जीएसआईटीआई फील्ड प्रशिक्षण केन्द्र रायपुर,ने विद्यार्थियों को दिया गया सफलता पूर्वक प्रशिक्षण।

 



छत्तीसगढ़ के 18 स्थानों का कराया फील्ड वर्क व सिखाई मैपिंग।

हिन्दुस्तान वार्ता। मदन साहू , 

रायपुर (छत्तीसगढ़)। देश में भूविज्ञान के क्षेत्र में कार्यरत सर्वोच्च संस्थान भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण जीएसआई के भू-वैज्ञानिकों को प्रशिक्षित करने के लिए स्थापित भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण प्रशिक्षण संस्थान फील्ड प्रशिक्षण केन्द्र रायपुर द्वारा विद्यार्थियों को डायरेक्टर श्री डी. के. थवाईत के निर्देशन व वरिष्ठ भूवैज्ञानिक रामेश बाबु जालेम व आशीष वाधवानी के मार्गदर्शन में 19 मार्च से 24 मार्च, 2022 तक दिए जा रहे छः दिवसीय अल्पकालीन प्रशिक्षण 24 मार्च को सफलतापूर्वक सम्पन्न हो गया।

     इस प्रशिक्षण का शुभारंभ श्री डी. के. थवाईट, डायरेक्टर, जीएसआईटीआई,एफटीसी रायपुर द्वारा विद्यार्थियों के लिए स्वागत उद्बोधन के साथ 19 मार्च को किया गया।इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से हमेशा फेकल्टी से इंटरेक्शन कर समझ विकसित करने और आवश्यक रूप से ब्रन्टन कम्पास को बारीकी के साथ सीखने की अपील की। तत्पश्चात उनके द्वारा छत्तीसगढ़ का भूविज्ञान और खनिज संपदा विषय पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया। उद्घाटन कार्यक्रम के अंत में वरिष्ठ भूवैज्ञानिक आशीष वाधवानी ने वोट ऑफ थैंक्स देते हुए, प्रशिक्षण के लिए विद्यार्थियों के नामांकन के लिए विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर और एसआरटीएम यूनिवर्सिटी के विभागाध्यक्षों का आभार प्रकट किया।कार्यक्रम का संचालन श्री रामेश बाबु जालेम, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक के द्वारा किया गया। वहीं वरिष्ठ भूवैज्ञानिक आशीष वाधवानी द्वारा मैपिंग की बारिकियों से विद्यार्थियों को अवगत कराया गया।

     प्रशिक्षण के दूसरे दिन  छत्तीसगढ़ सुपरग्रुप के रायपुर ग्रुप के चांदी फाॅर्मेशन में स्टोमेटोलिटिक लाइमस्टोन, रायपुर ग्रुप के ही चरमुरिया फाॅर्मेशन में ग्रे लाइमस्टोन ,संस्तरित क्रम अनुसार चरमुरिया फाॅर्मेशन के नीचे स्थित चन्द्रपुर ग्रुप के लोहरडिह फाॅर्मेशन में फेरोजिनस सेन्डस्टोन, डोंगरगढ़ ग्रेनाइट, बया नीस इत्यादि का भूवैज्ञानिक अध्ययन करवाकर उनसे संबंधित कई भू-वैज्ञानिक तथ्यों की भी जानकारी दी।

       इस भू-वैज्ञानिक प्रशिक्षण के तीसरे दिन 21 मार्च को विद्यार्थियों को रामपुर से 1 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व में स्थित बाया नीस, सोनाखान ग्रुप के बाघमारा फाॅर्मेशन में मेटा बेसाल्ट,सोनायुक्त ग्रेनाइटिक    अंतर्वेधन,डोलेराइट,मेटा रायोलाइट और अर्जुनी फाॅर्मेशन के बेसल भाग में स्थित जोंक कांग्लोमेरेट का भूवैज्ञानिक अध्ययन कराया गया। 

