प्रदूषित पेयजल:आगरा कॉलेज में जर्मनी शोध कर्ता, विगांड कोरबर ने विस्तृत जानकारी के साथ ,दी चेतावनी।





- आगरा कॉलेज में जमर्नी शोधकर्ता विगांड कोरबर ने चेताय़ा।

- लोगों के जीवन को लील रहा है प्रदूषित पेयजल।

- पेयजल को प्रदूषण मुक्त करने को लोग आगे आएं।

- इसके लिए एनजीओ भी निभा सकते हैं बड़ी भूमिका।

- सरकार और न्यायपालिका भी कर रही है पहलः दूबे

हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा। विधि संकाय, आगरा कालेज, आगरा में मंगलवार को वाटर रिलेटेड इन्डीकेटर्स इन डोमेस्टिक पॉलिटक्स एंड लॉ विषयक संगोष्ठी का आयोजन पं. दीनदयाल उपाध्याय ग्राम्य विकास संस्थान (डॉ. बीआरए विवि. आगरा) के प्रभारी निदेशक  डॉ. मनोज सिंह राठौर की अध्यक्षता में किया गया ।

मुख्य वक्ता रहे मार्टिन लूथर विवि, हाले विटेनवर्ग (जर्मनी) के विगांड कोरबर। विगांड कोरबर हाल ही में जर्मनी से भारत आए हुए हैं। वह यहां खासकर आगरा में संयुक्त राष्ट्र संघ के संपोषित विकास के लक्ष्य के अन्तर्गत जल सम्बधी सूचकांकों में घरेलू राजनीति ओर विधि के प्रभाव एवं शुद्ध पेयजल और जनसामान्य के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव का अध्ययन कर रहे हैं। वह यहां सीवर समस्या के बारे में भी शोध कर रहे हैं।

शोधकर्ता विगांड कोरबर ने कहा कि आज के युग में प्रदूषण लोगों के जीवन को लील रहा है। जरूरत इस बात की है कि लोग आगे आएं औऱ खासकर पेयजल को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए हर स्तर पर प्रयास करें। उन्होंने कहा कि यदि हर किसी को पीने के पानी शुद्ध मिलेगा तो कई बीमारियां लोगों से दूर रहेंगी। पीने के लिए शुद्ध पानी मिले इसके लिए स्वैच्छिक स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) बड़ी भूमिका निभा सकते हैं।

संपोषित विकास के लक्ष्य को समझाते हुए कहा कि भारत ही नहीं बल्कि समूचे विश्व में प्रदूषित जल जनसामन्य के स्वस्थ जीवन के लिए खतरा है, जिससे विभिन्न रोग स्वास्थ्य और मानव जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व के सभी लोगों को शुद्ध पेयजल का लक्ष्य संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा निर्धारित किया गया है। इसी क्रम में भारत सरकार ग्रामीण पेयजल योजना, नमामि गंगे योजना और यमुना शुद्धीकरण योजना के अलावा अन्य जल स्रोतों के संरक्षण एवं सम्बर्धन के लिए कार्य कर रही हैं। 

  संगोष्ठी का शुभारम्भ जर्मनी के शोधकर्ता विगांड कोरबर ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर किया। साथ रहे डॉ. मनोज सिंह राठौर और संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं विधि संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कण्ठ दूबे। आयोजन समिति के सचिव एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कण्ठ दूबे ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने संपोषित विकास का लक्ष्य रखा है इसके अन्तर्गत मानव के स्वस्थ जीवन के लिए जल सूचकांको का उत्तम प्रबंधन शामिल किया गया है। इस कार्य योजना से पेयजल की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हो रहा है। प्रदूषण मुक्त पेजयल के लिए  भारत की न्यायपालिका ने भी समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। खास बात यह है कि भारत सरकार भी इस दिशा में निरन्तर सार्थक पहल कर रही है।

संगोष्ठी का संचालन डॉ. (श्रीमती) निधि शर्मा ने किया। अन्त में आभार डॉ. शिवबीर सिंह यादव ने व्यक्त किया। इस मौके पर डॉ. डी.सी. मिश्रा, डॉ. मोअज्जम खान, डॉ. शोभ नाथ जैसल, डॉ. उमेश कुमार, डॉ. रीता निगम डॉ. सुधेन्द्र नाथ, डॉ. अमर नाथ, डॉ. मनीष शंकर तिवारी, डॉ. फिरोज अंसारी, डॉ. कृष्णवीर सिंह यादव, डॉ. अजहर अली, डॉ. अर्चना यादव, आदि उपस्थित थे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।