- अनमार्केटिड को मार्किट में लाना रोजगार का प्रभावी माध्यम:टावरी
हिन्दुस्तान वार्ता।
आगरा:भारत में अवसरों की भरमार है, लेकिन इनका उपयोग करने के लिये सरकारों की योजनाओं के स्थान पर अपनी दक्षता और समर्पण पर अधिक जरूरी हैं। यह कहना है पूर्व आई ए एस अधिकारी, कमल टावरी का।
श्री टावरी जो कि एम जी रोड स्थित वृन्दावन होटल में पत्रकारों से वार्ता कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि बेरोजगरी के विकल्प के रूप में किसी भी पहल को सरकार नहीं रोकती ,अधिकारी सकारात्मक रुख ही रखते है,जब तक कि नीतिगत तौर पर कोई बडा कारण सामने नहीं आये।
श्री टावरी ने कहा कि छोटे बडे किसी भी धंधे में निवेश को लेकर अब कोई बाधा नहीं है,इसके लिये बहुत से विकल्प हैं। उन्होंने कहा कि उद्यम खास कर स्वरोजगर योजनाओं के लिये अनुदानों को प्राप्त करने के लिये सरकारी औपचारिकताओं को जरूर पूरा करना होता है,जिनमें से कई को हम मुश्किल भरा मानते हैं।
श्री टावरी ने कहा कि कारोबार और उत्पादन क्षेत्र में तमाम एैसी सेवाये और उत्पाद हैं जिनको लेकर मार्किटिंग की बेहद संभावनायें हैं।
बस एकाग्रता के साथ जुटने की जरूरत है। श्री टावरी ने इमरल वी मारिया ( irmel v Maria and kamal Taori) के साथ भारतीय बाजार में विद्यमान संभावनाओं पर केन्द्रित किताब ' मसर्किटिंग द अनमार्किटड इंडिया ' ('Marketing the Unmarketd india" ) पर चर्चा करते हुए कहा कि काश यह रोजगार और नयी संभावनाओं की तलाश कर रहे लागों,खास कर युवाओं के पास भी उसी रूप में पहुंच सके जिसे लक्ष्य बनाकर इसे लिखा है।
श्री टावरी उन पुराने आई ए एस अफसरों में हैं जिन्होंने बिना किसी बहस के सोशल मीडिया और डिजिटल प्लेट फार्मों की उपयोगिता को समझा ही नहीं स्वीकारा भी है।इनके माध्यम से लोगों का लगातार मार्ग निर्देशन भावना पर आधारित उनके इस लेखन प्रयास (किताब)को नीति आयोग ने उनकी किताब को ,न केवल अनुमादित किया है,अपितु मार्गदर्शी साहित्य के रूप में स्वीकारा भी है।
आईडिया तत्काल प्रभाव से हो क्रियान्वित :-
दरअसल किसी भी उपयोगी आईडिया ( idea) को थिंक टैंक में डिपाजिट या रजर्व करने के प्रचलित तरीके को वह पसंद नहीं करते। उनकी कोशिश है कि जिन लोगों को इससे लाभ मिल सके उन तक यह जल्दी से जल्दी पहुंचे। उस पर काम हो, बाजार में उसे लेकर संभावनायें तलाशी जायें और संभव हो तो मार्किटिंग की जाये।
'यू ट्यूबर ' के रूप में उनका 'पब्लिक कनैक्ट' का अभूतपूर्व अनुभव है। अपने प्रोग्राम के प्रसारणों के विषयों के संबध में उठायी गयी छोटे से छोटी जिज्ञासा का वह समाधान करते हैं। श्री टावरी चाहते हैं कि अब वीडियो कांफ्रेंसिंग सीधे संवाद का माध्यम बने इसकी वजह घर घर स्मार्ट फोन,कंप्यूटर,टैबलेट और डैस्कटॉप की मौजूदगी हो जाना है। अपवादों को छोड कर गांवों में भी प्रभावी इंटरनेट कनैक्टिविटी संभव है।
श्री टावरी का मुख्य जोर ग्रामीण क्षेत्र से संबधित उत्पादों पर है। छोटे कृषको के संबध में उन्हें शोधपरक जानकारियां हैं। अर्गेनिक फाम्रिंग,पंचगव्य की मार्किटिंग पर उनसे काफी महत्वपूर्ण टिप्स लिये जा सकते हैं।
अब जूझने को अधिक अनुकूल स्थितियां:-
एम एस एमई क्षेत्र सें संबधित उद्यमियों की शीर्ष संस्था एम एस एम परिसंघ(Confederation) के वरिष्ठ पदाधिकरी ,पेशे से चार्टेड एकाऊंटेंट (सी ए) ध्रुव अग्रवाल का कहना है कि चुनौतियां तो हमेशा रही है किन्तु अब उनसे जूझने की अधिक अनुकूल स्थितियां है। जो कुछ नया करना चाहते हैं अब देर न कर अपने लक्ष्य और योजना को लेकर आगे आयें और प्रयास शुरू करें। उन्हें खशी होगी अगर कोयी प्रयासी अपनी समस्य के समाधान के लिये उनसे मदद लेने आये। समस्यओं के समाधान और जरूरी विकल्पों को तलाशने के लिये श्री अग्रवाल को भारत ही नहीं कई और देशों में भी विशेज्ञ के रूप में जाना जाता है।
नकारात्मकता समाप्त हो:-
पूर्व चीफ मैडीकल आफीसर डा हरीश श्रीवास्तव ने मौजूदा दौर की रोजगर संबधी चुनौतियों के बारे में किये जा रहे प्रयासों को सार्थक पहल बताया ,उन्होंने अपेक्षा की कि श्री टावरी और श्री ध्रुव अग्रवाल के प्रयोग रोजगर क्षेत्र में व्याप्त नकारात्मकता को सीमित करने वाले साबित होंगे।
सौंफ और काला गेंहूं उगाने का अभिनभ प्रयोग:-
भारतीय जनता पार्टी नेता एवं पूर्व विधायक महेश गोयल ने आर्गेनिक खेती को लेकर किये जा रहे अपने प्रयोगों के बारे में जानकारी दी। सौंफ और काले गेंहू के उत्पादन के अपने प्रयासों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि गोबर खाद और गौ मूत्र का खेतो में प्रयोग शुरू करने के बाद से खाद और कीटनाशकों को खरीदने की अब जरूरत नहीं पडती है।
प्रख्यात गांधीवादी एवं पर्यवरण विद् ने कहा कि गौपालन को लेकर वह हमेशा उत्साही रहे हैं,सबसे शुद्ध और मानव स्वास्थ्य के अनुकूल उत्पाद गौपालन से ही संभव हो सकते हैं। गोबर की खाद और गौमूत्र उपयोग आधारित आर्गेनिक खेती के आर्थिक पक्ष पर उन्हों ने अपने अनुभव साझा किये।
रिपोर्ट-राजीव सक्सेना-असलम सलीमी।