      वहीं प्रशिक्षण के चौथे दिन बया नीस में एम्फीबोलाइट इन्क्लेव्स,टोनीडोंगर ग्रुप में शामिल एम्फीबोलाइट,बया नीस में टोंनीडोंगर ग्रुप के क्वार्ट्ज माइका शिस्ट के इन्क्लेव्स,टोनीडोंगर ग्रुप के बेन्डेड मेग्नेटाइट क्वार्ट्जाइट,खरखुंटा गांव स्थित डोलेराइट डाइक,बया नीस में अंतर्वेधित डोंगरगढ़ ग्रेनाइट के भू-वैज्ञानिक तथ्यों को समझा। प्रशिक्षण के पांचवें दिन विद्यार्थियों ने भू-वैज्ञानिक मैपिंग की बारिकियों को समझकर, गोपालपुर क्षेत्र में भू-वैज्ञानिक मैपिंग कर अनुभव प्राप्त किया।

      प्रशिक्षण के अंतिम दिन 24 मार्च को श्री रामेश बाबु जालेम, वरिष्ठ भूवैज्ञानिक द्वारा फील्ड वर्क के दौरान लिए गए डेटा से भूवैज्ञानिक मानचित्र तैयार करने की प्रक्रिया को समझाया। वहीं श्री आशीष वाधवानी द्वारा भूविज्ञान से जुड़ी विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और उसमें सफलता हासिल करने के लिए मार्गदर्शित किया गया।इस दौरान उन्होंने विद्यार्थियों से किसी भी विषय को पूरा पढ़ने और हमेशा याद रखने के लिए समझकर कोरिलेट करने की अपील की। प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम के दौरान श्री डी.के.थवाईत द्वारा विद्यार्थियों को मार्गदर्शित करते हुए, उच्च भविष्य की कामना की गई।

     प्रशिक्षण में शामिल विद्यार्थियों ने समापन कार्यक्रम के दौरान इस बहुपयोगी अल्पकालीन प्रशिक्षण की अत्यंत सराहना करते हुए,इस अतिमहत्वपूर्ण सुनहरे अवसर को प्रदान करने के लिए आभार प्रकट किया।इस दौरान मदन साहू ने प्रशिक्षण के अनुभवों को अपने स्वरचित गीत "जीएसआई से प्रशिक्षण का मौका जो हमने है पाया...." प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। वहीं प्रीतम,संगमा, मौलिक, गौतमी, दीक्षित, अमित, चाणक्य, स्वेता सहित सभी विद्यार्थियों ने अपने अनुभवों को साझाकर धन्यवाद देते हुए, अल्प समय में भू-वैज्ञानिकों द्वारा गागर में सागर भरने वाले इस बहुपयोगी प्रशिक्षण के लिए आभार प्रकट किया।

    इस प्रशिक्षण में शासकीय विज्ञान महाविद्यालय जबलपुर से 8 विद्यार्थी आयुषी पटेल, दीक्षित उके, गौतमी हारोडे,मदन साहू, मौलिक पान्डेय, नवनीत भालेकर,संजय कुमार पटेल,श्वेता और स्वामी रामानंद तीर्थ मराठवाड़ा यूनिवर्सिटी नांदेड महाराष्ट्र से 17 विद्यार्थी सौरभ माधवराव गायवाडे, चाणक्य विश्वनाथ तरोणे,प्रतिक प्रभाकरराव निगडकर,हर्षल मोहन हरमकर,रोडगे अनिकेत ज्ञानबा,मोहन लक्ष्मण मोरे, चौधरी सचिन विलासराव,डी संगमा चियाक चुबा जुलियस,डव्ह‌‌ळे करण सखाराम,प्रितम अशोक दुधकुवर,आकाश शिवलाल कापगते,लहाने शुभम ज्ञानदेव,लोहारे अमित सुरेश,राहुल जानकीराम मुंडे, प्रेरणा प्रविण सागावकर, ऋषिकेश बालाजी सकरगे,शेंडे रितिक रामकृष्ण सहित कुल 25 विद्यार्थियों ने शामिल होकर भूवैज्ञानिकों के अनुभवों से सीखकर लाभ उठाया।