नेशनल चैम्बर: उद्योगों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों के बचाव में किया विरोध प्रदर्शन ।



 उद्योगों एवं व्यापारों पर 3 गुना टैक्स उचित नहीं।

 पुराने भवनों पर मिले छूट - मूल्यह्रास है प्राकृतिक सिद्धान्त।

 गृहकर एवं जलकर के अप्रासंगिक नोटिस किये जाये निरस्त।

 जहां जल व सीवर लाइन नहीं वहां लाखों का टैक्स नहीं।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: 28 अगस्त, चैम्बर भवन पर चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल की अध्यक्षता में उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बचाव में नगर निगम द्वारा लगाये जा रहे अनाप शनाप गृहकर एवं जल मूल्य एवं सीवर टैक्स के विरोध में प्रदर्शन किया गया।

इस अवसर पर चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि नगर निगम द्वारा गृहकर प्रणाली को तर्कसंगत नहीं बनाया गया है। औद्योगिक एवं व्यावसायिक भवनों के बहुत प्रकार हैं। जैसे-कारखाना, दुकान, अस्पताल, स्कूल, होटल, आफिस, बैंक, मॉल आदि और इन सबकी अपनी-अपनी अलग-अलग परिस्थितियां हैं। अतः इन सभी के लिए अलग-अलग कानून होना चाहिए। 

वर्तमान में नगर निगम द्वारा औद्योगिक एवं व्यावसायिक भवनों पर गृहकर के जो नोटिस भेजे गये है, वे कई प्रकार से तर्कसंगत नहीं हैं। जैसे गृहकर का आंकलन सड़क की चौड़ाई के आधार पर किया गया है। जो ठीक नहीं है जबकि घने बाजारों में सड़क की चौड़ाई कम होती है भूमि की कीमत अधिक होती है। वहीं औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क की चौड़ाई अधिक होती है लेकिन भूमि की कीमत कम होती है। इसी प्रकार औद्योगिक भवनों पर गृहकर के आंकलन हेतु आवासीय भवन को आधार माना गया है जो उचित नहीं है क्योंकि आवासीय भवन में निर्माण कार्य अच्छी गुणवत्ता का होता है। और औद्योगिक क्षेत्रों में भवन का निर्माण कम गुणवत्ता का होता है। इन सारी परिस्थितियों में औद्योगिक एवं व्यावसायिक भवनों पर गृहकर आवासीय भवन को आधार मानकर गुणांक निकालकर और उसका 3 से 6 गुना किया जाना तर्कसंगत नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र में काफी भूमि नियमानुसार रिक्त छोड़ी जाती है। हमारी मांग है कि पुराने भवनों पर मूल्यहृास का नियम लागू किया जाये, भवनों में मूल्य हृास एक स्वाभाविक प्रक्रिया है। हम चाहते हैं कि नियमावली को तर्कसंगत किया जाये। जिससे उद्यमी व व्यापारी गृहकर का भुगतान कर सकें और सरकार को अधिक से अधिक राजस्व की प्राप्ति हो सके।

पूर्व अध्यक्ष प्रेम सागर अग्रवाल ने कहा कि जल व सीवर लाइन के लाखों के नोटिस भेज दिये गये हैं। जबकि वहां न तो जल लाइन है और न सीवर लाइन है। नोटिसों में पुराना बकाया दिखाया गया है। किन्तु जिन वर्षों में पुराना बकाया दिखाया गया है। उन वर्षों में सीवर लाइन और जल लाइन डाली ही नहीं गई थी बकाया पर ब्याज भी लगाई गई है। हमारी मांग है कि जलकर के ऐसे अप्रासंगिक नोटिसों को शीघ्र निरस्त किया जाये। जब जल की लाइन और सीवर की सुविधा सुचारू हो जायें तभी वहां जलकर व सीवर कर के नोटिस भेजे जाये।

चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने बताया कि उपरोक्त सारे तर्कों के सम्बन्ध में एक प्रतिवेदन माननीय मुख्यमंत्री महोदय को भेजा आ रहा है। जिसकी प्रतिलिपियां माननीय नगर विकास मंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, श्रीमान अवनीश कुमार अवस्थी जी, आई ए एस, मुख्य सलाहकार, माननीय  मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, श्रीमान दुर्गा शंकर मिश्रा जी, आई ए एस, मुख्य सचिव, उत्तर प्रदेश सरकार, लखनऊ, श्रीमान मंडलायुक्त महोदय, आगरा मंडल आगरा, श्रीमान जिलाधिकारी महोदय, आगरा, श्रीमान नगर आयुक्त महोदय, आगरा, श्रीमान नगर विकास सचिव, आगरा, श्रीमान महापौर महोदय, आगरा को भेजी जा रही हैं।

विरोध प्रदर्शन के दौरान अध्यक्ष राजेश गोयल, उपाध्यक्ष अनिल अग्रवाल, उपाध्यक्ष मनोज बंसल, कोषाध्यक्ष योगेश जिन्दल, पूर्व अध्यक्षों में प्रेम सागर अग्रवाल, श्रीकिशन गोयल, सदस्यों में रवीन्द्र अग्रवाल, गोविन्द प्रसाद सिंघल, संजय खंडेलवाल, विष्नू कुमार गर्ग, अतुल मित्तल, कमल नयन अषोक गोयल, सुरेषचन्द बंसल, विनय मित्तल, राकेश चौहान आदि मुख्य रुप से उपस्थित थे।