श्री राम कथा महोत्सव:बिन सत्संग विवेक न होइए: शंकराचार्य वासुदेव नंद सरस्वती।

 


राम राष्ट्र के मंगल है राम...

संत के मुख से आती है राम नाम की सुगंध।

हिन्दुस्तान वार्ता।

आगरा। कोठी मीना बाजार स्थित, चित्रकूट धाम पर,जय श्री राम सेवा समिति की ओर से शुरू हुई श्रीराम कथा का श्रीगणेश सर्वप्रथम शंकराचार्य वासुदेवनंद सरस्वती जी महाराज ने अपने उद्बोधन से किया। खचाखच भरा पंडाल, जय श्रीराम के जयघोष के साथ गूंज उठा। शंकराचार्य वासुदेवानंद सरस्वती जी ने कहा कि रामकथा सुने तो चित को संगठित करके सुने। उसके बाद स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने अपनी शुरुआत गाते 

हुए गणपति जगवंदन शंकर सुमन भवानी के नंगन॥ सीधी संदन गज बदन नायक॥ किरपा संधू सुन्दर सब लायक॥ गणपति जगवंदन .... से की। उन्होंने सबसे पहले कहा कि आगरा हमारा अग्रवन है ब्रज का द्वार है। उन्होंने राम का अर्थ बताते हुए कहा रात का अर्थ है राष्ट्र और मां का अर्थ है मंगल यानी कि राम राष्ट्र के मंगल है। जो सबको मंगल देते हैं वह राम हैं। 

मीना बाजार नही कहूंगा।

मीना बाजार को मैं मीना बाजार नहीं कहूंगा मैं सीता बाजार कहूंगा। मैं यहां 1367 वी कथा कह रहा हूं। कृष्ण उपासकों के लिए भी राम श्रेष्ठ है। राम का दूसरे मायने में अर्थ रा से राघव और म से मैथिली है वही रा से राधा और म से मधुसूदन है। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा हर्ष शंकराचार्य जी भी दार्शनिक और कभी हैं मैं भी दार्शनिक और कभी हूं मनुष्य होना दुर्लभ है पर विद्यावान होना और दुर्लभ है।

जीवन में तो मनुष्य धक्के खा ही रहा है।

उन्होंने व्यवस्था में लगे हुए कार्यकर्ताओं से चुटकी लेते हुए कहा कि लोगों को धक्का नाम आ रहे हैं वैसे ही जीवन में तो मनुष्य धक्के खा ही रहा है। बिन सत्संग विवेक न होई भजन के साथ शुरू हुए सत्संग में श्रद्धालुओं को विवेक से काम लेने के बारे में समझाया। हमारे जीवन में विवेक आना चाहिए विवेक हमारी बेचारी की एकता को प्रदर्शित करता है।

मेरे पास भी है अटैची।

हमारा संतो के साथ अटैचमेंट होना चाहिए अटैची से अटैचमेंट होता है। मेरे पास मेरे मन में शास्त्रों की अटैची है ऋग्वेद से लेकर यह यजुर्वेद तक की अटैची है। साधु का जीवन कठिन है। साधु को जीवन भर संग्राम ही करना पड़ता है। मनुष्य का अच्छे कामों से हमारा लगाव होना चाहिए।

हिंदुओं की ही है राम जन्म भूमि।

उन्होंने राम जन्मभूमि पर कहा कि राम जन्मभूमि हिंदुओं की थी और हिंदुओं की रहेगी । जब रामलला विराजमान होंगे तो मेरा भी 75 में अमृत महोत्सव मनाया जाएगा यह बड़े ही सौभाग्य की बात है। रामत्व  पूरे विश्व पर छा गया है और अब बिना राम की कुछ नहीं रामचरितमानस ऐसा ग्रंथ है जिससे सारे ग्रंथों का अर्थ समझ में आ जाएगा। भारत के जन-जन में रामचरितमानस बसी है। 

रामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाएंगे।

भारत को मोदी सरकार ने पांचवीं अर्थव्यवस्था बना दिया 2024 में फिर मोदी जी प्रधानमंत्री की शपथ लेंगे और मै रामचरितमानस को बिल लाकर राष्ट्रीय ग्रंथ बनाएंगे। उन्होंने सांसद रामशंकर कठेरिया से कहा कि गुरु दक्षिणा लेना इतना आसान नहीं वह भी सांसद हैं और रामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने में सहयोग करे।

हनुमान जी विभीषण का मिलन।

जब संत मिले तो राम कथा शुरू होती है संत मिलते हैं तो भगवान की चर्चा होती है उन्होंने हनुमान और विभीषण मिलन के सुंदरकांड का वर्णन करते हुए कहा जब हनुमान विभीषण से मिलने पहुंचे तो विभीषण जब उठे तो उन्होंने राम राम का सुमिरन किया हनुमान जी यह समझ गए कि राम जब बोले तो वह संत ही हैं और और आप और उन्होंने कहा कि आप भगवान के भक्त हैं जिसे देखकर भगवान की याद आ जाए वह संत हैं साधु के मुख से दुर्गंध नहीं आती राम की सुगंध आती है।

कथा में अगर कथावाचक लोगों को ना देखें तो उसे ईश्वर के दर्शन हो जाते हैं। जिसे देख कर के हृदय में आस्था जाती है वह कथा है। अगस्त जी ने जब शिव जी को राम की कथा सुनाई तो उनके हृदय में राम से मिलने की विदिशा उत्पन्न हुई। 

भाव विभोर होकर बोले।

पदम विभूषण स्वामी रामभद्राचार्य जी ने मंच से कहा मुझे इसी जन्म में ईश्वर को पाना है। मुझे किसी दिन कथा कहते हुए भगवान मिल जाएंगे।

आगरा का पेठा।

कथा आगरा के पेठे के बारे में जिक्र करते हुए कहा कि श्री राम कथा पेटी से भी ज्यादा स्वादिष्ट है पीछे से मधुमेह बढ़ जाता है और कथा से मधुमेह घट जाता है शास्त्रों में संस्था है जैसे कि दूध से पानी अलग कर देता है वैसे ही संत इंसान के जीवन से दुष्कर्म को अलग कर देता है कथा से राजनीतिक लाभ हो या ना हो पर आध्यात्मिक लाभ जरूर होता है। सभी का धन्यवाद मीडिया प्रभारी विमल कुमार ने दिया। 

पुष्प वर्षा कर हुआ स्वागत।

आगरा आगमन पर स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज का सवा सौ गाड़ियों से सैकड़ों रामभक्तो का काफिला उनके स्वागत को रमाडा पर पहुंचा। सभी ने मार्ग में पुष्प वर्षा कर उनका अभिवादन किया। 

ये रहे पहले दिन के यजमान।

मुख्य यजमान धनकुमार जैन, शालिनी जैन रहे। दैनिक यजमान में मुरारी प्रसाद अग्रवाल, आशीष सिंघल, अशोक अग्रवाल, महेश अग्रवाल और गौरीशंकर गुप्ता रहे।

ये रहे मौजूद।

इस अवसर पर मुख्य आयोजक सांसद प्रो. रामशंकर कठेरिया, डा. मृदुला कठेरिया, विधायक डा.जीएस धर्मेश, पूर्व राज्यमंत्री चौधरी उदयभान सिंह, निर्मला दीक्षित, अजय अवागढ़, गौरव बंसल, केशव अग्रवाल, स्वदेश वर्मा, राकेश अग्रवाल, दिनेश अग्रवाल, सुनील मित्तल, आलोक जैन, पीयूष सिंघल, सतीश गुप्ता, कमल नयन फतेहपुरिया, प्रशांत मित्तल, लक्ष्मण गोयल, निधि बंसल, रजनी अग्रवाल, रिचा जैन, संगीता मित्तल आदि मौजूद रहे।

रिपोर्ट-असलम सलीमी।