संगोष्ठी : हैड-शिक्षक तो कभी वकील नजर आए-जज दिनेश शर्मा।





-आगरा कॉलेज में मूट कोर्ट को और उपयोगी बनाएंगे : अनुराग शुक्ल।

-विधि छात्रों में व्यवहारिक ज्ञान बढ़ाता है मूट कोर्ट:शिति कण्ठ दूबे।

हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा। विधि संकाय, आगरा कालेज, आगरा  में शनिवार को विधि शिक्षा में आभासी न्यायालय (मूट कोर्ट) की भूमिका विषयक संगोष्ठी का आयोजन कालेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ल की अध्यक्षता में किया गया । मुख्य वक्ता रहे अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं स्थायी लोक अदालत, एटा के अध्यक्ष श्री दिनेश शर्मा।

     कार्यक्रम का शुभारम्भ अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं स्थायी लोक अदालत, एटा के अध्यक्ष दिनेश शर्मा और कालेज के प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ल ने मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्जवलित कर किया। साथ रहे संगोष्ठी के आयोजन सचिव एवं विधि संकाय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कण्ठ दूबे।

  संगोष्ठी में अवकाश प्राप्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं स्थायी लोक अदालत, एटा के अध्यक्ष दिनेश शर्मा मुख्य वक्ता थे। उन्होंने मूटकोर्ट की व्याख्या करते हुए उसके महत्व और आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला। न्यायाधीश दिनेश शर्मा संगोष्ठी में कभी शिक्षक तो कभी वकील के रूप में छात्रों के सवालों के जवाब देते नजर आए। दरअसल, संगोष्ठी में न्यायाधीश दिनेश शर्मा मुख्या वक्ता के रूप में विधि छात्र-छात्राओँ के पढ़ाते नजर आए।

 उन्होंने जिला एवं सत्र न्यायाधीश के तौर पर किए गए अपने     न्यायिक कार्यों के अनुभवों के आधार पर मूट कोर्ट की प्रासंगिकता को समझाते हुए छात्रों का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि 1992 में मैंने आगरा कॉलेज से ही विधि स्नातक की डिग्री ली, और यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है कि आज मैं अपने ही कॉलेज रूपी परिवार में बच्चों को मूट कोर्ट की जानकारी दे रहा हूँ।

अध्यक्षता करते हुए आगरा कालेज के प्राचार्य,  डॉ. अनुराग शुक्ल ने कहा कि न्याय किसी भी सभ्य समाज की रीढ़ होता है। इससे ही समाज में न्याय की नींव पढ़ती है। जब समाज में असामाजिकता फैलती है,तब सबके लिए न्याय बहुत जरूरी है।   उन्होंने कहा कि समाज में अन्याय नहीं हो बल्कि न्याय का प्रसार हो, इसका दायित्व आगे चलकर विधि की पढ़ाई कर रहे युवाओं पर ही ज्यादा है।

प्राचार्य डॉ. अनुराग शुक्ल ने कहा कि आगरा कॉलेज के विधि संकाय का यह मूट कोर्ट बहुत खास है। हम आने वाले दिनों में मूट कोर्ट को ज्यादा उपयोगी बनाने की योजना पर काम कर रहे है। कोशिश है कि अगले सत्र तक मूट कोर्ट और उपयोगी दिखाई देगा।

इससे पूर्व आयोजन समिति के सचिव एवं एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शिति कण्ठ दूबे ने विधि शिक्षा में आभासी न्यायालय (मूट कोर्ट) की भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जैसा कि नाम से ही विदित है कि मूट कोर्ट का अर्थ आभासी, कृत्रिम या सांकेतिक न्यायालय से है। मूट कोर्ट खासकर विधि के छात्र-छात्राओं में न्यायालय से सम्बन्धित व्यवहारिक ज्ञान को बढ़ाने में सहायक होता है। जिससे अध्ययन के बाद छात्र जब न्यायालय में जाता है तो उसे न्यायालय से सम्बन्धित प्रक्रिया में कोई कठिनाई नहीं होती है। संगोष्ठी का संचालन डॉ. (श्रीमती) निधि शर्मा ने किया। अन्त में आभार डॉ. कृष्णवीर सिंह यादव ने व्यक्त किया।

इस मौके पर डॉ. डी.सी. मिश्रा, डॉ. मोअज्जम खान, डॉ. शोभ नाथ जैसल, डॉ. सुधेन्द्र नाथ, डॉ. अमर नाथ, डॉ. मनीष शंकर तिवारी, डॉ शिवबीर सिंह यादव, डॉ. फिरोज अंसारी, डॉ. कृष्णवीर सिंह यादव, डॉ अजहर अली, डॉ. अर्चना यादव, डॉ. रमेश सिंह, डॉ. गीता उपाध्याय, और डॉ. चंचल शर्मा आदि उपस्थित थे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।