हिन्दुस्तान वार्ता।दिल्ली
दिल्ली के तीन मूर्ति भवन परिसर स्थित ' प्रधान मंत्री संग्राहलय ' की तर्ज पर आगरा में स्व.प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी से संबधित एक दीर्घा बनेगी। जिसमें अटल जी और भारत के विकास की जानकारी दिये जाने के साथ ही बाह बटेश्वर सहित आगरा की अर्वाचीन धरोहर और संस्कृति की स्मार्ट तकनीकि आधारित आडियो व्यूजल जानकारी सुलभ करवाये जाने का प्रयास होगा। यह कहना है,फतेहपुर सीकरी के सांसद राजकुमार चाहर का,जो कि नई दिल्ली में 189, नॉर्थ एवेन्यू,स्थित निवास पर आगरा के पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
श्री चाहर ने कहा बटेश्वर उनके संसदीय क्षेत्र में आता है और यह एक प्रमुख तीर्थस्थान और प्राचीन एतिहासिक सांस्कृतिक स्थल है। पूर्व प्रधानमंत्री स्व.बाजपेयी जी का पैत्रिक गांव भी है। लखनऊ -आगरा एक्सप्रेस वे बनजाने के बाद से इसकी पहुंच अत्यंत सहज हो गयी है। फलस्वरूप साल भर लोगों का यहां आना जाना बना रहता है।
श्री चाहर ने बताया कि तीन मूर्ति परिसर में बने 'प्रधान मंत्री संग्रहालय' का गत माह उन्होंने भ्रमण किया था, अटल जी संबधित दीर्घा उनके लिये विशिष्ट आकर्षण थी। उसी समय उन्होंने निश्चय कर लिया था कि इसी की तर्ज पर बटेश्वर में 'अटल जी ' से संबधित एक दीर्घा बनवाने का प्रयास करेंगे। इसके लिये उन्होंने इस म्यूजियम को बनाने वाले आई आई टी रुडकी के अल्मनाई सौरभ भैक से भी विचार विमर्ष कर जानकारियां हांसिल कीं। जिलाअधिकारी आगरा से भी वह अपनी परिकल्पना को साझा कर चुके हैं।
श्री चाहर ने 'म्यूजियम ' भ्रमण करने आगरा के पत्रकारों से मिले फीड बैक को अपनी परिकल्पना को मजबूती देने वाला बताते हुए कहा कि अब जब भी अवसर मिलेगा वह मुख्य मंत्री श्री आदित्यनाथ जी वार्ता कर इसे विकास कार्यों में शामिल करवायेंगे। डन्हों ने कहा कि इस प्रोजेक्ट को मूर्तरूप देने वाले ' टैगबिन कंपनी ' सीईओ और आईआईटी रुड़की के अल्मनाई सौरभ भैक से भी उनकी तीन मूत्रि परिसर के भ्रमण के दौरान गत माह मुलाकात हुई थी।
क्या है पी एम म्यूजिम प्रोजेक्ट :-
प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह दिल्ली आने वाले भ्रमणार्थिया के लिये 306 करोड़ की लागत, हाइटेक म्यूजियम तीन मूर्ति मार्ग पर 10491 स्कावयर मीटर में 306 करोड़ की लागत से बना प्रधानमंत्री संग्रहालय देश के प्रधानमंत्रियों के नाम है और नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी (एनएमएमएल) का हिस्सा है। देश के जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान पीएम नरेंद्र मोदी तक 15 प्रधानमंत्री से मुलाकात करवाते इस संग्रहालय की एंट्री ही दिलचस्पी है।
हवा में तैरता अशोक स्तम्भ, 1000 एलईडी से बना लहलहाता काइनेटिक तिरंगा और उसके नीचे 15 प्रधानमंत्री की चमकती तस्वीरें और उनके उद्धरण, इस म्यूजियम में अंदर जाने के लिए उत्साहित करते हैं। और फिर शुरू होता है प्रधानमंत्रियों से मुलाकात का दौर। पहले प्रधानमंत्री से लेकर मनमोहन सिंह तक, हर प्रधानमंत्री के नाम यहां एक गैलरी है, जो उनकी जीवन, उनकी राजनीतिक जिंदगी और बतौर प्रधानमंत्री उनके कार्यकाल की झलकियां देता है।
तीन मूर्ति भवन के नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एन.एम.एम.एल.) को स्मार्ट तकनीकि युक्त बनाये जाने का कार्य स्टार्टअप ' टैगबिन कंपनी ' ने किया है। ' टैगबिन कंपनी ' सीईओ सौरभ भैक कहते हैं, इस म्यूजियम को बनाना अपने आप में एक बड़ी चुनौती ,सही जगह पर सही तकनीकि का इस्तेमाल इसकी आधारभूत जस्रत थी। साथ ही यह भी ध्यान रखा गया कि विषय की गंभीरता हर हाल में बनी रहे। इसके प्रदर्श कक्षों में पत्र, दस्तावेज, ऑडियो विजुअल मटीरियल, स्पीच,पर्सनल सामान टेक्नलॉजी के साथ प्रस्तुत किये गये है। आडियो गाईड म्यूजियम की जनता द्वारा सहज स्वीकार्य स्मार्ट टैकनीक है। जो हिंदी, इंग्लिश समेत अलग अलग भाषाओं में है ।
गोल चक्कर के बीचों बीच एक स्तंभ के किनारे तीन दिशाओं में मुंह किये हुए तीन सैनिकों की मूर्तियाँ लगी हुई हैं। ये मूलत: द्वितीय विश्व युद्ध में काम आये सैनिकों का स्मारक है। इस स्मारक के ऊपर ही भवन का नाम तीन मूर्ति भवन पड़ गया है।'ऑस्ट्योर क्लासिक' शैली में निर्मित वैसे मूल रूप से भवन भारत में ब्रिटिश सेना के कमांडर-इन-चीफ़ का आवास हुआ करता था, जिसे उस समय फ़्लैग-स्टाफ़ हाउस के नाम से जाना जाता था।
यह है इस शैली का दूसरा भवन दिल्ली स्थित हैदराबाद हाउस है।
प्रधानमंत्री म्यूजियम प्रोजेक्ट को पूरा होने में लगभग ढाई साल का समय लगा अरै 14अप्रैल 2022 को इसी साल आम नागरिकों के लिये खोला गया ।
आगरा से दिल्ली, प्रधानमंत्री म्यूजियम जाने वाले पत्रकारों में राजीव सक्सेना, डॉ. सुरेन्द्र सिंह, गिरजा शंकर शर्मा, असलम सलीमी, सुनयन शर्मा, सजंय तिवारी, रमेश राय, डॉ.भानुप्रताप सिंह, शंकर देव तिवारी, सुभाष रावत आदि प्रमुख थे।
रिपोर्ट-असलम सलीमी।