नाम बदल सकते हो तुम,पर हमारे दिलों में बसे "हिंदुस्तान" को कैसे हटा पाओगे:आशीष तिवारी,नेता रालोद।



हिन्दुस्तान वार्ता। ब्यूरो

लखनऊ:आजकल एक देश के दो नामों पर हाहाकार मचा हुआ है।आज कल देश के नाम पर एक ऐसी बहस चल रही है, जिसको लेकर देशवासी अलग-अलग खेमों में बांटते नज़र आ रहे हैं। "इंडिया" नाम को गुलामी का प्रतीक कहा जा रहा है। जबकि भारत के अंग्रेजी नाम इण्डिया की उत्पत्ति इण्डस (सिंधु) शब्द से हुई है, जो यूनानियों द्वारा ईसा पूर्व, चौथी सदी से प्रचलन में है। इंडिया नाम पुरानी अंग्रेजी में 9वीं सदी में और आधुनिक अंग्रेजी में 17वीं सदी से मिलता है।

देश-प्रदेश में चालू इस बहस को लेकर राष्ट्रीय लोकदल के महानगर अध्यक्ष, लखनऊ,आशीष तिवारी का कहना है  कि अगर इंडिया नाम अंग्रेजों की गुलामी की मानसिकता का सूचक है, तो भारत वर्ष में ब्रिटिश राज में अग्रेज हुक्मरानो द्वारा बनाई गई इमारतें, रेलवे स्टेशन, रेलवे लाइन, दवा, इंजेक्शन, अस्पताल, स्कूल -कालेज, पुल- सड़के आदि जो भी कुछ देश में मौजूद है, वो सब गुलामी की निशानिया हैं। इन सबको भी खत्म करा देना चाहिए, बंद करा देना चाहिए या यूँ कहे कि गिरवा देना चाहिए।

आशीष तिवारी ने कहा कि भारत का एक नाम " हिंदुस्तान" है और देशभक्ति पूर्ण कविता,जिसे सुन- सुन कर हम सभी बड़े हुए "सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा"  में  हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग हुआ है। जो कि भारत गणराज्य का तीसरा नाम है। यह नाम मुगल शासन के दौरान ज्यादा चलन में आया था। 'हिन्दू' शब्द फारसियों द्वारा सिंधु नदी (सिंधु नदी ) के आसपास रहने वाले लोगों के लिए दिया गया था। मराठों ने भी इसे ' हिन्दुओं की भूमि ' के रूप में इस्तेमाल किया।

राष्ट्रीय लोकदल के महानगर अध्यक्ष, लखनऊ ने सवाल उठाते हुए कहा कि क्या केंद्र सरकार "हिंदुस्तान" का नाम भी हटाने की कोई प्रक्रिया करेगी या करने जा रही है ? क्या हमारे लाखो शहीदों के साथ करोडो देशभक्तो द्वारा गाये गए तमाम देश भक्ति गीतो से "हिंदुस्तान" शब्द हटाकर "भारत" शब्द का प्रयोग करेगी ?

 आशीष तिवारी ने कहा कि मैं आपको विश्व के 10 से 12 देशो का नाम गिना सकता हूं जो 2-2 नाम से जाने जाते हैं। जैसे चीन को चाइना भी कहा जाता है, भूटान को ड्रुक युल, रूस को रसिया, स्वीडन को स्वेरीगे, अल्बानिया को   शकीपेरिया, मिस्र को इजिप्ट आदि कई देश शामिल हैं। आज तक क्या विश्व में कभी किसी ने यह सुना कि देश के नामों पर इस तरह से राजनीति की गई हो। यह सिर्फ भाजपा के राज में ही संभव है।  

 आशीष तिवारी ने कहा कि भाजपा पिछले 10 सालों से केंद्र में काबिज है और इन्होंने कोई भी काम ऐसा नहीं किया,जिसको वो जनता के बीच में जाकर दोबारा चुनाव में अपने लिए वोट मांग सकें,कहीं ना कहीं इस तरीके के संवेदनशील प्रकरण उछालने से भाजपा की साफ़ कमजोरी प्रतीत होती है। महगाई, जमाखोरी, गैस, डीज़ल- पेट्रोल की बढ़ती कीमतो से प्रत्येक देशवासी सीधा दो चार हो रहा है। अब भाजपा में इन अहम मुद्दों का डर और भय साफ दिखन शुरू हो गया है, जिसको लेकर भाजपा नेता की बौखलाहट भी दिखने लगी है। 

 आशीष तिवारी ने कहा कि कहीं ऐसा ना हो कि अबकी बार- जबरदस्त हार के डर के कारण भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़े।