आगरा इप्टा के नाटक "हाय मेरा दिल" की ताज महोत्सव के अंतर्गत शानदार प्रस्तुति।


हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा,आज दिनांक 28 फ़रवरी की शाम को सूर सदन प्रेक्षागृह में ताज महोत्सव के अंतर्गत आगरा इप्टा ने रणवीर सिंह लिखित व दिलीप रघुवंशी निर्देशित नाटक "हाय मेरा दिल" को शानदार तरीके से प्रस्तुत किया। 

यह नाट्य प्रस्तुति इप्टा के संस्थापक व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे नाट्य पितामह राजेन्द्र रघुवंशी की 21वीं पुण्य तिथि को समर्पित रही। 

कार्यक्रम के प्रारम्भ में राजेंद्र रघुवंशी के चित्र पर माल्यापर्ण एवं पुष्पाजलि डॉ श्रीभगवान शर्मा, प्रोफ़ेसर सुन्दर लाल, डॉ शशि तिवारी डॉ ज्योत्स्ना रघुवंशी, एम. एल. गुप्ता, सुबोध गोयल, हरीश चिमटी,राजीव सिंघल ,पंडित दिनेश शर्मा, आर. के टंडन ने किया।

नाटक के लेखक हाल ही में दिवंगत इप्टा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रणवीर सिंह हैं और इसका कुशल निर्देशन इप्टा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव व आगरा इप्टा के मुख्य निर्देशक दिलीप रघुवंशी ने किया। 

"हाय मेरा दिल" मध्यवर्गीय पृष्ठभूमि का नाटक है जो इसके नायक मदन अग्रवाल और उसकी पत्नी उषा अग्रवाल की नोंक-झोंक, प्यार-मौहब्बत, संदेह और विषमताओं के ताने बाने से बुना है। 

मदन को जब पता चलता है कि चंद हफ़्तों का ही मेहमान है, तो वह अवसाद में चला जाता है। उसको चिंता सताना शुरू कर देती है कि उसके मरने के बाद भोली भाली पत्नी का क्या होगा? वह कैसे अपना जीवन निर्वाह करेगी? 

इन्हीं परिस्थितियों के चलते मदन, उषा के पुनर्विवाह का निर्णय ले लेता है। इन घटनाक्रमों का असर उषा को चिड़चिड़ा बना देता है। हर क्षण बदलती स्थितियाँ मदन को उपहास का पात्र बना देती हैं। हास्य रस से भरपूर नाटक का सुखद अंत होता है और पारिवारिक मूल्यों की स्थापना होती है। 

सभी कलाकारों ने अपने अपने पात्रों के साथ न्याय किया और शानदार छाप छोड़ी व निर्देशक दिलीप रघुवंशी की मेहनत प्रस्तुति में साफ़ नज़र आई। 

मदन - असलम ख़ान 

उषा - नीतू दीक्षित 

डॉ घोष - संजय सिंह 

अरविंद - कमल गोस्वामी 

अब्दुल बेग - सिद्धार्थ रघुवंशी 

मोहन - जय कुमार 

महिला - आयशा चौहान 

आदमी - अनुज गोस्वामी व अजीत के पात्र में ओंकार राठौर ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांधे रखा। 

रंग सज्जा - आनंद बंसल 

दृश्य सज्जा - कमल गोस्वामी 

पार्श्व संगीत - अनुज गोस्वामी 

नाट्य सामग्री - संजय सिंह व कला पक्ष शैलेंद्र शर्मा एवं किरण कांत ने संभाला। 

विशिष्ट सहयोग डॉ शशि तिवारी, डॉ ज्योत्स्ना रघुवंशी, मुक्ति किंकर, शकील चौहान व विक्रम सिंह का रहा तो वहीं प्रबंधन कुमकुम रघुवंशी ने सूर सदन परिवार के साथ संभाला।

रिपोर्ट- असलम सलीमी।