वेदिक विज्ञान क्रियेशन एलएलपी और एमिटी विश्वविद्यालय के मध्य हुआ तकनीकी हस्तांतरण।





- एमिटी के वैज्ञानिक डा अमित खरकवाल द्वारा विकसित तकनीकी का हुआ हस्तांतरण।

हिन्दुस्तान वार्ता। नोयडा

एमिटी विश्वविद्यालय केवल वैज्ञानिकों, शोधार्थियों को शोध और नवाचार के लिए ही प्रोत्साहित नही करता बल्कि उनके अनुसंधानों को उत्पाद बनने के लिए उद्योगों के साथ सार्थक प्रयास भी करता है जिससे वह उत्पाद देश के आम व्यक्ति के लिए उपलब्ध हो सके। इसी क्रम आज वेदिक विज्ञान क्रियेशन एलएलपी और एमिटी विश्वविद्यालय के मध्य तकनीकी हस्तांतरण किया गया। इस समारोह में एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल द्वारा विकसित की गई तकनीक ‘‘एंटोफाइटिक एक्टीविटी ऑफ टालारोमायसेस परपररियोजेनेस एचएनबी9’’ का हस्तांतरण किया गया। इस तकनीकी हस्तांतरण एग्रीमेंट पर वेदिक विज्ञान क्रियेशन एलएलपी के संस्थापक भागीदार श्री आर के सिंघल और एमिटी विश्वविद्यालय उत्तरप्रदेश के कुलसचिव डा बी एल आर्या ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेंशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती और गु्रप डिप्टी वाइस चांसलर डा अजित वर्मा भी उपस्थित थे।

वेदिक विज्ञान क्रियेशन एलएलपी के संस्थापक भागीदार श्री आर के सिंघल ने कहा कि एमिटी के साथ इस तकनीकी के माध्यम से जुड़ना हमारे लिए बेहद गर्व की बात है।

 हमारा प्रयास रहेगा कि शीघ्र इस तकनीक के जरीए बनने वाले उत्पाद जो कृषकों के लिए काफी लाभदायक होगा उसे बाजार में लोगों के लिए उपलब्ध करायें। 

एमिटी सांइस टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन फांउडेंशन के अध्यक्ष डा डब्लू सेल्वामूर्ती ने कहा कि एमिटी के वैज्ञानिकों द्वारा कृषि, भोज्य आदि क्षेत्रों की दिशा में काफी कार्य किया जा रहा है। मृदा के स्वास्थय के लिए माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी अत्यंत महत्वपूर्ण है जिससे ना केवल उत्पादन बल्कि पोषक तत्वों का विकास भी होता है। डा सेल्वामूर्ती ने कहा कि इस बायोफर्टीलाइजर को हस्तांतरित करके उद्योगों के माध्यम से उत्पाद बन कर लोगों को लाभ मिले इसके लिए कार्य किया जा रहा है। उन्होनें श्री सिंघल से कहा कि एमिटी सदैव आपकी सहायता के लिए उपस्थित है। इस प्रकार के तकनीकी हस्तांतरण के जरीए एमिटी का मुख्य उददेश्य आत्मनिर्भर भारत की दिशा में सहयोग प्रदान करना है।

गु्रप डिप्टी वाइस चांसलर डा अजित वर्मा ने कहा कि वर्तमान में मृदा स्वास्थय पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, उन्होनें कहा कि माइक्रोइनवेंशन, मृदा को स्वस्थ बनाकर उत्पादन बढ़ाते है और उसमें मृदा मूल्यों का विकास भी करते है। 

एमिटी इंस्टीटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉजी के डिप्टी डायरेक्टर डा अमित खरकवाल ने तकनीक ‘‘एंटोफाइटिक एक्टीविटी ऑफ टालारोमायसेस परपररियोजेनेस एचएनबी9’’ पर प्रस्तुती देते हुए कहा कि इस नोवेल बायोएजेंट का विकास कृषि के लिए किया गया हैं। यह कवक पौधे मेें फास्फेट, जिंक, सिलिकॉन, आयरन आदि को बढ़ाकर उनकी गतिविधियों को प्रोत्साहित करता है। डा खरकवाल ने कहा कि शोध के दौरान देश में कई स्थानो पर इस नोवेल बायोएजेंट का उपयोग किया गया और उन्हें सकारात्मक नतीजे प्राप्त हुए। उन्होनें टॉक्सीसिटी स्टडी, रूट कोलोनाइजेशन, फिल्ड एप्लीकेशन आदि के बारे में बताया।

इस कार्यक्रम में वेदिक विज्ञान क्रियेशन एलएलपी के श्री मयंक सिंघल, श्री नीरज सिंहल ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर पर डायरेक्टोरेट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर के निदेशक डा दिलीप जे उपाध्याय, एआइएमएमएसीआर के चेयरमैन डा बी सी दास और  डायरेक्टोरेट ऑफ इनोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर की डिप्टी डायरेक्टर सुश्री मीनाक्षी कनौजिया उपस्थित थी।