राज्यपाल के प्रतिनिधि(OSD) के डॉ.भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के भ्रमण विषयक/की गई जाँच प्रभावित एवं निष्पक्षता से परे : सिविल सोसायटी ऑफ आगरा।



हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा 

सिविल सोसायटी ऑफ आगरा ने आज डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय की अनियमितओं एवं कुलाधिपति के द्वारा कराई जाँच,निष्पक्षता से परे है। इस तरह के प्रमुख मामलों पर कुलाधिपति को सम्बोधित करते हुए, एक प्रेस कांफ्रेंस की। जिसकी विस्तृत जानकारी इस प्रकार है।

मा.कुलाधिपति/राज्यपाल के प्रतिनिधि(OSD) महोदय ने दिनांक 13.6.2022 को विश्वविद्यालय का निरीक्षण का लक्ष्य  (1) विश्वविद्यालय के काम का आकलन, (2) नियुक्तियों कि जांच  और (3) नवनिर्मित सम्पतियों पर व्यय किये धन और इसके लिए आवश्यक औपचारिकताओं को विश्वविद्यालय द्वारा अनदेखा करना था।

हमारी जानकारी के अनुसार OSD महोदय द्वारा की गयी जाँच पूरी तरह प्रभावित एवं निष्पक्षता से परे है. प्रदेश की पुरानी यूनिवर्सिटी में शुमार आगरा विश्वविद्यालय को चांसलर / कुलाधिपति / राज्यपाल 1 वर्ष का समय बीतने के बाद भी पूर्णकालिक कुलपति देने में असमर्थ हैं। इस तथ्य पर किसी का ध्यान नहीं है . कार्यवाहक कुलपति वैकल्पिक रूप से काम कर रहे हैं।

हम नहीं जानते कि जांच कि रिपोर्ट किस रूप में पेश की जाएगी. किन्तु यह तय है की इसमें पूर्णकालिक कुलपति की नियुक्ति पर कोई  बात नहीं  होगी। और ना ही कार्यवाहक कुलपति द्वारा लिये गये समस्त प्रशासनिक निर्णय निरस्त होंगे। विश्वविद्यालय एक्ट और statutes से चलता है अधिकारियों की मनमानी से नहीं।

 कार्यवाहक कुलपति द्वारा दिया गया असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसर की नियुक्ति का विज्ञापन Notification/ Advertisement No. RW/01/2022 05 May, 2022 निरस्त नहीं किया जायेगा यह जानते हुए भी कि कार्यवाहक कुलपति स्थाई नियुक्तियॉ नहीं कर सकता है । इस Notification/ Advertisement No. RW/01/2022 05 May, 2022  में रोस्टर का गलत इस्तेमाल कर कार्यवाहक कुलपति ने अपने खास लोगों के near dears को नियुक्त करने के लिये पदों में भारी हेर फेर की है। यह निरस्त होना चहिये और साथ में इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिये पर हमें जानकारी नहीं है कि ऐसा कब होगा। यह बताना यहॉ ज़रुरी है कि पूर्व कुलपति डा अशोक मित्तल को गलत नियुक्तियों के कारण जिस जांच समिति ने हटाया था कार्यवाहक कुलपति डा पाठक उसके मेम्बर थे । अब डा. पाठक खुद कार्यवाहक कुलपति बनकर इस विश्वविद्यालय ;में आ गये हैं और नियुक्तियों का खेल कर रहे हैं। 

 पूर्व कुलपति डा अरविंद दीक्षित ने बिना ए डी ए से नक्शा पास करवाये  कई सौ करोड़ के अनुपयोगी निर्माण करवाये। पैसे की बर्बादी की। तत्कालीन कार्यवाहक कुलपति डा.पाठक ने पूर्व कुलपति को बचाने के लिये सब निर्माणों को बिना अनुमति के खोल दिया। इस निर्माण से जुड़े यूनिवर्सिटी के प्रोफेसरों पर भी कार्यवाही होनी चहिये पर ऐसा कब होगा पता नहीं । 

 बिल्डिंग निर्माण के सापेक्ष लेबर डिपार्टमेंट को देये 1% सेस भी यूनिवर्सिटी ने डिप्टी लेबर कमिश्नर से सांठगांठ कर के यह पैसा बोर्ड में नहीं जमा किया है। इससे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का नुकसान हुआ है। इससे असंगठित क्षेत्र के मजदूरों का नुकसान हुआ है. निर्माण कार्यों के सापेक्ष लेबर को देय राशि(भवन और अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन  तथा सेवा-शर्त विनियमन) अधिनियम,1996 कर्मचारियों के लिए लगायी गई राशि लगभग तीन करोड़ है, लेबोर डिपार्टमेंट में जमा कराने पर कोई उल्लेख नहीं होगा।

 विश्वविद्यालय ने करोड़ों रुपये अवैध बिल्डिंग निर्माण पर खर्च करा है। पर कर्मचारियों के जनरल प्रोविडेंट फण्ड पर यूनिवर्सिटी और इंडियन बैंक ने ब्याज का बड़ा घपला किया है। विश्वविद्यालय के कर्मचारियों और शिक्षकों के वेतनों से काटी जाने वाली राशियों को लेकर संशय की स्तिथि अस्पष्ट है.जी पी एफ पर कर्मचारियों को साधारण ब्याज मिल रहा ना कि जी पी एफ का 8 % चक्रवर्ती ब्याज। यूनिवर्सिटी सभी कर्मचारियों को जी पी एफ की पुस्तिका जारी करने  और पिछला सारा ब्याज देने पर भी कोई जांच या निर्णय नहीं होगा। 

  विश्वविद्यालय से महाविद्यालयों कि सम्बंध्त्ता को लेकर दिशा हीनता की स्थिति है. सम्बद्धता सम्बन्धी नए आवेदनों और पूर्व से सम्बंधित महाविद्यालयों के संबंधता नवीनीकरण आदि के सम्बन्ध में होने वाले पत्राचार के प्रति विश्वविद्यालय का सम्बंधता विभाग पूरी तरह से उदासीन है. फलस्वरूप महाविद्यालयों को अनिष्टता के दौर का सामना करना पड़ रहा है।

इसका जनता को उत्तरदायी ना होना भी बड़ा कारण है।इस पर नीतिगत निर्णय होना चाहिये कि कुलाधिपति  के पद पर कौन आसीन हो मुख्यमंत्री या शिक्षा मंत्री।

 प्रेस कांफ्रेंस को वरिष्ठ पत्रकार श्री राजीव सक्सेना, श्री शिरोमणि सिंह एवं श्री अनिल शर्मा ने संबोधित किया।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।