गीत जब मर जाएंगे,फिर क्या यहां रह जाएगा..। गीतों के राजकुमार गोपालदास नीरज की जयंती पर गूंजायमान हुए उनके गीत।



 

- नीरज परिवार व संगीत कला केंद्र की खूबसूरत प्रस्तुति को सभी ने सराहा।

हिन्दुस्तान वार्ता।आगरा

पदम श्री और पद्म भूषण गीतकार गोपालदास नीरज की जयंती पर बुधवार को सूर सदन में सजा उन्हीं के गीतों का खूबसूरत गुलदस्ता ,कार्यक्रम की शुरुआत आगरा के धर्मगुरु महेंद्र योगेश पुरी, मौलाना उजैर आलम, बाबा प्रीतम सिंह तथा फादर मून लाजरस ने नीरज जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर तथा मां शारदे के आगे दीप प्रज्ज्वलित करके की।

 दीप प्रज्वलित होते ही विख्यात रंगकर्मी डिंपी मिश्रा ने नीरज जी की प्रसिद्ध कविता मजहब एक ऐसा चलाया जाए से मां शारदे की वंदना की तदुपरांत कार्यक्रम की मुख्य आयोजक गोपालदास नीरज जी की पुत्रवधू वत्सला प्रभाकर ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की कड़ी को आगे बढ़ाया।

तदुपरांत नीरज जी के सुपुत्र मृगांक प्रभाकर ने पिता गोपाल दास नीरज के संस्मरणों को सुनाया। मृगांक प्रभाकर जिस संस्मरण को सुनाते थे,उससे जुड़ा हुआ गीत बजने लगता था। शोखियों में घोला जाए .....,जैसे राधा ने माला जपी.....,खिलते हैं गुल यहां .....,मेघा छाए आधी रात.....,ओ मेरी शर्मिली.....,स्वप्न झरे फूलों से .....,ए भाई जरा देखकर चलो ....और जनता नीरज जी के गीतों में डूब जाती थी, नीरज जी के गीतों को प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी उठाई थी।    संगीत कला केंद्र आगरा की निदेशक प्रतिभा केशव तालेगांवकर जी ने, प्रतिभा केशव तालेगांवकर के साथ उनकी सुपुत्री शुभ्रा तलेगांवकर और उनकी पूरी टीम ने एक के बाद एक नीरज जी के गीतों को गाकर सूर सदन प्रेक्षागृह में मौजूद जनता को झूमने के लिए मजबूर कर दिया , एक के बाद एक , अनेक गीतों की प्रस्तुतियों ने नीरज जी की याद को ताजा तो किया ही ,इन पुराने गीतों पर श्रोताओं को आनंद विभोर होने के लिए भी मजबूर कर दिया। कभी तालियों की गड़गड़ाहट तो कभी वाह -वाह की आवाज सुनने को मिलती रही। 

कुलपति प्रोफेसर आशु रानी ने कहा कि गोपालदास नीरज जी सरल भाषा में कुछ ऐसे अमर गीत लिख गए हैं जो सदा के लिए संगीत के आसमान में गाय जाते रहेंगे ,रंजना बंसल ने का कि गीत ऋषि गोपालदास नीरज प्रेम के सच्चे पुजारी थे और उन्होंने इसकी खासियत से दुनिया को वाकिफ भी कराया। 

 ये विचार आज भी सामयिक हैं और हमेशा रहेंगे । नज़ीर अहमद सहाब ने कहा कि नीरज ने हिंदी कविताओं को तो नया सौंदर्य दिया ही, हिंदी सिनेमा के गीतों को भी सतरंगी छटा से भर दिया , महंत योगेश पुरी ने कहा कि नीरज जी ने ऐसे-  ऐसे गीत गढ़े, जो बरसों बाद भी लोगों की जुबान पर है और रहेंगे, डॉक्टर सी पी राय ने कहा कि नीरज जी को हिंदी सिनेमा के सर्वश्रेष्ठ गीतकार के रूप में तीन बार 'फिल्मफेयर पुरस्कार' मिला सो अलग। कार्यक्रम में उनका यह गीत प्रस्तुत किया गया ,जो हमेशा सार्थक रहेगा - गीत जब मर जाएंगे ,फिर क्या यहां रह जाएगा, कार्यक्रम के अंत में नीरज परिवार के ज्येष्ठ पुत्र अरस्तु प्रभाकर ने समस्त परिवार के सदस्यों सहित मंच पर आकर अपने पिता जी नीरज जी को याद करते हुए कार्यक्रम में पधारे हुए सभी सम्मानित अतिथियों का आभार प्रकट किया।

 कार्यक्रम का सफल संचालन वरिष्ठ साहित्यकार व मंच संचालक श्रुति सिन्हा तथा कवि व गीतकार दीपक सिंह सरीन ने किया ,कार्यक्रम में सर्वश्री  एस.पी सिंह बघेल ( विधि एवं न्याय मंत्री) , मधु बघेल, प्रुशैत्तम खंडेलवाल, प्रोफेसर बीना शर्मा, प्रोफेसर लवकुश मिश्रा, प्रोफेसर चंद्रकांत त्रिपाठी , डाॅ डीवी शर्मा, इंजीनियर दिवाकर तिवारी , रितेश मित्तल ,संजीव तोमर, अमित खत्री , अशोक भारद्वाज, श्री कृष्ण ,हर विजय वाहिया, वेदपाल धर, बंटी ग्रोवर, डॉ महेश शर्मा , आभा चतुर्वेदी ,अशोक भारद्वाज , रितु गोयल , डाॅ अशोक विज, पूनम सचदेवा व पवन आगरी आदि शामिल रहे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।