नेशनल चैम्बर:दवाइयों पर एमआरपी काफी अधिक लिखे जाने पर जताया रोष।



- केंद्र से इसमें हस्तक्षेप करने का किया अनुरोध। 

- स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री भारत सरकार को लिखा पत्र।  

-डॉक्टर नहीं लिखते हैं जेनेरिक दवाईयां।

- जैनरिक दवाईयों की एमआरपी की जाए निर्धारित।

- प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति को भी लिखे जायेंगे पत्र।

हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

आगरा: दवाईयों पर एमआरपी वास्तविक मूल्य से कई गुनी(3 से 4 गुनी तक) लिखी जाती है। इससे उपभोक्ताओं का बुरी तरह शोषण होता है और गरीब व्यक्ति अपना इलाज करवाने में असहाय हो जाता है। 

दवाईयों पर अधिक एमआरपी लिख जाने पर चैम्बर द्वारा रोष व्यक्त किया गया।

चैम्बर अध्यक्ष राजेश गोयल ने कहा कि दवाइयों पर अधिक एमआरपी लिखा जाना सामाजिक अन्याय है। हमारी मांग है कि जनोपयोगी रेगुलेशन को राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाये। इस सम्बन्ध में भारत सरकार के माननीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री जी को पत्र भेजा गया है।

पूर्व अध्यक्ष एवं जनसम्पर्क प्रकोष्ठ के चेयरमैन तथा इस अभियान के संयोजक मनीष अग्रवाल ने कहा कि डॉक्टरों द्वारा रेगुलेशन का पालन ठीक प्रकार से नहीं किया जाता है और उनके द्वारा जेनरिक दवाइयां नहीं लिखी जाती हैं। जबकि जेनेरिक दवाइयां लिखा जाना डॉक्टरों के लिए अनिवार्य है ताकि गरीब व्यक्ति दवाई ले सके और इलाज करवा सकें। उन्होंने आगे कहा कि दवाइयों पर एमआरपी पर नियंत्रण होना चाहिए।  यह बड़े आश्चर्य की बात है कि ड्रग प्राइस कंट्रोल ऑर्डर 2013 के शेड्यूल में कुल दवाइयों में से केवल 20 प्रतिशत दवाइयों का ही उल्लेख है और उन्हीं के एमआरपी पर नियंत्रण है। शेष 80 प्रतिशत दवाईयों के सम्बन्ध में उक्त ऑर्डर में कोई नियंत्रण की व्यवस्था नहीं है जिसके कारण दवाई बनाने वाली कंपनियां वास्तविक कीमत से 4-5 गुनी कीमत एमआरपी के रूप में दर्शा देती हैं जिससे दवाई विक्रेता ऊँचे दाम पर दवा बेचता है और गरीब मरीजों का शोषण करता है। अतः यह आवश्यक है कि समस्त दवाईयों की एमआरपी के निर्धारण की व्यवस्था हो। प्रधानमंत्री उन्होंने आगे बताया कि यह जनहित का मामला है अतः अन्य संगठनों को भी इस अभियान में जोड़ेंगे कि वे भी प्रधामंत्री, राष्ट्रपति से अपील करें और इस अभियान को सफल बनाने में अपना सहयोग प्रदान करें। नेशनल चैम्बर अन्य चैम्बर्स को भी इस अभियान में जोड़ेगा ताकि गरीब मरीजों का शोषण रुके। 

अधिवक्ता के. सी. जैन ने कहा कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका - रिट पिटीशन सिविल सं0 794 वर्ष 2023 भी लंबित है जिसमें केन्द्र सरकार सहित सभी को नोटिस दिनांक 18.08.2023 को जारी किये जाने के आदेश हो चुके हैं।