एमिटी विश्वविद्यालय में ‘‘ छात्रों के शिक्षण और आंकलन के लिए प्रौद्योगिकी’पर शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ।

 




हिन्दुस्तान वार्ता। नोयडा

एमिटी विश्वविद्यालय के एमिटी एकेडमिक स्टाफ कॉलेज द्वारा छात्रों के शिक्षण और आकलन के लिए नवीनतम प्रौद्योगिकी की जानकारी प्रदान करने के लिए यूजीसी मैनडेट - गुरू दक्षता के अंर्तगत शिक्षकों के लिए ‘‘ आई - जेनरेशन के शिक्षण और आकलन के लिए प्रौद्योगिकी’’ पर पांच दिवसीय ऑनलाइन शिक्षक विकास कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ शिक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डा गिरिश नाथ झा, एक्सस्किलेंस के अघ्यक्ष और सीईओ डा एस आर सुब्रमण्या, साउथ अफ्रिका की यूनिवर्सिटी ऑफ प्रेटोरिया की एसोसिएट प्रोफेसर डा मारिटा टर्पीन और एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला द्वारा किया गया। इस शिक्षक विकास कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडू, आदि से प्रतिभागीयों ने हिस्सा लिया।

इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए शिक्षा मंत्रालय के वैज्ञानिक तथा तकनीकी शब्दावली आयोग के चेयरमैन डा गिरिश नाथ झा ने कहा कि बहुभाषीय समाज में ई लर्निंग सिद्धांतो और अभ्यासों का महत्व बढ़ा है। हमे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंर्तगत लोगो को उनकी अपनी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करना है और इसके लिए कटेंट विकसित किया जा रहा है। उन्नत शिक्षण प्रौद्योगिकी के तहत अध्ययन बहुविषयक क्षेत्र कें अंर्तगत ई लर्निंग मूलरूप से एआई और सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित है। वर्चुअल लर्निंग, डिजिटल लर्निंग, ऑनलाइन लर्निंग, डिस्टेंस लर्निंग और ई लर्निंग शिक्षण के नये माध्यम है। ई लर्निंग में आर्टिफिशियल बुद्धिमता का उपयोग, समाज में वास्तविक शिक्षा का बुद्धिमान अनुकरण है जिसमें बहुभाषा, बहुविधता शामिल है। भारत में ई लर्निंग को मातृभाषा आाधारित, बहुभाषिय और बहुविध, विविध मौखिक परंपरा को पूर्ण करने वाला, शिक्षण को रेखाकिंत करने वाला ना कि उपाधि को और निशुल्क या कम कीमत में उपलब्ध होने वाला होना चाहिए। भारत में ई लर्निंग में भाषा तकनीक और शिक्षण तकनीक दोनो आवश्यक है। 

एक्सस्किलेंस के अघ्यक्ष और सीईओ डा एस आर सुब्रमण्या ने कहा कि डिजिटल इंडिया अभियान पूरे देश को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद कर रहा है। पिछले कुछ समय में शिक्षा के क्षेत्र में ई लर्निंग और ऑनलाइन लर्निंग का प्रभाव बढ़ा है और हमने तकनीक की मदद से इस परिवर्तन को आत्सात भी किया है। शिक्षण में तकनीक का उपयोग शिक्षण सामग्री को और भी प्रभावशाली बनाना है जिससे छात्र उसे बेहतर तरीके से समझ सके। यह पांच दिवसीय शिक्षक विकास कार्यक्रम, शिक्षको को नई तकनीकों को और भी बेहतर तरीके से सीखने में सहायता करेगा।

साउथ अफ्रिका की यूनिवर्सिटी ऑफ प्रेटोरिया की एसोसिएट प्रोफेसर डा मारिटा टर्पीन ने कहा कि यह अति आवश्यक है कि शिक्षक शिक्षा को नई तकनीको को सीखें और आत्मसात करें जो उपयोगकर्ता के अनुकूल हो और आसानी सेे समझ में आने वाली हो। कोविड के दौरान ऑनलाइन शिक्षा के क्षेत्र में काफी प्रगती हुई जिससे शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक परिवर्तन आया है और छात्रों में सीखने और शिक्षकों में पढ़ाने की नये कौशल विकसित हुए। 

एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश की वाइस चांसलर डा बलविंदर शुक्ला ने अतिथियों और प्रतिभागीयों का स्वागत करते हुए कहा कि छात्रों को शिक्षण प्रदान करने के लिए शिक्षको को स्वंय को नई तकनीकों और जानकारीयों से अपडेट करते रहना चाहिए। इस शिक्षक विकास कार्यक्रम के अंर्तगत लर्निंग मैनेजमेंट सिस्टम, ई कंटेट, मल्टीमीडिया आधारित इंटरएक्टिव टयूटोरियल, वेब आधारित व्याख्यान और वर्चुअल रियलिटी आधारित लर्निंग सिस्टम कुछ महत्वपूर्ण और प्रभावी तरीको के अतिरिक्त उपकरणों का विकास, ऑनलाइन मूल्यांकन और मूल्यंाकन डॉट प्लॉटस की मार्किंग और ग्रेडिंग में आईसीटी, मैट्रिक्स एनालिसिस, कर्व फिटिंग, ग्रेड के संकलन आदि की नवीनतम जानकारी प्रदान की जायेगी।

इस अवसर पर एमिटी विश्वविद्यालय के इंजिनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के डिप्टी डीन डा के एम सोनी, डिप्टी डायरेक्टर एकेडमिक्स डा तान्या सिंह और एमिटी स्कूल ऑफ इंजिनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के आई टी डिपार्टमेंट की हेड डा नताशा हस्तीर उपस्थित थीं।