ़ाना होगा, कृषि भूमि का विकास करना होगा और फसलों की नई वैराइटी विकसित करनी होगी, भोज्य अपशिष्ट को कम करना होगा और खाद्य प्रसंस्करण के जरीए अपशिष्टों से नये खाद्य उत्पाद बनाने होगें। उन्होनें सही गुणवत्ता और मात्रा में पोषक तत्वों की जानकारी देते हुए मांस के अनुरूप सेाय और ग्लुटेन, स्पिुरलीना आदि के बारे में बताते हुए बाजरा, पांरपरिक आहार, न्यूट्रास्यिुटिकल्स, प्लास्टिक मुक्त पैकेजिंग के बारे में विस्तृत जाकनारी प्रदान की। 

इटली के टयूरिन विश्वविद्यालय के ड्रग साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के प्रो गियानकार्लो कारवोटो ने स्थिर एक्सट्रैक्शन प्रणाली में आधुनिक औद्योगिक परिपेक्ष्य की जानकारी देते हुए इको एक्सट्रैक्शन इनोवेटिव प्रोसेस के अंर्तगत थर्मोमैग्नेटिक इंडक्शन, फ्लैश रिलिज, प्रेसराइड़ज लिक्विड, सबक्ट्रिकल वाटर, सुपरक्ट्रिकल फ्लुइड, पल्सड इलेक्ट्रीक फील्ड, अल्ट्रासाउंड और माइक्रोवेव तकनीकी के बारे में बताया। उन्होनें कहा कि हम खाद्य प्रसंस्करण के नये युग में प्रवेश कर रहे है।

एमिटी शिक्षण समूह के संस्थापक अध्यक्ष डा अशोक कुमार चौहान ने संबोधित करते हुए कहा कि सभी को खाद्य सुरक्षा के दायरे में लाने के लिए और उनके पूर्ण विकास के लिए पोषण युक्त भोजन उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी हम सभी की है और अकादमिक, वैज्ञानिक, उद्योगों, सभी को मिलकर साझा प्रयास करना होगा। डा चौहान ने कहा कि खाद्य स्थिरता की चुनौतियों का निवारण शोध और नवाचार के माध्यम से ही संभव है और इसके लिए छात्रों को आगे आकर समस्या के निवारणों को खोजना होगा। डा चौहान ने कहा यह अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन नये विचारों की उत्पन्नता और शोध के नये आयाम स्थापित करेगा।

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने कहा कि खाद्य स्थिरता की चुनौतियों से निपटने के लिए हमें गुणवत्ता के साथ उत्पादकता को बढ़ाना होगा और खाद्य का बर्बाद होने से बचाना होगा। उन्होनें कहा कि सप्लाई फूड चेन, फसल की कटाई के उपरांत तकनीक और कृषि भूमी का विकास करना होगा। डा शुक्ला ने कहा कि हर व्यक्ति के लिए भोजन की उपलब्धता, भोजन की बर्बादी से बचाना और कृषको के विकास को लक्ष्य बनाना होगा।

एमिटी साइंस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि एमिटी में वैज्ञानिको द्वारा कृषि उत्पादन को बढ़ाने, कृषको की समस्याओं का निवारण करने, फसल की कटाई के उपरंात की बर्बाद होने से बचाने, फल और सब्जियों को ताजा और सहजने की कम लागत की तकनीक विकसित करने की दिशा में कार्य कर रहे है। देश को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में हमें देश में खाद्य स्थिरता लानी होगी।

इस अवसर एमिटी फूड एंड एग्रीकल्चर फांउडेशन की महानिदेशक डा नूतन कौशिक और एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी के निदेशक डा वी के मोदी ने अपने विचार व्यक्त किये। इस अवसर पर अंर्तराष्ट्रीय सम्मेलन आधारित पुस्तिका का विमोचन भी किया गया।

तकनीकी सत्र के अंर्तगत आज प्रथम सत्र में सिंगापूर के नगी एन पॉलिटेक्नीक के प्रो अनली गेंग, बीएचयू के प्रो जय प्रकाश वर्मा, गुजरात के मानसिंनभाई इंस्टीटयूट ऑफ डेयरी एंड फूड टेक्नोलॉजी के डा दीपक मुदगील ने अपने विचार व्यक्त किये।